कैबिनेट ने सोमवार को किसानों के जीवन को बेहतर बनाने और उनकी आय बढ़ाने के लिए 13,966 करोड़ रुपये की सात प्रमुख योजनाओं को मंजूरी दी. डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर आधारित, ‘डिजिटल कृषि मिशन’ के तहत 2,817 करोड़ रुपये के खर्च के साथ किसानों के जीवन में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा.
ये हैं 7 योजनाएं
इसमें मृदा प्रोफ़ाइल, डिजिटल फसल अनुमान, डिजिटल उपज मॉडलिंग, फसल ऋण के लिए कनेक्ट, एआई और बिग डेटा जैसी आधुनिक तकनीकों, खरीदारों से जुड़ने और मोबाइल फोन पर नया ज्ञान लाने का प्रावधान है. इसमें दो मूलभूत स्तंभ शामिल हैं. कृषि स्टैक और कृषि निर्णय सहायता प्रणाली (भू-स्थानिक डेटा, सूखा/बाढ़ की निगरानी और फसल की उपज और बीमा आदि के लिए मॉडलिंग). दूसरी योजना का नाम ‘खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए फसल विज्ञान’ है. इसका कुल खर्च 3,979 करोड़ रुपये है. यह पहल किसानों को जलवायु लचीलेपन के लिए तैयार करेगी और 2047 तक खाद्य सुरक्षा प्रदान करेगी.
2,291 करोड़ रुपये के कुल खर्च के साथ ‘कृषि शिक्षा, प्रबंधन और सामाजिक विज्ञान को मजबूत बनाना’ योजना कृषि छात्रों और शोधकर्ताओं को वर्तमान चुनौतियों के लिए तैयार करेगी और इसमें निम्नलिखित शामिल हैं. 1,702 करोड़ रुपये के खर्च वाली ‘सतत पशुधन स्वास्थ्य और उत्पादन’ योजना का लक्ष्य पशुधन और डेयरी से किसानों की आय बढ़ाना है. इसमें पशु स्वास्थ्य प्रबंधन और पशु चिकित्सा शिक्षा, डेयरी उत्पादन और प्रौद्योगिकी विकास, पशु आनुवंशिक संसाधन प्रबंधन, उत्पादन और सुधार और पशु पोषण शामिल है.
860 करोड़ रुपये के खर्च वाली पांचवीं योजना, ‘बागवानी का सतत विकास’ का उद्देश्य बागवानी पौधों से किसानों की आय बढ़ाना है. कैबिनेट को बताया गया कि ‘कृषि विज्ञान केंद्र का सुदृढ़ीकरण’ योजना का खर्च 1,202 करोड़ रुपये है, जबकि ‘प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन’ योजना का खर्च 1,115 करोड़ रुपये है.