भोपाल । दमोह विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए गुरूवार को प्रचार थम गया। यहां 17 अप्रैल को मतदान होगा। इस बार भी यहां भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर है। भाजपा से राहुल सिंह लोधी और कांग्रेस से अजय टंडन प्रत्याशी हैं, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की साख दांव पर है। इन दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टी के प्रत्याशी को जिताने के लिए पूरी मेहनत की है। दमोह में कांग्रेस से भाजपा में आए राहुल सिंह लोधी के लिए पूर्व मंत्री जयंत मलैया को साधकर आखिरी मौके पर भाजपा मुकाबले में लौट आई है। इसके बावजूद राहुल सिंह की राह आसान नहीं है। अंदरखाने भाजपा का ही एक खेमा बिकाऊ बनाम टिकाऊ के मुद्दे को हवा दे रहा है। अब लोधी वोट बंटने का भी खतरा पैदा हो गया है। उसकी वजह भारतीय शक्ति चेतना पार्टी की उमासिंह लोधी की सभाओं में पहुंची भीड़ है। कांग्रेस के उम्मीदवार अजय टंडन इसे भुनाने में जुट गए हैं।
भाजपा में भितरघात का डर
कोरोनाकाल में उपचुनाव को लेकर हर तरफ चर्चा है लेकिन शिवराज सिंह चौहान के सामने तख्तियां दिखाने का मुद्दा सबसे बड़ी सुर्खियां बना। भाजपा ने इसे विरोधियों का षडय़ंत्र बताया तो कांग्रेसी इसे जनता की आवाज बता रहे हैं। 2018 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट से जीत चुके भाजपा प्रत्याशी राहुल सिंह की कमजोरी को टंडन अच्छे से जानते हैं। वे इसका फायदा उठाने की कोशिश में जुटे हैं लेकिन भाजपा ने जयंत मलैया, भूपेंद्र सिंह, सिद्धार्थ मलैया के साथ तमाम मंत्रियों को उतार रखा है। ऐसे में टंडन की राह इतनी आसान नहीं है।
केवल 798 वोटों से जीते थे राहुल
2018 के चुनाव में कांग्रेस से विधानसभा चुनाव लड़ते हुए राहुल सिंह लोधी ने भाजपा के प्रत्याशी जयंत मलैया को केवल 798 वोटों से हराया था। जयंत मलैया समर्थक आज भी इस कड़वे घूंट को गले से नहीं उतार पाए हैं और चुनाव में देर-सवेर इसकी झलक दिख भी रही है।
कांग्रेस के पास न कार्यकर्ता, न मैनेजमेंट
दमोह उपचुनाव में कांग्रेस भी अलग-थलग नजर आई। प्रचार के दौरान केवल कमलनाथ का ही जोर दिखा। दरअसल कांग्रेस के पास न कार्यकर्ता हैं, न मैनेजमेंट। वहीं भाजपा पूरे मैनेजमेंट के साथ चुनाव लड़ रही है। विधानसभा क्षेत्र में शिवराज सिंह चौहान से लेकर भाजपा के बड़े नेता प्रचार कर राहुल लोधी को जिताने की अपील कर चुके है जबकि कांग्रेस ने भी जबरदस्त चक्रव्यूह रच रखा है। ऐसे में देखना है कि कौन सियासी बाजी मारता है।
दमोह में शिवराज और कमलनाथ की साख दांव पर