जानिए शारदीय नवरात्रि का शुभ मुहूर्त और योग

पितृ पक्ष के खत्म होने के बाद ही शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है। सर्व पितृ अमावस्या यानी आश्विन अमावस्या के अगले दिन से कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है। शारदीय नवरात्रि का पहला दिन आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि को होता है। उस दिन सुबह स्नान करने के बाद कलश स्थापना की जाती है, मां दुर्गा का आह्वान किया जाता है, फिर व्रत, पूजन आदि किया जाता है। इस साल शारदीय नवरात्रि के कलश स्थापना के लिए 2 शुभ मुहूर्त हैं। इनमें से कौन सा आपके लिए अच्छा रहेगा? आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि कब से शुरू हो रही है? कलश स्थापना का मुहूर्त क्या है?

इंद्र योग में शारदीय नवरात्रि की शुरुआत
इस साल शारदीय नवरात्रि इंद्र योग और हस्त नक्षत्र में शुरू हो रही है। शारदीय नवरात्रि के पहले दिन 3 अक्टूबर की सुबह से लेकर अगले दिन 4 अक्टूबर को सुबह 4:24 मिनट तक इंद्र योग है। उसके बाद वैधृति योग है। प्रतिपदा के दिन सुबह से दोपहर 3:32 बजे तक हस्त नक्षत्र भी है। उसके बाद चित्रा नक्षत्र है, जो पूरी रात तक है।

शारदीय नवरात्रि 2024 कब है
इस साल शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर गुरुवार से शुरू हो रही है। पंचांग के अनुसार आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि 2 अक्टूबर को दोपहर 12:18 बजे से शुरू होकर 4 अक्टूबर को सुबह 2:58 बजे समाप्त होगी।

कलश स्थापना मुहूर्त 2024
इस साल शारदीय नवरात्रि की कलश स्थापना के लिए 2 शुभ मुहूर्त प्राप्त हो रहे हैं। एक मुहूर्त सुबह और दूसरा मुहूर्त दोपहर में है।

  1. पहला मुहूर्त
    कलश स्थापना का पहला मुहूर्त सुबह 6:15 बजे से है, जो 7:22 बजे तक रहेगा। सुबह माता रानी के भक्तों को घटस्थापना के लिए 1 घंटे 6 मिनट का शुभ समय मिलेगा। जो लोग सुबह कलश स्थापना करना चाहते हैं उनके लिए यह समय अच्छा है। सुबह का शुभ और सर्वश्रेष्ठ समय भी सुबह 06:15 से 07:44 बजे तक है।
  2. दूसरा मुहूर्त

नवरात्रि की घटस्थापना के लिए दूसरा शुभ समय दोपहर का है। यह अभिजीत मुहूर्त है, जिसे कलश स्थापना के लिए बहुत शुभ माना जाता है। जो लोग सुबह कलश स्थापना नहीं कर सकते, वे सुबह 11:46 से दोपहर 12:33 बजे के बीच घटस्थापना कर सकते हैं। सुबह के बाद दिन में कलश स्थापना के लिए 47 मिनट का शुभ समय है।

नवरात्रि का पहला दिन

नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखा जाता है और विधि-विधान से पूजा की जाती है।

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