
बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना राजनीति में वापसी नहीं करेंगी। उनके बेटे और पूर्व आधिकारिक सलाहकार साजिब वाजेद जॉय ने सोमवार को यह दावा किया। उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने अपने परिवार के आग्रह पर और अपनी सुरक्षा के लिए देश छोड़ा है। 76 वर्षीय हसीना ने अपनी सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बीच इस्तीफा दे दिया और सुरक्षित स्थान के लिए रवाना हो गईं।
एक साक्षात्कार में जॉय ने कहा कि उनकी मां की कोई राजनीतिक वापसी नहीं होगी। हसीना रविवार से ही इस्तीफा देने पर विचार कर रही थीं। वे अपने परिवार के आग्रह के बाद उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए देश छोड़ दिया था। रिपोर्ट के मुताबिक, जॉय ने कहा कि उनकी मां ने 15 साल तक बांग्लादेश पर शासन किया। अब वह बहुत निराश थीं कि उनकी इतनी मेहनत के बाद भी अल्पसंख्यक उनके खिलाफ उठ खड़े हुए।
हसीना की निराशा व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने बांग्लादेश को बदल दिया। जब उन्होंने सत्ता संभाली थी, तो इसे एक असफल देश माना जाता था। यह एक गरीब देश था। आज तक इसे एशिया के उभरते देशों में से एक माना जाता था। ऐसे में वह बहुत निराश हैं।
300 लोग मारे गए
हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में सत्तारूढ़ अवामी लीग के समर्थकों के बीच रविवार को झड़पें हुईं। कुछ दिन पहले भी पुलिस और ज्यादातर छात्र प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पों में 200 से ज्यादा लोग मारे गए थे। एक पखवाड़े में यहां कम से कम 300 लोग मारे गए हैं।
सरकार के सख्त रवैये पर क्या बोले?
प्रदर्शनकारियों से निपटने में सरकार के सख्त रवैये के आरोपों को खारिज करते हुए जॉय ने कहा कि आपने पुलिसकर्मियों को पीट-पीटकर मार डाला। कल ही 13 लोगों की हत्या की गई। तो आप पुलिस से क्या उम्मीद करते हैं, जब भीड़ लोगों को पीट-पीटकर मार रही हो?
क्या है मामला?
प्रदर्शनकारी विवादास्पद आरक्षण प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। इसके तहत 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वालों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था।