मध्य प्रदेश में बड़ा घोटाला आया सामने, ₹16. 50 पैसे की ग्लूकोज स्ट्रिप 1650 रुपये में और ₹1300 में खरीदी गई डस्टबिन

मध्य प्रदेश में घोटालों (Corruption) का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. एक के बाद एक जिलों और अलग-अलग विभागों से लगातार घोटालों की खबरें आ रही हैं. ताजा मामला रीवा जिले में स्वास्थ्य विभाग का है. यहां स्वास्थ्य विभाग में किए गए बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है.

इस खुलासे के मुताबिक, 244 रुपये की डस्टबिन ₹1300 में और 16 रुपये 50 पैसे की ग्लूकोज स्ट्रिप 1650 रुपये में खरीदी गई. इस तरीके की कई दूसरी अनियमितता भी निकाल कर सामने आई है. बताया जाता है कि इस तरह यहां 2 करोड़ से ज्यादा के घोटाले को अंजाम दिया गया. सबसे बड़ी बात ये है कि मास्टर माइंड का ट्रांसफर ऑर्डर आने के एक दिन पहले ही. उसके ट्रांसफर ऑर्डर कैंसिल होने का आदेश उसकी जेब में था.

खरीदी के नाम पर घोटाला
आरोप है कि रीवा का सीएमएचओ दफ्तर लंबे समय से भ्रष्टाचार का अड्डा बना रहा है. वर्तमान सीएमएचओ को छोड़ दिया जाए तो, उनके पूर्व के सभी सीएमएचओ ने यहां चल रहे भ्रष्टाचार के खेल को बढ़ावा दिया. हालात ये है कि यहां 244 रुपये की डस्टबिन ₹1300 में खरीदी गई. वहीं, 16.50 रुपये की ग्लूको स्ट्रेप 1650 रुपये में खरीदा गया. इसी तरह 399 की दवा की स्ट्रिप 990 रुपये में खरीदी गई. यह सब रीवा CMHO के दफ्तर में सन 2018 से 2022 तक हुआ. बताया जाता है कि इस दौरान दो करोड़ 10 लाख 47 हजार रुपये का नियम विरुद्ध तरीके से खरीद-फरोख्त में भारी अनियमितता कर घोटाले को अंजाम दिया गया. इस मामले में मास्टरमाइंड का ट्रांसफर जरूर हुआ था, लेकिन उसका पावर तो देखिए कि ट्रांसफर के एक दिन पूर्व ही उसके ट्रांसफर निरस्त करने का आदेश उसकी जेब में था.

लंबे समय से चल रहा है भ्रष्टाचार का खेला
दरअसल, घोटालों को लेकर रीवा का सीएमएचओ दफ्तर लंबे समय से चर्चाओं में बना हुआ है. यहां पर सीएमएचओ बनने के लिए डॉक्टर प्रैक्टिस से ज्यादा मेहनत करते हैं. वजह है करोड़ों रुपये का बजट. ऐसा लगता है कि यहां केवल भ्रष्टाचार ही होता है. यहां पर पदस्थ जिम्मेदार मनमाने रेट पर सामान खरीदते हैं, जिसकी कहीं कोई जांच नहीं होती है. अदर किसी शिकायत जांच होती भी है तो दबा दी जाती है. जैसा की इस प्रकरण में हुआ था. यहां पर सीएमएचओ कोई भी हो अनियमितता लगातार बनी रहती है. वर्तमान सीएमएचओ को अगर छोड़ दिया जाए तो, इससे पहले के सभी सीएमएचओ इसमें शामिल रहे हैं.

जांच में ऐसे खुली पोल
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता विनोद शर्मा और कार्यवाहक जिला कांग्रेस अध्यक्ष कुंवर सिंह ने इसकी शिकायत संभागीय कमिश्नर बीएस जामोद के यहां की. उस समय शिकायत के बाद डिप्टी कलेक्टर संजीव पांडे के नेतृत्व में 7 सदस्यीय जांच दल बनाया गया था. जांच में घोटाला निकलकर सामने आया था. जांच में पाया था कि रीवा सीएमएचओ दफ्तर में 244 रुपये में मिलने वाली डस्टबिन 13 सौ रुपये में खरीदी गई थी. वहीं, 16 रुपये 50 पैसे की ग्लूकोज स्ट्रिप 16 सौ 50 रुपये में खरीदी गई थी. इसके अलावा, 399 की दवा की स्ट्रिप 990 रुपये में खरीदी गई थी. तब जांच टीम ने कहा था कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करिए, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

इन अफसरों ने भ्रष्टाचार को दिया अंजाम
कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि रीवा के CMHO दफ्तर में नियम विरुद्ध तरीके से खरीद-फरोख्त कर शासन को दो करोड़ दस लाख 47 हजार का चूना लगा दिया गया, जिसे डिप्टी कलेक्टर की जांच रिपोर्ट ने साबित किया है. उन्होंने कहा कि यह एक बड़ा घोटाला है, जिसमें 2018 से 2022 तक पदस्थ रहे सीएमएचओ डॉक्टर आरएस पांडे, डॉक्टर एमएल गुप्ता, डॉक्टर बीएल मिश्रा और डॉक्टर एनएन मिश्रा मुख्य रूप से शामिल हैं.

जांच में खुलासे के बाद मामले को दबा दिया गया
सबसे बड़ी बात ये है कि 5 लाख के ऊपर की खरीदी जेम के माध्यम से होती है, लेकिन जेम पोर्टल के माध्यम से न खरीदी कर के भ्रष्टाचार करने की नीयत से अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए नोटशीट के माध्यम से पूरी खरीदी की गई. इन वर्षों में दो करोड़ 10 लाख 47 हजार रुपये का बंदरबांट हो गया, लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं की गई. उस समय भी इसकी शिकायत हुई थी, बाकायदा जांच हुई थी. जांच में दो करोड़ 10 लाख का घोटाला निकलकर सामने आया था, लेकिन उस जांच रिपोर्ट को ही दबा दिया गया.

वहीं, अब कलेक्टर रीवा प्रतिभा पाल कहती हैं कि आपकी ओर से जानकारी मिली है. हमारे पास शिकायत आएगी, तो जांच करा कर कार्रवाई जरूर करेंगे. वहीं, दूसरी ओर वर्तमान CMHO संजीव शुक्ला ने कहा कि जिस प्रकरण की आप बात कर रहे हैं, यह पुराना प्रकरण है, इसकी जांच वरिष्ठ कार्यालय की ओर से किया जाएगा.

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