पाकिस्तान के सारे हमले भारत में नाकाम क्यों? जानें ‘सुदर्शन’ की ताकत को

हाल के भारत-पाकिस्तान के बीच उत्पन्न हुए तनाव के चलते पाकिस्तान बार-बार भारत पर हमला कर रहा है। वहीं, भारत भी हमले के जवाब में कार्रवाई कर रहा है। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब भारत ने 6 मई की देर रात पाकिस्तान में स्थित आंतकी कैंप्स को ध्वस्त करके दिया था। जिसे ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया था। हालांकि इसमें न तो पाकिस्तान के किसी भी सैन्य ठिकाने को निशाना बनाया गया और न ही कोई आम नागरिक को इससे नुकसान हुआ। यह कार्रवाई सिर्फ आतंकी कैंप पर की गई थी।

इस कार्रवाई से बौखलाए पाकिस्तान ने भारत की सीमा पर गोलीबारी शुरू कर दी। इसके बाद कई सारे ड्रोन और मिसाइल आदि से हमले भी किए, लेकिन पाकिस्तान के हर हमले को भारतीय सेना और उसके एयर डिफेंस सिस्टम ने नाकाम कर दिया। वहीं, इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान के लाहौर स्थित एयर डिफेंस सिस्टम को ही ध्वस्त कर दिया। आइए जानते हैं कि आखिर पाकिस्तान के हर वार भारत पर नाकाम क्यों हो जा रहे हैं?

कमजोर है पाकिस्तान का एयर डिफेंस सिस्टम
पाकिस्तान का एयर डिफेंस सिस्टम मुख्य रूप से चीनी मूल के सिस्टम्स जैसे HQ-9P, HQ-9BE, LY-80, और FM-90, साथ ही कुछ पुराने फ्रांसीसी और अमेरिकी सिस्टम जैसे क्रोटेल और MPQ-64 सेंटिनल पर निर्भर है। इन सिस्टम्स की टेक्नोलॉजी और परिचालन सीमाएं भारतीय हमलों के खिलाफ उनकी नाकामी का प्रमुख कारण रही हैं।

सीमित रेंज और कवरेज
पाकिस्तान का सबसे उन्नत सिस्टम, HQ-9P, 125 किमी तक की रेंज के साथ हवाई जहाजों और 25 किमी तक क्रूज मिसाइलों को रोक सकता है। वहीं, HQ-9BE की रेंज 200 किमी तक है। हालांकि, यह भारत के S-400 सिस्टम की 400 किमी रेंज और 600 किमी डिटेक्शन रेंज के मुकाबले कमजोर है। लाहौर, कराची, और रावलपिंडी जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में ही ये सिस्टम तैनात हैं, जिससे व्यापक कवरेज की कमी रहती है।

रडार और ट्रैकिंग की खामियां
HQ-9P और LY-80 जैसे सिस्टम HT-233 PESA (पैसिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन ऐरे) रडार पर निर्भर हैं, जो भारत के S-400 और बराक-8 में उपयोग होने वाले AESA (एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन ऐरे) रडार की तुलना में कम उन्नत हैं। AESA रडार 360-डिग्री कवरेज, बेहतर ट्रैकिंग, और इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेजर्स के खिलाफ मजबूती प्रदान करते हैं। पाकिस्तान के सिस्टम में 360-डिग्री कवरेज की कमी और मल्टी-टारगेट ट्रैकिंग में सीमाएं हैं, जिसके कारण भारतीय राफेल जेट्स और ब्रह्मोस मिसाइलों (Mach 3+) जैसे हाई-स्पीड टारगेट्स को रोकना मुश्किल हो जाता है।

भारत की SEAD रणनीति का प्रभाव
भारत ने लाहौर में पाकिस्तान के HQ-9P और HQ-16 सिस्टम को निष्क्रिय करने के लिए इजरायली हार्पी ड्रोन और अन्य लॉइटरिंग म्यूनिशन्स का उपयोग किया है। ये हार्पी ड्रोन विशेष रूप से सप्रेशन ऑफ एनिमी एयर डिफेंस (SEAD) मिशनों के लिए डिजाइन किए गए हैं, जो रडार सिस्टम को स्वायत्त रूप से टारगेट करते हैं। इन ड्रोन्स की ऑल-वेदर और GNSS-डिनाइड वातावरण में काम करने की क्षमता ने पाकिस्तान के रडार और मिसाइल सिस्टम को अप्रभावी बना दिया है।

टेक्नोलॉजी और फाइनेंस की कमी
पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम का एकीकरण एक जटिल और महंगा कार्य है, जिसमें तकनीकी और वित्तीय चुनौतियां शामिल हैं। चीनी तकनीक पर अत्यधिक निर्भरता ने सिस्टम की स्वायत्तता को सीमित किया है, और पुराने सिस्टम जैसे क्रोटेल (1990 के दशक से उपयोग में) आधुनिक खतरों के खिलाफ अप्रभावी हैं। भारत ने राफेल जेट्स, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, और SCALP मिसाइलों का उपयोग किया, जो उच्च गति (Mach 3+) और सटीकता के साथ हमले करते हैं। पाकिस्तान के LY-80 और FM-90 सिस्टम, जो Mach 2.5 और Mach 1.2 तक के टारगेट्स को ही रोक सकते हैं, वे इन हथियारों के खिलाफ नाकाम रहे।

पाकिस्तान की खुली पोल
HQ-9 और अन्य चीनी सिस्टमों का वास्तविक युद्ध परिदृश्य में परीक्षण नहीं हुआ है, जबकि भारत का S-400 सिस्टम रूस-यूक्रेन युद्ध में अपनी प्रभावशीलता साबित कर चुका है। इस अनुभव की कमी ने पाकिस्तान के सिस्टम की कमजोरियों को उजागर किया।

बेहद एडवांस है भारत का सुदर्शन
रूस से प्राप्त S-400 सिस्टम, जिसको सुदर्शन चक्र के नाम से जाना जाता है,भारत के एयर डिफेंस की रीढ़ है। इसकी रेंज 40-400 किमी और डिटेक्शन रेंज 600 किमी है। यह 36 टारगेट्स को एक साथ ट्रैक और 80% से अधिक सफलता दर के साथ नष्ट कर सकता है। 7-8 मई 2025 को पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम करने में S-400 ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पठानकोट, राजस्थान, और गुजरात में तैनात यह सिस्टम जम्मू-कश्मीर और पंजाब की रक्षा करता है।

बराक-8 (MR-SAM/LR-SAM)
भारत और इजरायल द्वारा संयुक्त रूप से विकसित बराक-8 सिस्टम 70-100 किमी की रेंज और 360-डिग्री कवरेज प्रदान करता है। इसका EL/M-2084 AESA रडार क्रूज मिसाइलों और ड्रोन्स जैसे कम ऊंचाई वाले खतरों को प्रभावी ढंग से ट्रैक करता है। यह भारतीय वायुसेना और नौसेना दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।

आकाश और आकाश-NG
स्वदेशी आकाश सिस्टम 45 किमी (आकाश-1S) और 70-80 किमी (आकाश-NG) की रेंज के साथ मध्यम दूरी की रक्षा प्रदान करता है। इसका राजेंद्र III AESA रडार 64 टारगेट्स को ट्रैक और 12 मिसाइलों को गाइड कर सकता है। यह पाकिस्तान के JF-17 और ड्रोन्स जैसे TB2 और CH-4 के खिलाफ प्रभावी है।

QRSAM और VSHORAD
क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल (QRSAM) 25-30 किमी की रेंज के साथ त्वरित प्रतिक्रिया देता है, जबकि VSHORAD सिस्टम (जैसे शिल्का और तुंगुस्का) नजदीकी खतरों को नष्ट करता है। ये सिस्टम ड्रोन स्वार्म्स और लो-एल्टीट्यूड हमलों के खिलाफ मजबूत रक्षा प्रदान करते हैं।

एकीकृत काउंटर UAS ग्रिड
भारत का इंटीग्रेटेड काउंटर अनमैन्ड एयरक्राफ्ट सिस्टम (C-UAS) रडार, RF सेंसर, ऑप्टिकल कैमरे, और जैमिंग तकनीकों का उपयोग करके ड्रोन्स को ट्रैक और निष्क्रिय करता है। इसने 7-8 मई 2025 को पाकिस्तानी ड्रोन हमलों को पूरी तरह नाकाम किया।

बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD)
भारत का BMD प्रोग्राम, जिसमें पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD) और एडवांस्ड एयर डिफेंस (AAD) मिसाइलें शामिल हैं, 5,000 किमी तक की बैलिस्टिक मिसाइलों को रोक सकता है। प्रोजेक्ट कुशा के तहत 250-350 किमी रेंज की मिसाइलें विकसित की जा रही हैं, जो स्टील्थ फाइटर्स और क्रूज मिसाइलों को नष्ट कर सकती हैं।

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