सभी जानते हैं कि व्यायाम करना सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद होता है. व्यायाम से होने वाले शारीरिक और मानसिक लाभ को लेकर दुनिया में कई शोध हुए हैं. सभी निष्कर्षों में यह सामने आया है कि व्यायाम से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बहुत लाभ पहुंचता है.
आमतौर पर आम जन धारणा यह है कि व्यायाम हमारे शरीर को मजबूत बनाते हैं. लेकिन इसके मानसिक स्वास्थ्य के जुड़े फायदों को लेकर उन्हे ज्यादा जानकारी नहीं होती है. यह स्थिति सिर्फ भारत में ही नहीं दुनिया भर में बड़ी संख्या में लोग व्यायाम को ज्यादातर उन लोगों का टशन बताते हैं जिन्हे आकर्षक और सुडौल शरीर की चाह होती है. वहीं बड़ी संख्या में पुरुष और महिलाएं नियमित व्यायाम को जरूरी नहीं मानते और उससे कोसों दूर रहते हैं.
इन्ही तथ्यों को लेकर तथा लोगों तक व्यायाम की उपयोगिता की जानकारी पहुंचाने के उद्देश्य से दशकों से इस संबंध में शोध किए जाते रहे हैं. जिनके निष्कर्षों में व्यायाम के सामान्य स्वास्थ्य, शारीरिक समस्यायों व सामान्य व गंभीर रोगों में फ़ायदों के अलावा मानसिक स्वास्थ्य को लेकर फ़ायदों का भी उल्लेख किया गया है. आईए जानते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य में शारीरिक व्यायाम कैसे उपयोगी होते हैं, और क्या कहते हैं अलग-अलग शोधों के नतीजे.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
इंदौर में पंद्रह सालों से बास्केटबॉल तथा स्विमिंग प्रशिक्षक रहे श्याम सिंह गहलोत बताते हैं कि व्यायाम न केवल किसी व्यक्ति की शारीरिक बनावट में योगदान देता है, बल्कि वह उसे मानसिक रूप से भी मजबूत बनाता है. नियमित व्यायाम मनुष्य में मजबूत इच्छाशक्ति, अनुशासन, विपरीत परिस्थितियों में पड़ने वाले मानसिक दबाव व परेशानियों को सहने तथा उनसे संघर्ष करने की क्षमता, सूझबूझ तथा विपरीत परिस्थितियों में निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाता है.
वहीं स्पोर्ट्स फिजियोंथेरेपिस्ट डॉ अतुल कुंबले बताते हैं कि हमारा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य एक दूसरे पर निर्भर करता है. सामान्य हो या जटिल रोग, छोटी शारीरिक समस्या हो या बड़ी, हमारे मानसिक स्वास्थ्य को सीधे तौर पर प्रभावित करती है. व्यायाम के दौरान एकाग्रता व अनुशासन के साथ ध्यान केंद्रित किया जाता है, जो हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर नतीजे देता है।
व्यायाम का शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव की बात करें तो नियमित व्यायाम करने से शरीर में डोपामाइन और एंडोर्फिन जैसे हार्मोन्स पर असर पड़ता है. जो प्राकृतिक रूप से दर्द निवारक का कार्य करते हैं. मनोदशा को बेहतर करते हैं तथा खुशी, उत्साह तथा अन्य सकारात्मक भावनाओं का विकास करते हैं.
क्या कहते हैं शोध
- हार्वर्ड टी.एच. चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एक शोध के निष्कर्षों में शोधकर्ताओं ने बताया था कि हल्के से लेकर मध्यम स्तर के अवसाद के इलाज के लिए व्यायाम करना, अवसादरोधी दवा जितना ही कारगर हो सकता है. व्यायाम अवसाद के जोखिम को 26% तक कम करने में सक्षम हो सकता है.
- शोध में बताया गया था कि चिंता से हृदय गति बढ़ जाती है और सांस की तकलीफ होने लगती है. ऐसे में माइंडफुलनेस के साथ नियमित व्यायाम फायदेमंद हो सकता है. वहीं नियमित व्यायाम करने से चिंता होने पर भी शरीर कम तीव्रता के साथ प्रतिक्रिया करता है, जिससे चिंता से निपटना आसान हो जाता है.
- 2009 में एक अन्य शोध में इस बात के सबूत मिले थे कि व्यायाम पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के इलाज में मदद कर सकता है. विशेष रूप से कम तीव्रता वाले एरोबिक व्यायाम, पीटीएसडी के लक्षणों पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं.
- वर्ष 2016 में कनाडा की वैंकुवर स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया के शोधकर्ताओं ने अपने शोध में बताया था कि लगातार व्यायाम करने वाले लोगों की समग्र सोच कौशल में व्यायाम न करने वालों की तुलना में सुधार होता है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, नियमित व्यायाम करने वालों में रक्तचाप के स्तर में भी सुधार देखा गया था. दरअसल उच्च रक्तचाप का स्तर संवहनी संज्ञानात्मक (कॉग्निटिव वेस्क्युलर) गड़बड़ी के जोखिम को बढ़ा सकता है जोकि अलजाइमर की बीमारी के बाद डिमेंशिया का आम कारण है. इस अवस्था में संज्ञानात्मक गड़बड़ी यानी स्मृति व सोचने की क्षमता में समस्या पैदा हो जाती है.
- एक अन्य बड़े अध्ययन में यह बात सामने आयी थी कि जो लोग रोजाना 45 मिनट तक एक्सरसाइज करते हैं उनकी मेंटल हेल्थ बेहतर रहती है. इस अध्धयन में वर्ष 2011, 2013 और 2015 में हुए कुछ सर्वेक्षण के डेटा का इस्तेमाल किया गया था. शोध में बताया गया था कि यदि सप्ताह में 3 से 5 दिन भी 45 मिनट तक व्यायाम किए जाएं तो मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता हैं.
- शोध में यह भी कहा गया था कि मानसिक स्वास्थ्य के बेहतरी में खेल, जिम वर्कआउट, साइकिलिंग और एरोबिक्स जैसे व्यायाम ज्यादा फायदा पहुंचाते हैं. लेकिन इस शोध में यह भी कहा गया था कि जो लोग 3 घंटे से ज्यादा एक्सरसाइज करते हैं उनके मानसिक स्वास्थ्य पर इसका अच्छा असर नही पड़ता है. इस शोध में 1.2 मिलियन लोगों के डाटा का उपयोग किया गया. यह शोध निगरानी प्रणाली पर आधारित था.
- बोस्टन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के एक शोध में भी कहा गया था कि को जो बच्चे खेल में अच्छे होते हैं वो डिप्रेशन का शिकार नहीं होतें या कम होते हैं.