2019 लोकसभा चुनाव के दौरान नॉर्थ-ईस्ट में भी इस बार कांटे का मुकाबला होने वाला है। इलाके की 8 राज्यों की 25 सीटों पर बीजेपी बड़ी जीत के लक्ष्य से उतरी है। पार्टी ने इन 25 सीटों में 22 जीतने का लक्ष्य रखा है। वहीं, कांग्रेस अपना खोया जनाधार पाने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। वहीं माना जा रहा है कि नॉर्थ-ईस्ट में क्षेत्रीय दलों की भी भूमिका खास होगी। इन दलों का झुकाव जिस ओर होगा, उसी का पलड़ा भारी दिखेगा।
बीजेपी के लिए है खास
चुनावी संग्राम से पहले बीजेपी की मंशा थी कि 2019 में हिंदी बेल्ट में अगर सीटों का कुछ नुकसान हुआ तो इसकी भरपाई इस इलाके से करेगी। लेकिन बीजेपी के लिए नागरिकता कानून रोड़ा बन गया। इस प्रस्तावित कानून ने बीजेपी को पहली बार टेंशन दी। असम में सहयोगियों ने साथ छोड़ना शुरू कर दिया, तो दूसरे राज्यों में भी विरोध बढ़ा। विवाद बढ़ता देख सरकार और बीजेपी ने इस कानून से हाथ खींच लिए। हालांकि, इस चुनाव में पार्टी को इस मुद्दे पर विरोध का सामना करना पड़ सकता है। वैसे असम में नाराज सहयोगियों को मना लिया गया है लेकिन दूसरे राज्यों में अब भी सवालों का सामना करना पड़ रहा है। बीजेपी इन मुद्दों को चुनाव के दौरान किस तरह पेश करती है, उससे भी नतीजे तय होंगे।
कांग्रेस के लिए वजूद बचाने का मौका
नॉर्थ-ईस्ट में अपना जनाधार खो चुकी कांग्रेस इस चुनाव के जरिए वापसी का मौका तलाश रही है। यही कारण है कि चुनाव से ठीक पहले लगभग सभी राज्यों में पार्टी ने नए सिरे से तैयारी भी की है। पुराने सहयोगियों को भी जोड़ा है। त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश में नया गठबंधन किया।
युवा और नए नेतृत्व पर भरोसा
कांग्रेस ने यहां युवा और नए नेतृत्व पर भरोसा किया। पार्टी को पता है कि अगर 2019 आम चुनाव में मोदी सरकार को रोकना है तो इस इलाके में बीजेपी को बढ़त से रोकना होगा।
इन 25 सीटों पर यह है गणित
2 014 में पार्टियों की स्थिति
2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां 25 में से 8 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं विपक्षी पार्टी कांग्रेस के खाते में भी 8 सीटें ही गई थीं। फिलहाल 2019 में स्थिति यह है कि बीजेपी जहां 8 में से 7 सीटों पर या तो सत्ता में है या सत्तारूढ़ पार्टी के साथ है, वहीं कांग्रेस फिलहाल किसी भी प्रदेश में सरकार में नहीं है।
सिक्किम (1 लोकसभा सीट)
11 अप्रैल को होने वाले चुनाव के लिए यहां कांग्रेस सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही है। उधर, एनडीए में सहयोगी एसडीएफ इस बार अकेले चुनावी मैदान में है। बीजेपी ने यहां सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के साथ गठबंधन किया है।
असम (14 लोकसभा सीट)
असम में फिलहाल 3 सीट पर कांग्रेस और 7 सीट पर बीजेपी का कब्जा है। यहां एनईडीए में सहयोगी एजीपी नागरिकता कानून के मुद्दे पर पहले बाहर हो गई थी। हालांकि चुनाव से पहले वह फिर अब साथ में है। ऐसे में यहां बीजेपी जहां 10 सीटों पर मैदान में है, वहीं एजीपी के खाते में 3 और बीपीएफ के खाते में एक सीट है।
अरुणाचल प्रदेश (2 लोकसभा सीट)
सूबे में सिर्फ दो लोकसभा सीट हैं। इनमें एक पर बीजेपी तो एक पर कांग्रेस का कब्जा है। इस बार भी यहां लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस में ही है। हालांकि छोटे दल भी मुख्य भूमिका निभा सकते हैं।
नगालैंड (1 सीट)
नगालैंड में 1 सीट फिलहाल एनपीएफ के पास है। सूबे में बीजेपी सत्तारूढ़ एनडीपीपी को समर्थन दे रही है। उधर, एनपीएफ ने अपना उम्मीदवार न उतारकर कांग्रेस को समर्थन का फैसला किया है। हालांकि पार्टी के एक विधायक ने एनडीपीपी को समर्थन की बात कही है।
मेघालय (2 लोकसभा सीट)
मेघालय में कांग्रेस और एनपीपी के पास फिलहाल एक-एक लोकसभा सीटे हैं। विधानसभा चुनाव में पार्टी फिलहाल सभी 25 सीटों पर अकेले मैदान में है। उधर, बीजेपी लोकसभा की दोनों सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही है। उधर, कांग्रेस ने भी दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं।
त्रिपुरा (2 लोकसभा सीट)
त्रिपुरा में दो लोकसभा सीटों पर सीपीएम का कब्जा है। बीजेपी के साथ सहयोगी आईपीएफटी इस बार सीट बंटवारे पर नाराज होकर अकेले चुनावी मैदान में है। उधर, कांग्रेस आईएनपीटी के साथ मैदान में है।
मिजोरम (1 लोकसभा सीट)
मिजोरम की एक लोकसभा सीट फिलहाल कांग्रेस के पास है। सूबे में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही क्षेत्रीय दलों को साथ लेकर चुनावी मैदान में हैं।
मणिपुर (2 लोकसभा सीट)
मणिपुर की 2 लोकसभा सीटों पर भी इस बार मुकाबला दिलचस्प होना तय है। अभी सूबे की दोनों सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। बीजेपी इस बार इसमें सेंध लगाने की कोशिश में है।