
भारत के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान में आतंक के 9 ठिकानों को तबाह कर दिया। इसके बाद से ही पाकिस्तान लगातार भारत पर मिसाइल और ड्रोन से हमले कर रहा है। वहीं भारत भी लगातार जवाबी कार्रवाई कर रहा है। पाकिस्तान की ओर गुरुवार रात को भारत में 11 जगहों पर हमले किए गए लेकिन एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने सब कुछ तबाह कर दिया। इस बीच हमले को लेकर दुनियाभर के देशों की प्रतिक्रिया सामने आ रही है। भारत यूरोपीय देशों को लगातार हमले को लेकर ब्रीफ कर रहा है।
हालातों को लेकर चीन चिंतित
उधर चीन भी भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को लेकर चिंता में है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान में भारत की ओर से किए गए हवाई हमले अफसोसजनक है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि वे हालातों को लेकर चिंतित हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे के पड़ोसी देश हैं। दोनों देश चीन के भी पड़ोसी हैं। ऐसे में चीन सभी प्रकार के आतंकवाद का विरोध करता है।
चाइना ने किया बड़ा निवेश
मंत्रालय के प्रवक्ता ने दोनों देशों को संयम बरतने और ऐसी कार्रवाईयों से बचने की अपील की है। जोकि स्थिति और अधिक जटिल बना सकती है। विशेषज्ञों की मानें तो चीन कभी नहीं चाहेगा कि उसका भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़े। इसकी असल वजह उसका पाकिस्तान में किया गया निवेश है। पाकिस्तान में चीन ने 2005 से 2024 के बीच करीब 68 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश कर रखा है। इसके अलावा चीन ने चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर और बेल्ड एंड रोड में बड़ा निवेश कर रहा है। ऐसे में चीन नहीं चाहेगा कि मध्य एशिया को सड़क से जोड़ने का लक्ष्य अधूरा रह जाए।
कई मौकों पर पाकिस्तान की मदद की
बीबीसी हिंदी की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान और चीन के बीच कई दशकों से राजनयिक संबंध रहे हैं। इस दौरान आर्थिक दृष्टि से भी पाकिस्तान की चीन पर निर्भरता कम हुई है। चीन ने पाकिस्तान को हथियार तो दिए हैं लेकिन अब तक कभी भी भारत के खिलाफ युद्ध में साथ नहीं दिया है। कर्ज को लेकर एफटीएफ की सख्त कार्रवाईयों से बचने के लिए चीन कई मौकों पर पाकिस्तान की मदद के लिए आगे आया है।
चीन से हथियार खरीदता है पाकिस्तान
2024 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 23.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है। विशेषज्ञों की मानें तो चीन कभी नहीं चाहेगा कि पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध हो क्योंकि उसके आर्थिक हितों को नुकसान पहुंच सकता है। इस चीन और पाकिस्तान ने केवल संयुक्त सैन्य अभ्यास करते हैं बल्कि पाकिस्तान बड़े पैमाने पर चीन से हथियार खरीदता है। चीन पाकिस्तान के जरिए खाड़ी देशों तक पहुंचता है। कराची में उसके द्वारा तैयार किया गया ग्वादर पोर्ट तैयार है लेकिन वह उसका उपयोग तभी कर पाएगा जब क्षेत्र में शांति बनी रहेगी।
तीनों देशों को नुकसान होगा
विशेषज्ञों की मानें तो चीन की मजबूरी है कि अमेरिका के साथ ट्रेडवार में फंसा है ऐसे में वह भारत के साथ नया मोर्चा नहीं खोलना चाहता है। आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई में भारत उम्मीद कर रहा है कि उसे भी दुनिया से इजराइल जैसा समर्थन मिलेगा। भारत-पाकिस्तान और चीन पड़ोसी होने के साथ ही प्रतिद्वंदी भी है। ऐसे में अगर कोई अस्थिरता होती है नुकसान सभी को होगा।