कुछ दिन पहले एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया है था कि सोशल मीडिया अकाउंट को आधार से लिंक करना होगा। इस रिपोर्ट के बाद काफी हंगामा हुआ था। वहीं अब सरकार जल्द ही संसद के मौजूदा सत्र में नया विधेयक पेश करने वाली है जिसके बाद सोशल मीडिया इस्तेमाल करने वालों करोड़ों यूजर्स को अपना वेरिफिकेशन कराना पड़ सकता है। इस बिल के पास होने पर व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिकटॉक जैसे एप का इस्तेमाल करने के लिए यूजर्स को पहले KYC (नो योर कस्टमर) कराना होगा। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से…
क्यों लाया जा रहा है यह विधेयक सरकार यह विधेयक इसलिए लेकर आएगी, ताकि फर्जी खबरों (फेक न्यूज) के प्रसार पर लगाम लग सके।
इसके लिए इन कंपनियों को अपने यहां पर एक ऐसा मैकेनिज्म तैयार करना पड़ेगा। वहीं इस वेरिफिकेशन को कंपनियों को पब्लिक में दिखाना भी पड़ेगा, जैसा ट्विटर में होता है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक यूजर्स को अपनी केवाईसी करानी होगी। इसके लिए वो पैन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड या फिर पासपोर्ट जैसे सरकारी डॉक्यूमेंट दे सकेंगे। इससे सोशल मीडिया पर चल रहे फर्जी अकाउंट को हटाने में और उनकी जानकारी मिलने में सरकार को मदद मिलेगी।
फेक न्यूज से हो चुकी है 30 लोगों की मौत इंडिया स्पैंड के अनुसार फेक न्यूज के चलते 2017 से लेकर के 2018 तक 30 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं व्हाट्सएप ने इसका प्रसार रोकने के लिए मैसेज फॉरवर्ड करने की अधिकतम सीमा को पांच किया था। वहीं फेसबुक और अन्य कंपनियां ने इसका विरोध किया था, क्योंकि कई लोगों के पास वेरिफिकेशन देने के लिए कोई डॉक्यूमेंट नहीं होता है। निजी डाटा चुराने पर अब कंपनी के जिम्मेदार अधिकारियों को तीन साल की जेल भी हो सकती है और कंपनी को 15 करोड़ रुपये तक या उसके वैश्विक टर्नओवर का चार फीसदी जुर्माना भी देना पड़ सकता है। कैबिनेट से निजी डाटा संरक्षण विधेयक, 2019 को मंजूरी मिलने के बाद अधिकारियों ने बताया कि इस विधेयक में निजी डाटा की चोरी करने या फिर उसका बेजा इस्तेमाल करने पर रोक लगाने के कई प्रावधान किए गए हैं।
डाटा लीक होने पर कंपनियों पर लगेगा भारी जुर्माना अब सरकार संसद में चल रहे शीतकालीन सत्र में इसके लिए विधेयक पेश करेगी। सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि इस बिल की चर्चा पहले संसद में की जाएगी। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने विधेयक को कैबिनेट और दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के पास भेज दिया है। इस विधेयक के मुताबिक, कोई भी निजी या सरकारी संस्था किसी व्यक्ति के डाटा का उसकी अनुमति के बिना इस्तेमाल नहीं कर सकती। चिकित्सा आपातकाल और राज्य या केंद्र की लाभकारी योजनाओं के लिए ऐसा किया जा सकता है। किसी भी व्यक्ति को उसके डाटा के संबंध में अहम अधिकार होंगे। संबंधित व्यक्ति अपने डाटा में सुधार या फिर संस्था के पास मौजूद अपने डाटा तक पहुंच की मांग कर सकता है। हालांकि सरकार वेरिफिकेशन को जरूरी न करके इसको ऑप्शनल कर सकती है।