दिल्ली सेवा विधेयक को लोकसभा से मंजूरी, राज्यसभा में NDA या INDIA में किसका पलड़ा भारी?

दिल्ली के अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े अध्यादेश की जगह लेने वाला विधेयक लोकसभा में गुरुवार (3 जुलाई) को पारित हो गया. माना जा रहा है कि सरकार इसे अब राज्यसभा में सोमवार (7 अगस्त) को पेश कर सकती है. इसी पर सभी की नजरें टिकी हुई है.

दरअसल, बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के पास लोकसभा में तो बहुमत है और यहां बिल आसानी से पास हो गया. वहीं राज्यसभा में एनडीए और विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ के पास लगभग बराबर सीटें हैं. ऐसे में वे दल दिल्ली अध्यादेश का भविष्य तक करेंगे जो न तो NDA के साथ हैं और न ही INDIA के साथ. 

किन दलों ने रुख साफ किया?
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बीजू जनता दल (BJD) और आंध्र प्रदेश के सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस अपना रुख साफ कर चुकी है. दोनों ही दलों ने गुरुवार (3 अगस्त) को लोकसभा में सरकार का साथ दिया. 

लोकसभा में चर्चा के दौरान विधेयक के पक्ष में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सांसद पीवी मिधुन रेड्डी ने कहा, ” ये सबसे अलग बिल है. ऐसे में मुझे उम्मीद है कि इसे दूसरे राज्यों में नहीं लाया जाएगा. इसी उम्मीद के साथ हम इसका समर्थन करते हैं.  

वहीं बीजेडी के सांसद (BJD) पिनाकी मिश्रा ने कहा कि देश की संसद के पास कानून बनाने का अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट को तय करने दीजिए कि ये अच्छा कानून है कि बुरा कानून है. ऐसा विधेयक ओडिशा, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के लिए नहीं लाया जा सकता.

बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस के रुख साफ करने से एनडीए को बढ़त मिल गई है. दोनों ही दलों के राज्यसभा में नौ-नौ सदस्य हैं. 

किस पर नजरें रहेगी?
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पर उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की बहुजन समाज पार्टी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगोड़ा की जेडीएस और पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी ने स्टैंड साफ नहीं किया है. इन तीनों ही दलों के राज्यसभा में एक-एक सांसद हैं. ऐसे में ये किस तरफ वोटिंग करेंगे इस पर सबकी नजरें रहेगी. 

बीआरएस किसका साथ देगी?
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति (BRS) मामले पर विपक्ष का साथ दे सकती है क्योंकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उनसे मुलाकात की थी. इस दौरान केसीआर ने केजरीवाल को भरोसा दिलाया था कि वो राज्यसभा में बिल के खिलाफ आम आदमी पार्टी (AAP) का साथ देगी. बीआरएस के राज्यसभा में सात सांसद हैं. 

किसका पलड़ा भारी?
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बीजेपी के नेतृत्व एनडीए के राज्यसभा में 100 सांसद है. बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन करने से केंद्र सरकार के पास 118 राज्यसभा सदस्यों का समर्थन हो गया. इसके अलावा माना जा रहा है कि नामित 5 सदस्य भी सरकार का साथ दे सकते हैं. तीन निर्दलीय सांसद भी हैं.

वहीं विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में शामिल 26 दलों में से 18 पार्टियों के राज्यसभा में सांसद है. इनके राज्यसभा में कुल 101 सदस्य हैं. इसके अलावा बीआरएस के सात सांसदों के समर्थन करने से विपक्षी दलों के पास 108 सदस्यों का समर्थन होगा. ऐसे में तो अभी एनडीए का पलड़ा भारी दिख रहा है. 

आप ने क्या कहा?

आप के राज्यसभा सांसद संदीप पाठक ने कहा कि लोकसभा में तो उनके (एनडीए) के पास नंबर था, लेकिन राज्यसभा में ये नहीं हो पाएगा. राज्यसभा में नंबर वन साइड नहीं है. 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोकसभा से बिल को मंजूरी मिलने पर कहा कि बीजेपी ने हमेशा दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का वादा किया. 2014 में मोदी ने कहा था कि प्रधानमंत्री बनने पर वह दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे, लेकिन आज इन लोगों ने दिल्ली के लोगों की पीठ में छुरा घोंपा है. आगे से मोदी जी की किसी भी बात पर विश्वास मत करना.

मामला क्या है?
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली के अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़ा अधिकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार यानी केजरीवाल सरकार के पास है. इसके देखते हुए केंद्र सरकार मई में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन (संशोधन) अध्यादेश, 2023 ले आई. इसकी जगह ही विधेयक लोकसभा से गुरुवार को पास हुआ. इसको लेकर ही दिल्ली की मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और केंद्र सरकार के बीच टकराव चल रहा है. 

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