आश्विन मास की अमावस्या तिथि को पितृ पक्ष समाप्त होने के बाद मां दुर्गा को समर्पित शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाती है। भक्त इस पर्व के आने का बेसब्री से इंतजार करते हैं। पहले दिन शुभ मुहूर्त में घटस्थापना और मां दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है। इसके साथ ही माता रानी को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं और प्रिय फूल अर्पित किए जाते हैं। मान्यता है कि मां दुर्गा को ये चीजें अर्पित करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। साथ ही व्यक्ति को मां दुर्गा का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। आइए इस लेख में आपको बताते हैं कि किस दिन मां दुर्गा के किस स्वरूप को कौन सा फूल अर्पित करना चाहिए?
नवदुर्गा को कौन सा फूल अर्पित करना चाहिए?
पहला दिन
मां शैलपुत्री को शारदीय नवरात्रि का पहला दिन समर्पित होता है। मान्यता है कि मां शैलपुत्री को लाल गुड़हल का फूल और सफेद कनेर का फूल प्रिय है। इन्हें पूजा में शामिल करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
दूसरा दिन
शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है। मां ब्रह्मचारिणी को बरगद के फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है। इससे जातक को मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
तीसरा दिन
शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा पूजा के लिए शुभ माना जाता है. मां चंद्रघंटा को कमल का फूल प्रिय है. इस फूल को पूजा में शामिल करने से जातक को सभी कार्यों में सफलता मिलती है.
चौथा दिन
चौथा दिन मां कुष्मांडा को समर्पित है. मां कुष्मांडा को पीले फूल और चमेली के फूल चढ़ाने चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को निरोगी जीवन की प्राप्ति होती है.
पांचवां दिन
. मां स्कंदमाता की पूजा में पीले फूल शामिल किए जाते हैं. ऐसा करने से साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.
छठा दिन
छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. मां कात्यायनी को गेंदे का फूल प्रिय है. मां कात्यायनी को गेंदे के फूल जरूर चढ़ाने चाहिए.
सातवां दिन
शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित है. मां कालरात्रि की पूजा में नीले फूल शामिल करने चाहिए.
आठवां दिन
मां महागौरी को चमेली के फूल बहुत प्रिय हैं। इस दिन पूजा में चमेली के फूल शामिल करना सबसे अच्छा माना जाता है। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है।
नौवां दिन
नौवां यानी आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित है। मां सिद्धिदात्री को चंपा और गुड़हल के फूल चढ़ाने से पूजा सफल होती है।