क्या भारत रातोंरात रोक पाएगा पाकिस्तान का पानी:सिंधु जल पर उनकी 90% खेती निर्भर; अब पाकिस्तान के पास क्या रास्ता बचा

पहलगाम हमले के बाद भारत ने जो कदम उठाए हैं, उनमें सबसे बड़ा फैसला है- सिंधु जल समझौते पर रोक लगाना। पाकिस्तान की खेती, पीने का पानी और बिजली उत्पादन का बड़ा हिस्सा इसी पानी पर निर्भर है। दोनों देशों के बीच 3 जंग के बावजूद भारत ने ये समझौता बरकरार रखा था।

PM मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने सिंधु जल समझौता रोकने समेत 5 पॉइंट एक्शन लागू किया है। इसके जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मैसेज दिया है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच कभी कोई रिश्ते बनेगें, तो उसमें आतंकवाद को रत्ती भर जगह नहीं है।

सवाल-1: पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार भारत ने कौन-से 5 बड़े फैसले किए?

जवाबः भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर फैसले लेने वाली सबसे बड़ी बॉडी का नाम है- कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी यानी CCS। प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष होते हैं। रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, वित्त मंत्री और विदेश मंत्री इसके सदस्य होते हैं।

22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद 23 अप्रैल को प्रधानमंत्री आवास में CCS की मीटिंग हुई। करीब ढाई घंटे की बैठक में 5 पॉइंट एक्शन लागू करने का फैसला हुआ…

  • पहला एक्शन: पाकिस्तान के सीमा पार आतंकवाद का समर्थन रोकने तक सिंधु जल समझौता स्थगित।
  • दूसरा एक्शन: अटारी-वाघा चेक पोस्ट को तुरंत बंद किया गया। कानूनी तौर पर जो लोग चेक पोस्ट पार कर चुके हैं, उन्हें 1 मई से पहले वापस जाना होगा।
  • तीसरा एक्शन: पाकिस्तानी नागरिकों को SAARC वीजा छूट योजना के तहत भारत आने की इजाजत नहीं होगी। पहले से जारी सभी वीजा रद्द होंगे। साथ ही वीजा पर पहले से भारत आए पाकिस्तानियों को अगले 48 घंटे में देश छोड़ना होगा।
  • चौथा एक्शन: दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात रक्षा और सैन्य सलाहकारों को एक हफ्ते में भारत छोड़ना होगा। इन पदों को अब खत्म माना जाएगा। भारत भी अपने रक्षा सलाहकारों को इस्लामाबाद से वापस बुलाएगा।
  • पांचवां एक्शन: भारत और पाकिस्तान उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 की जाएगी। ये कटौती 1 मई 2025 से लागू होगी।

सवाल-2: भारत सरकार के इन 5 बड़े फैसलों से आखिर होगा क्या?

जवाबः BHU में यूनेस्को चेयर फॉर पीस प्रोफेसर प्रियंकर उपाध्याय बताते हैं,

पाकिस्तान की कमजोर सरकार को भारत सरकार ने मैसेज दिया है कि अब हम आतंकवाद को नजरअंदाज नहीं करेंगे और आपको इसे रोकना पड़ेगा।

1960 में सिंधु जल समझौते पर दस्तखत करते हुए पंडित जवाहर लाल नेहरू और अयूब खान। सबसे दाएं वर्ल्ड बैंक के वाइस प्रेसिडेंट विलियम इलिफ बैठे हैं।
1960 में सिंधु जल समझौते पर दस्तखत करते हुए पंडित जवाहर लाल नेहरू और अयूब खान। सबसे दाएं वर्ल्ड बैंक के वाइस प्रेसिडेंट विलियम इलिफ बैठे हैं।

1. सिंधु जल समझौता स्थगित करने का असर

  • पाकिस्तान में खेती की 90% जमीन यानी 4.7 करोड़ एकड़ एरिया में सिंचाई के लिए पानी सिंधु नदी प्रणाली से मिलता है। पाकिस्तान की नेशनल इनकम में एग्रीकल्चर सेक्टर की हिस्सेदारी 23% है और इससे 68% ग्रामीण पाकिस्तानियों की जीविका चलती है। ऐसे में पाकिस्तान में आम लोगों के साथ-साथ वहां की बेहाल अर्थव्यवस्था और बदतर हो सकती है
  • पाकिस्तान के मंगल और तारबेला हाइड्रोपावर डैम को पानी नहीं मिल पाएगा। इससे पाकिस्तान के बिजली उत्पादन में 30% से 50% तक की कमी आ सकती है। साथ ही औद्योगिक उत्पादन और रोजगार पर असर पड़ेगा।

2. अटारी-वाघा बॉर्डर बंद करने का असर

  • अमृतसर से 28 किमी दूर मौजूद अटारी बॉर्डर पाकिस्तान के साथ ट्रेड के लिए इकलौता मंजूर जमीनी रास्ता है। अफगानिस्तान के साथ भी भारत यहां से व्यापार करता है। 2023-24 में यहां से करीब 3,886 करोड़ का व्यापार हुआ।
  • इस बॉर्डर के जरिए भारत से सोयाबीन, चिकन, मीट, सब्जियां, लाल मिर्च, प्लास्टिक दाना जैसे चीजें जाती हैं। वहीं पाकिस्तान, अफगानिस्तान से भारत में सूखे मेवे, खजूर, जिप्सम, कांच, सेंधा नमक और कई जड़ी-बूटियां आती हैं। चेक पोस्ट बंद होने से इन सब पर रोक लग जाएगी।
  • इलाज कराने के लिए भारत आने वाले पाकिस्तानियों को भी दिक्कत होगी। 2023-24 में 71.5 हजार लोगों से इस रास्ते का इस्तेमाल किया था।
अटारी बॉर्डर पर होने वाली बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी की तस्वीर।
अटारी बॉर्डर पर होने वाली बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी की तस्वीर।

3. SAARC वीजा छूट योजना रद्द होने का असर

  • इस योजना के तहत राजनेता, पत्रकार, व्यापारी, खिलाड़ी जैसी 24 कैटेगरी में बिना वीजा की यात्रा की सुविधा थी, लेकिन अब इसे रद्द कर दिया है। साथ ही 48 घंटे में पाकिस्तानियों को भारत छोड़ने के एक्शन से अब उन्हें जल्द से जल्द बाहर निकलनी की तैयारी करनी होगी।

4. उच्चायोग से सैन्य सलाहकारों की वापसी का असर

  • पाकिस्तानी उच्चायोग के डिफेंस, मिलिट्री, नेवी और एयरफोर्स के सलाहकारों को ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित करने से अब ये पद खत्म माने जाएंगे। भारत भी इस्लामाबाद से अपने सलाहकारों को वापस बुलाएगा। यानी दोनों देशों के बीच मिलिट्री-डिप्लोमैटिक रिलेशंस पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे।
  • ये सलाहकार दोनों देशों के बीच मिलिट्री मूवमेंट और इंटेलिजेंस इन्फॉर्मेशन साझा करने में रोल निभाते थे। ऐसे में इनके न होने से दोनों देशों के बीच ऐसी जानकारियों साझा नहीं होंगी, जिससे गलतफहमियां और तनाव बढ़ सकता है।
  • मिलिट्री कम्युनिकेशन चैनल बंद होने से दोनों देशों के बीच होने वाले छोटे-छोटे टकरावों का बड़े संघर्ष में तब्दील होने का खतरा बढ़ जाएगा।
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में मौजूद भारतीय उच्चायोग और उसके अधिकारी।
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में मौजूद भारतीय उच्चायोग और उसके अधिकारी।

5. उच्चायोग कर्मचारियों की संख्या 30 करने का असर

  • ये फैसला भारत-पाकिस्तान रिश्तों के न्यूनतम स्तर पर पहुंचने को दर्शाता है। इससे दोनों देशों के वीजा, ट्रेड, सिविल हेल्प जैसे डिप्लोमैटिक कामों पर असर पड़ेगा। ऐसे में पाकिस्तानियों को भारत में वीजा लेना मुश्किल हो जाएगा, जिससे एजुकेशन, हेल्थ और ट्रैवल सेक्टर को नुकसान होगा।

भारत के पूर्व डिप्लोमैट और रिटायर्ड IFS अफसर जेके त्रिपाठी मानते हैं कि इन फैसलों में सबसे बड़ा फैसला है सिंधु जल समझौते पर रोक। वे कहते हैं,

सिंधु जल समझौते का सीधा असर आम पाकिस्तानियों पर पड़ेगा। इस समझौते के तहत पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भारत से पानी जाता था, जो अब रुक जाएगा। इससे वहां चीख-पुकार मच जाएगी।

सवाल-3: भारत-पाकिस्तान के बीच का सिंधु जल समझौता क्या है?

जवाबः सिंधु नदी प्रणाली में कुल 6 नदियां हैं- सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज। इनके किनारे का इलाका करीब 11.2 लाख किलोमीटर में फैला हुआ है। इसमें 47% जमीन पाकिस्तान, 39% जमीन भारत, 8% जमीन चीन और 6% जमीन अफगानिस्तान में है। इन सभी देशों के करीब 30 करोड़ लोग इन इलाकों में रहते हैं।

1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के पहले से ही भारत के पंजाब और पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बीच नदियों के पानी के बंटवारे का झगड़ा शुरू हो गया था। 1947 में भारत और पाक के इंजीनियरों के बीच ‘स्टैंडस्टिल समझौता’ हुआ। इसके तहत दो मुख्य नहरों से पाकिस्तान को पानी मिलता रहा। ये समझौता 31 मार्च 1948 तक चला।

1 अप्रैल 1948 को जब समझौता लागू नहीं रहा तो भारत ने दोनों नहरों का पानी रोक दिया। इससे पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की 17 लाख एकड़ जमीन पर खेती बर्बाद हो गई। दोबारा हुए समझौते में भारत पानी देने को राजी हो गया।

इसके बाद 1951 से लेकर 1960 तक वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में भारत पाकिस्तान में पानी के बंटवारे को लेकर बातचीत चली और आखिरकार 19 सितंबर 1960 को कराची में भारत के PM नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच दस्तखत हुए। इसे इंडस वाटर ट्रीटी या सिंधु जल संधि कहा जाता है।

सवाल-4: भारत ने इस समझौते को रद्द कर दिया या सिर्फ फिलहाल रोक लगाई है?

जवाबः 23 अप्रैल की शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा,

CCS ने फैसला किया है कि 1960 की सिंधु जल समझौते को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया जाएगा, जब तक कि पाकिस्तान विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से सीमापार आतंकवाद को सपोर्ट देना बंद नहीं कर देता।

JNU में इंटरनेशनल स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर राजन कुमार बताते हैं, ‘विदेश सचिव के बयान से साफ जाहिर है कि भारत अब सिंधु जल समझौते से अलग हो गया है और इसकी शर्तें मानने के लिए बाध्य नहीं है। हालांकि, ग्राउंड पर इसके एक्शन देखने में थोड़ा समय लगेगा। दरअसल, नदियों का पानी रोकने या मोड़ने के लिए डैम, हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट या किसी और तैयारी के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होगा।’

राजन कुमार मानते हैं कि पाकिस्तान का सिस्टम ही ऐसा है कि वो आतंकवाद को नहीं रोक सकते। राजन कुमार कहते हैं,

पाकिस्तान की नीयत ही नहीं है कि वो आतंकवाद को खत्म करे या भारत में किसी तरह के आतंकी हमले को रोके। वहां के सिस्टम की सोच पूरी तरह से एंटी-इंडिया है। इस माहौल में हाल के सालों में भारत और पाकिस्तान के रिश्ते सुधरने की उम्मीद न के बराबर है। यानी सिंधु जल समझौते पर भी कोई बात नहीं बनेगी।

सवाल-5: क्या भारत के पास सिंधु जल समझौते के तहत पाकिस्तान जाने वाले पानी को रोक सकता है?

जवाबः दरअसल, सिंधु जल समझौता एक स्थायी संधि है। इसे कोई एक देश अपनी मर्जी से रद्द नहीं कर सकता। दोनों देश मिलकर ही इसमें कोई बदलाव कर सकते हैं।

हालांकि, स्ट्रैटजी एनालिस्ट ब्रह्मा चेलानी कहते हैं,

वियना समझौते के लॉ ऑफ ट्रीटीज की धारा 62 के तहत भारत इस आधार पर संधि से पीछे हट सकता है कि पाकिस्तान उसके खिलाफ आतंकी गुटों का इस्तेमाल कर रहा है। इंटरनेशनल कोर्ट ने भी कहा है कि अगर मौजूदा स्थितियों में कोई बदलाव हो तो कोई भी संधि रद्द की जा सकती है।

इंफ्रास्ट्रक्चर की बात इसलिए जरूरी है क्योंकि ये सभी नदियां भारत के ऊंचाई के इलाके में हैं। भारत से बहकर ही ये पाकिस्तान के इलाकों में पहुंचती हैं।

पूर्वी नदियों पर भारत के 5 बड़े प्रोजेक्ट चालू, 3 की तैयारी: भारत ने पूर्वी नदियों यानी सतलुज पर भाखड़ा नागल बांध, ब्यास पर पोंग बांध, रावी पर रंजीत सागर बांध और हरिके बैराज, इंदिरा नहर जैसे प्रोजेक्ट लगाए हुए हैं। ये सभी प्रोजेक्ट चालू हैं, जिससे भारत इन नदियों के 3.3 करोड़ एकड़ फीट पानी में से करीब 94% पानी का इस्तेमाल करता है।

2019 में उरी आतंकी हमले के बाद भारत ने कहा था कि वह इन नदियों का बहाव मोड़कर 100% पानी अपने यहां इस्तेमाल करेगा। इसके बाद रावी पर शाहपुर कांडी प्रोजेक्ट, सतलुज ब्यास नहर लिंक प्रोजेक्ट और रावी की सहायक नदी पर ‘उझ डैम’ बनाया जा रहा है। हालांकि, अभी ये प्रोजेक्ट पूरी तरह बनकर तैयार नहीं हुए है।

पश्चिमी नदियों पर भारत के 2 प्रोजेक्ट चालू, 2 की तैयारी: पाकिस्तान के हिस्से वाली पश्चिमी नदियों में चिनाब पर भारत ने बगलीहार डैम और रतले प्रोजेक्ट, चिनाब की एक और सहायक नदी मारुसूदर पर पाकल डुल प्रोजेक्ट और झेलम की सहायक नदी नीलम पर किशनगंगा प्रोजेक्ट शुरू किया है। इनमें से बगलीहार प्रोजेक्ट और किशनगंगा चालू हैं।

सिंधु जल समझौते से पूरी तरह बाहर आने के बाद इन बांधों और परियोजनाओं के जरिए भारत वेस्टर्न रिवर्स का ज्यादा से ज्यादा पानी इस्तेमाल करना शुरू कर सकता है। हालांकि, डैम बनाकर और उनमें पानी स्टोर करके ऐसा रातोंरात नहीं किया जा सकता। पश्चिमी नदियों में पूरी सिंधु जल प्रणाली का करीब 80% पानी है। इसे अचानक रोकने से भारत के पंजाब और जम्मू-कश्मीर के इलाकों में बाढ़ की स्थिति भी बन सकती है।

सवाल-6: भारत-पाक के बीच 3 जंग के बावजूद सिंधु जल समझौता बरकरार क्यों है?

जवाबः प्रोफेसर प्रियंकर उपाध्याय अंग्रेजी की एक कहावत कहते हुए समझाते हैं कि भारत सरकार का इस समझौते को रद्द करना ये दिखाता है कि अब और नहीं सहा जा सकता है। यानी पाकिस्तान को आतंकवाद को लेकर ठोस कदम उठाने होंगे, तब ही कोई बात बनेगी।

प्रोफेसर राजन कुमार बताते हैं,

सिंधु जल समझौता एक ऐसी बायलैट्रल ट्रीटी है, जिसकी दुनियाभर में दाद दी जाती है। भारत-पाक के बीच 3 जंग हुई। कभी भी इन जंग के दौरान या बाद में इस समझौते को रद्द नहीं किया गया। लेकिन अब दोनों देशों के रिश्ते इतने लो-लेवल पर आ गए हैं कि इस ट्रीटी को स्थगित कर दिया गया।

भारत-पाक के बीच 3 जंग होने के बावजूद भी ये समझौता बरकरार रहने की बड़ी वजहें…

  • 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ल्ड बैंक ने मध्यस्थता करते हुए सिंधु जल समझौता करवाया। वर्ल्ड बैंक ने इसकी गारंटी दी और विवादों को सुलझाने की बात कही। ऐसे में दोनों देशों को इसे तोड़ना आसान नहीं रहा।
  • इसके अलावा पाकिस्तान की 90% खेती इसी पर निर्भर है और भारत भी इसके पानी का इस्तेमाल करता है। अगर इसे खत्म करते तो दोनों देशों की कृषि और लोगों पर सीधा असर पड़ता।
  • इस ट्रीटी का ट्रांसबाउंड्री जल संधि माना जाता है, जो युद्धकाल में भी बरकरार रहती है। इसके तहत पानी को हथियार नहीं बनाया जाना चाहिए। ऐसे में ये ट्रीटी बरकरार रही।
  • दोनों देशों के बीच कम्युनिकेशन करने के लिए एक स्थायी सिंधु आयोग भी बनाया गया, जो हर साल मीटिंग करता है और जानकारी साझा करता है।
  • इसके अलावा भारत को अपनी अंतरराष्ट्रीय साख को बचाने के लिए भी कभी इस ट्रीटी को खत्म करने या रद्द करने के बारे में नहीं सोचता था।

सवाल-7: अब पाकिस्तान के पास क्या विकल्प है?

जवाबः सिंधु जल समझौते में मध्यस्थता निभाने का काम वर्ल्ड बैंक के पास है। ऐसे में पाकिस्तान वर्ल्ड बैंक का रुख कर सकता है।

विदेश मामलों के जानकार प्रोफेसर राजन कुमार कहते हैं, ‘पाकिस्तान इस मुद्दे को भले वर्ल्ड बैंक, यूनाइटेड नेशंस या किसी और अतंरराष्ट्रीय मोर्चे पर उठाए, लेकिन कुछ नहीं होगा। क्योंकि हर किसी को पता है कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले में कहीं न कहीं पाकिस्तान की भूमिका है। ऐसे में कोई ग्लोबल स्टेज या नेशन पाकिस्तान के साथ नहीं खड़ा होगा। वैसे भी ये वैश्विक मंच टूथलेस हैं, यानी इनके पास कोई शक्ति नहीं है। हालांकि, ऐसे में मौके पर पाकिस्तान चीन को याद कर सकता है।’

डिप्लोमैटिक एक्सपर्ट जेके त्रिपाठी कहते हैं,

चीन ने भी पहलगाम हमले की निंदा की है, क्योंकि वो भी जानता है कि पाकिस्तान आतंकवाद को पनाह देता है। इसके बाद शायद ही है कि चीन खुलेतौर पर पाकिस्तान को इस मुद्दे पर सपोर्ट करे। हालांकि, दबे-छिपे चीन मदद करता रहेगा।

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