नये आयुक्त आने के बाद भी परिवहन विभाग में जारी है गोरखधंधा

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भोपाल:जिस प्रदेश की अन्तर्राज्यीय सीमाओं पर स्थापित परिवहन चौकियों से गुजरने वाले वाहन चालकों से अवैध वसूली का सिलसिला अनवरत जारी है और इस अवैध वसूली को रोकने के लिये कोई भी सरकार पहल करने को तैयार नहीं है क्योंकि इन परिवहन चौकियों की यदि अवैध वसूली के इतिहास पर नजर डालें तो शिवपुरी जिले की सीमा पर स्थापित सिकंदरा बैरियर पर तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के शासनकाल में जिले के प्रभारी कलेक्टर और प्रभारी सचिव की गाडिय़ां अचानक थम जाने के बाद जो अफरा तफरी सिकंदरा बैरियर में मची थी उसी के चलते वहां रखे गमलों और अखबारों की रद्दियों ने लाखों रुपये उगले थे, लेकिन दिग्विजय सिंह के शासनकाल के बाद जब प्रदेश में उमा भारती की सरकार आई तो भाजपा के नेता उमाशंकर गुप्ता ने विधानसभा में एक ध्यानाकर्षण के माध्यम से प्रदेश की परिवहन चौकियों से पूर्व दिग्विजय सिंह के शासनकाल की तरह वहां से गुजरने वाले प्रदेश को वाहन चालकों से १२०० रुपये और बाहर के वाहन चालकों से २४०० रुपये अवैध वसूली के रूप में वसूलने का आरोप लगाया था। लेकिन मजे की बात तो यह है कि जब स्वयं उमाशंकर गुप्ता परिवहन मंत्री बने तो उन्होंने अपने द्वारा लगाई गई इस तरह की अवैध वसूली पर रोक लगाने की दिशा में कोई कार्यवाही नहीं की, हालांकि उनकी इस दोहरी नीति को लेकर तमाम सवाल खड़े हो रहे थे। लेकिन पूर्व की शिवराज सरकार में इन्हीं परिवहन चौकियों की अवैध वसूली के चलते भाजपा के कई नेताओं की माली हालत में आश्चर्यजनक परिवर्तन हुआ यह तो सागर से खजुराहो जाने वाले रोड पर स्थापित एक भाजपा नेता की खड़े महलनुमा व्यावसायिक आलीशान भवनों को देखकर हर कोई को इन परिवहन चौकियों की अवैध कमाई का खेल समझ में आ जाता है, ऐसा नहीं कि परिवहन विभाग की अवैध कमाई से राजनेताओं की सम्पत्ति में बढ़ोतरी हुई हो, तो इस अवैध कमाई की चाशनी से परिवहन विभाग के उन कर्मचारियों की जो इन परिवहन चौकियों पर प्रभारी के रूप में तैनात रहे हैं, ऐसे अधिकारियों की सम्पत्ति की भी चर्चाएं जोरों पर हैं और इन परिवहन चौकियों से जुड़े अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ-साथ उन निजी कटरों जो इन परिवहन चौकियों से गुजरने वाले वाहन चालकों के साथ लठैतों के दम पर अवैध वसूली करने से नहीं चूकते हैं, शायद यही वजह है कि केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी कई बार यह कह चुके हैं कि परिवहन विभाग के अधिकारी चम्बल के डकैतों से ज्यादा खतरनाक हैं हालांकि इन परिवहन चौकियों पर अवैध वसूली का यह गोरखधंधा वर्षों से चर्चाओं में है, लेकिन नये परिवहन आयुक्त जो कि उस संस्था से आये हैं जिस संगठन की जिम्मेदारी हमेशा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की रही है। उनके इस विभाग के मुखिया बनने के बाद अब वाहन चालकों को यह उम्मीद जागी थी कि परिवहन चौकियों से गुजरने पर अब उनको अवैध वसूली से मुक्ति मिल जाएगी लेकिन विभाग में वर्षों से सक्रिय इस अवैध वसूली के खेल में माहिर रैकेट के चलते ऐसा लगता है कि नये परिवहन आयुक्त भी अब उसी कार्यशैली में रमा गये, तभी तो उनके विभाग के मुखिया बनने के बाद भी अभी तक इन परिवहन चौकियों पर अवैध वसूली का खेल बंद नहीं हुआ तो वहीं वर्षों से सक्रिय रैकेट के इस विभाग में हावी होने के चलते विभाग द्वारा अभी एक नया करिश्मा करने की जुगाड़ में है, इस करिश्मे के चलते मेडिकल अनफिट तीन बार दिल का ऑपरेशन करा चुके आठ माह बाद सेवा से मुक्त होने वाले निरीक्षक नवलकिशोर बाथम को ग्वालियर-चंबल संभाग के एक पूर्व मंत्री तथा वर्तमान सरकार में ताकतवर विधायक की सिफारिश पर शिवपुरी जिले की सीमा पर स्थित सिकंदरा परिवहन चौकी का प्रभारी बनाये जाने की खबरें हैं, विभाग में जारी चर्चाओं पर यदि भरोसा करें तो बाथम एकमात्र ऐसे प्रभारी रहेंगे जो इन परिवहन चौकियों पर वर्षों से अवैध कमाई की चली आ रही परम्परा को कायम रखने के लिये निजी कटरों के माध्यम से इन परिवहन चौकियों को चलायेंगे, हालांकि बाथम की इस पदस्थापना को लेकर विभाग में तरह-तरह की चर्चायें व्याप्त हैं लेकिन बाथम अकेले ऐसे परिवहन निरीक्षक नहीं हैं जिनकी सिफारिश करने के लिये सत्ताधारी नेताओं की जरूरत पड़ी। विभाग में ऐसे कई अधिकारी और कर्मचारी हैं जो सत्ता किसी की भी हो उनके नेताओं और मंत्रियों के चहेते बने रहते हैं ऐसे ही विभाग में एक ओर निरीक्षक पीडी पटेल के नाम की भी चर्चा जोरों पर है इनकी शक्तिशाली होने की धाक के आगे विभाग का मुखिया तक कुछ नहीं कर पाते हैं और वर्षों से हमेशा कमाई वाली परिवहन चौकियों पर ही तैनात रहे हैं आजकल वह नीमच जिले की नयागांव परिवहन चौकी पर तैनात तो हैं तो वहीं विभाग में दूसरी ओर इस तरह की चर्चाओं का दौर जारी है कि नयागांव के साथ-साथ पटेल झाबुआ जिले की पिटोल और रीवा जिले की हनुमना चौकी का भी संचालन कर रहे हैं। पता नहीं, पटेल का तीन-तीन चौकियों के प्रभारी होने के पीछे क्या राज है यह तो विभाग के अधिकारी और विभाग के मुखिया ही जानें इसी बीच विभाग में इस तरह की भी चर्चा जोरों पर है कि विभाग के नये मुखिया के आने के बाद भी विभाग में वर्षों से सक्रिय परिवहन चौकियों की अवैध कमाई का रैकेट से जुड़े अधिकारियों के द्वारा अब कमाई वाली परिवहन चौकियों पर तैनाती के लिये भी नई दरें तय कर रखी हैं, विभाग में चल रही चर्चाओं पर यदि भरोसा करें तो लोकायुक्त संगठन से आकर नये परिवहन आयुक्त का पदभार संभालने के बाद अब प्रदेश की सबसे कमाई वाली बड़वानी जिले की सीमा पर स्थापित सेंधवा परिवहन चौकी पर पदस्थापना केक लिये छ: से लेकर आठ करोड़ रुपये तक की दर निर्धारित किये जाने की चर्चा है तो लगभग इससे आसपास ही नयागांव, मुलताई, हनुमना, खवासा, मुरैना, खिलचीपुर जैसी परिवहन चैकपोस्टों पर पदस्थापना के लिये पुराने परिवहन आयुक्त की विदाई के बाद अब नई दरें निर्धारित होने की चर्चा है, विभाग में चल रही चर्चाओं के अनुसार इस तरह की पदस्थापना कराने के पीछे वर्षों से परिवहन आयुक्त के निजी सचिव की अहम भूमिका होने की चर्चा है और साथ ही चर्चा तो यह भी है कि इन्हीं निजी सचिव के माध्यम से पूरे परिवहन चौकियों की अवैध वसूली की कमाई प्रतिमाह परिवहन आयुक्त से लेकर विभाग से जुड़े तमाम प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर सत्ताधीशों तक पहुंचाई जाती है। परिवहन आयुक्त के निजी सचिव जो वर्षों से इसी पद पर तैनात है और यही नहीं वह अपनी कार्यशैली के चलते इस अवैध कमाई के कर्ताधर्ता होने के कारण हर विभाग के मुखिया की आंखों के तारे बने हुए हैं? अवैध कमाई के लिये वर्षों से चर्चित रहे परिवहन विभाग के मुखिया के निजी सचिव होने के नाते सवाल यह उठता है कि जब परिवहन विभाग के अदने से वाहन चालक के यहां करोड़ों रुपये की सम्पत्ति का खुलासा सुर्खियों में रहा था तो वर्षों से एक ही पद पर जमे इन निजी सचिव की सम्पत्ति को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है।

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