खुशियों की दास्ताँ” आय में वृद्धि का नया स्त्रोत – मशरूम उत्पादन

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इंदौर जिले के सांवेर विकासखण्ड के पालकापरिया गांव के श्री प्रवीण यशवंत यादव ने ऑयस्टर मशरूम की खेती शुरू की। जिसका तकनीकी प्रशिक्षण उन्हें आत्मा योजना के अन्तर्गत दिया गया। ऑयस्टर मशरूम की खेती के लिये कृषक ने 50 किग्रा. स्पॉन (बीज), 5 लीटर फार्मलीन, 500 ग्राम बाविस्टिन, 500 किग्रा गेहूं का भूसा तथा 5 हजार लीटर पानी का उपयोग किया। जिसकी खेती में कृषक प्रवीण ने 11 हजार 480 रूपये व्यय कर प्रत्येक बैग (18 से 20 रूपये प्रति बैग लागत) पर 135 रूपये का मुनाफा कमाया। जिससे उनकी कृषि से आय में कई गुना वृद्धि हो गई।
कृषि विस्तार सुधार कार्यक्रम आत्मा इंदौर द्वारा नवाचार गतिविधि के अन्तर्गत मशरूम उत्पादन शुरू कराया गया। मशरूम, जो कि एक फफूंद है, 47 प्रतिशत प्रोटिन तथा अमीनो एसिड, फॉलिक एसिड, आयरन एवं फायबर रिच होता है। मुख्यत: तीन विशेष प्रकार के मशरूम – बटन मशरूम, ऑयस्टर मशरूम तथा दूधिया मशरूम उगाये जाते हैं।
विगत कई वर्षों से भारतीय बाजार में मशरूम की मांग काफी तेजी से बढ़ रही है। लेकिन बाजार में मांग की तुलना के हिसाब से उत्पादकता बहुत कम है। जिसके कारण किसानों को बाजार में अच्छा मूल्य प्राप्त हो रहा है तथा मशरूम की खेती किसानों की आय में वृद्धि का एक नया स्त्रोत बनती जा रही है। बाजार में इसकी मांग का कारण व्यंजन में उपयोगिता के साथ-साथ औषधीय एवं पौषकीय गुण भी है।

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