
मध्य प्रदेश के रीवा जिले में आवेदन दे-दे कर थक चुके एक युवक ने इस बार फिर से शिकायत का अलग तरीका अपनाया. यहां के एक गांव में अधूरी पड़ी सड़क, पुल निर्माण का काम पूरा नहीं हुआ और कोई सुनवाई नहीं हुई तो वह अब तक दिए गए ज्ञापन की कॉपी को पूरे शरीर पर लपेटकर कलेक्ट्रेट परिसर पहुंच गया. जिम्मेदार ठेकेदार पर कार्रवाई की मांग की. इतना ही नहीं कलेक्टर, कमिश्नर, मुख्यमंत्री, लोक निर्माण मंत्री, और प्रधानमंत्री को पैदल और कार पर गांव पहुंचने पर इनाम देने की घोषणा कर डाली. इस युवक के इस तरह से कलेक्ट्रेट पहुंचने पर प्रशासनिक महकमें में हड़कंप मच गया. आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है और युवक को इस बार ऐसा करने के लिए क्यों इतना मजबूर होना पड़ गया.
गांव वालों का कहना है कि हमारे गांव में अगर कलेक्टर पैदल आएं तो उनको ₹20 देंगे, कार से आने पर ₹50, कमिश्नर को ₹30 पैदल आने पर, कार से आने पर 60 रुपए. मुख्यमंत्री को पैदल आने पर 51 रुपए कार से आने पर ₹500, लोक निर्माण विभाग के मंत्री को पैदल आने पर ₹10 कार से आने पर ₹21, प्रधानमंत्री को पैदल आने पर 500 कार से आने पर ₹1000 गांव वाले देंगे.

रीवा जिले के दूर दराज के इलाके में आज भी स्थितियां बेहद खराब है, खास तौर से बारिश के मौसम में सड़क, पुल, न होने की वजह से लोगों को आने-जाने में काफी परेशानी होती है. ऐसा ही एक गांव है सिरमौर विधानसभा क्षेत्र के जवा तहसील में ग्राम पंचायत गाढ़ा. इस गांव की जनसंख्या लगभग 800 के आसपास है, जहां पर बारिश के दिनों में आने-जाने का कोई साधन नहीं है.
दो करोड़ से ज्यादा रुपये हुए थे स्वीकृत
जिसके चलते सिरमौर के विधायक ने इस गांव में पुल और सड़क बनवाने के लिए दो करोड़ 51 लाख 15 हजार रुपए स्वीकृत करवाए थे. बाकायदा काम शुरू करने का भूमि पूजन किया गया, ठेकेदार ने भी 8-10 ट्रक मिट्टी डाली और काम बंद कर दिया. लंबा वक्त बीता, कई साल हो गए, लेकिन ना सड़क बनी ना पुल. जिसके चलते गांव के लोग ज्ञापन लेकर रीवा पहुंचने लगे. हफ्ते दर हफ्ते एक लंबा समय बीत गया, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई.तब गांव के एक युवक धनेश सोनकर ने रीवा से भोपाल जा कर, मुख्यमंत्री से मिलने, गांव में पुल और सड़क चोरी की रिपोर्ट दर्ज करने के लिए पद यात्रा करने का निश्चय किया.
लेकिन जिम्मेदार अधिकारी उसको रास्ते से ही ले आए. यह कहते हुए कि काम प्रारंभ कर दिया जाएगा. लेकिन काम शुरू ही नहीं हुआ था. ऐसे में एक बार फिर युवक आज तक दिए गए ज्ञापन को अपने शरीर पर लपेटकर, कलेक्ट्रेट पहुंच गया और वहीं धरना देने की बात कहने लगा. ये देखकर प्रशासन में हड़कंप मच गया. जिला पंचायत सीईओ और तहसीलदार युवक के पास पहुंचे और एक हफ्ते का आश्वासन दिया. गांव वालों का कहना है कि हमारे गांव में ना तो बेहतर तरीके से पैदल आया जा सकता है, ना ही कार से, जब सड़क ही नहीं है तो आप चलेंगे कहां?