गणपति जी के अलंकारों व प्रतीको का उल्लेख धार्मिक कथाओ में किया गया है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार गणेश जी के हाथी वाले मुख के पीछे आध्यात्मिक रहस्य है। आज हम उन्हीं रहस्यों और उनके महत्व के बारे मे बताएंगे।
सूंड
गणपति जी की सूंड शक्ति का प्रतीक चिन्ह है। हाथी की सूंड इतनी शक्तिशाली होती है कि वह किसी वृक्ष को भी उखाड़ कर फेंक सकती है। साथ ही किसी भी छोटी से छोटी चीज़ को उठा सकती है।
कान
गणपति जी के बड़े-बड़े कान ज्ञान श्रवण के प्रतीक हैं । हमे यह शिक्षा देते हैं कि आवश्यक एवं महत्वपूर्ण बात चाहे वह खुद के प्रति हो या किसी और के प्रति हमें ध्यान से सुननी चाहिए । शास्त्रों में भी इस बात का वर्णन है कि गुरु जब अपने शिष्य को मंत्र देते हैं तो उसके कान में ही मंत्र उच्चारण करते हैं ।
आंखें
गणपति जी की आंखे दिव्य-दृष्टि वाली होती हैं और दूरदर्शिता का प्रतीक होती हैं। उन्हें छोटी चीज भी बड़ी दिखाई देती है ।
गणेश जी का बड़ा सा पेट
गणेश जी का पेट बहुत बड़ा होता है और ग्रहण करने की शक्ति का प्रतीक होता है। ज्ञानवान व्यक्ति की निंदा स्तुति होती है परंतु वह उनको स्वयं में संभाल लेता है । गणेश जी का बड़ा पेट ज्ञानवान के इसी गुणों का प्रतीक हैं।
वरद मुद्रा
गणपति जी का एक हाथ हमेशा वरद मुद्रा में रहता है। गणेश जी हमेशा दाता के रूप में रहते हैं । हमे भी अपने सामर्ध्य अनुसार दान-पुण्य करते रहना चाहिए ।
मोदक
मोदक ज्ञान का प्रतिक होते हैं। जिस तरह गणपति जी को मोदक बड़े प्रिय है और मोदक गणपति जी को आकर्षित करते है।उसी प्रकार हमे भी ज्ञान की तरफ आकर्षित होना चाहिए।