केंद्र सरकार ने पिछले सप्ताह ‘पुरानी पेंशन’ बहाली की बजाए एनपीएस में सुधार कर नई पेंशन योजना ‘यूनिफाइड पेंशन स्कीम’ (यूपीएस) लागू करने की घोषणा की है। ज्यादातर कर्मचारी संगठनों ने यूपीएस का विरोध किया है। कई संगठनों ने केंद्र सरकार का यूपीएस पर नोटिफिकेशन आने से पहले ही विरोध का बिगुल बजा दिया है। बड़े कर्मचारी संगठनों ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर यूपीएस का विरोध जताया है। एनएमओपीएस के अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने ओपीएस बहाली के लिए दो सितंबर से छह सितंबर तक एक अभियान शुरु किया है। इसके तहत पूरे देश के शिक्षक एवं दूसरे कर्मचारी, काली पट्टी बांधकर काम करेंगे। इस अभियान का मकसद, सरकार को चेताना है। विजय बंधु का कहना है कि केंद्र सरकार को यूपीएस/एनपीएस हटाकर दोबारा से पुरानी पेन्शन बहाली करनी होगी।
सोमवार से इस अभियान की शुरुआत की गई है। बंधु के मुताबिक, सभी प्रदेशों में सरकारी कर्मचारी में काली पट्टी बांधकर काम करेंगे। वे सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि पुरानी पेंशन बहाल की जाए। ‘नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम’ की गत सप्ताह हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में केंद्र सरकार द्वारा घोषित की गई यूपीएस योजना का विरोध किया गया है। इसे कर्मचारियों के बुढ़ापे के लिए जोखिम वाली योजना बताया है। यूपीएस से रिटायर्ड पर्सन की सामाजिक सुरक्षा खत्म होती है। इस बाबत प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर पुरानी पेंशन बहाली की मांग की गई है।
केंद्र सरकार, पुरानी पेंशन बहाल कर कर्मचारियों व शिक्षकों को राहत दे। एनपीएस व यूपीएस से कर्मचारियों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। कर्मचारियों द्वारा काली पट्टी बांधकर विरोध जताने का असर देशभर में देखा गया है। केन्द्र-राज्य का ऐसा कोई विभाग नहीं बचा, जहां कर्मचारियों ने कार्य तो किया, परन्तु काली पट्टी बांध कर। स्कूल, कालेज, डिग्री कालेज, विश्वविद्यालय, रेलवे स्टेशन, बस अड्डा, लेखपाल, सफाई कर्मचारी, राजस्व महकमा, बैंक कर्मी, डॉक्टर, नर्स, ट्रैक मैन और लोको पायलट समेत सभी कर्मचारियों ने बढ़ चढ़ कर इस अभियान में हिस्सा लिया है।
एनएमओपीएस के पदाधिकारियों का कहना है कि कर्मचारियों की एकजुटता ही इस आंदोलन की ताकत है, क्योंकि पेंशन की लड़ाई हर एक कर्मचारी की लड़ाई है। ओपीएस की मांग को लेकर देश का पूरा शिक्षक व कर्मचारी समुदाय एकजुट हो गया है। वे ओपीएस बहाली के लिए प्रतिबद्ध है। एनपीएस व यूपीएस, दोनों ही छलावा हैं। पुरानी पेंशन ही सामाजिक सुरक्षा की मजबूत गारन्टी है। एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बन्धु ने इस बाबत प्रधानमंत्री मोदी को पत्र भी लिखा है।
बंधु ने कहा है कि देश के एक करोड़ से ज्यादा शिक्षक, कर्मचारी व अधिकारी, बाजार आधारित और विसंगतिपूर्ण एनपीएस व्यवस्था के दुष्परिणाम का दंश झेल रहे हैं।
कर्मचारी अपनी सेवानिवृत्ति के बाद इस व्यवस्था में अपने जीवन के गुजर बसर के लिए परेशान हैं। वजह, एनपीएस में जो पेंशन दी जा रही थी, वह पर्याप्त नहीं थी। पूरे देश के कर्मचारी व केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवान, पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे थे। इस बीच केंद्र सरकार द्वारा पुरानी पेंशन बहाल न कर नई पेंशन योजना ‘यूनिफाइड पेंशन स्कीम’ (यूपीएस) लाने की घोषणा कर दी गई। इसमें जो प्रावधान हैं, उन्हें लेकर कर्मियों में भारी रोष व्याप्त है। अभी तक यूपीएस से जो जानकारी प्राप्त हुई है, उसके अनुसार, एनपीएस से भी ज्यादा खराब है।
इसमें शिक्षकों, कर्मचारियों व अधिकारियों को मिलने वाले बेसिक पे व डीए के वेतन का 10वां भाग, सरकार कटौती के नाम पर ले रही है। विजय बंधु ने 29 अगस्त को लिखे अपने पत्र में कहा है कि इस कटौती के जरिए जो राशि सरकार अपने पास रखेगी, वह कर्मचारियों को नहीं मिलेगी। पुरानी पेंशन व्यवस्था में यदि कोई कर्मचारी, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले लेता है तो उसकी पेंशन, सेवानिवृत्ति की तिथि से शुरु कर दी जाती थी, लेकिन अब यूपीएस में उसे 60 वर्ष के बाद पेंशन देने की बात कही गई है। इसी तरह यूपीएस में बहुत सारी विसंगतियां हैं।
बतौर विजय कुमार, यह व्यवस्था, किसी भी तरह से ओपीएस का स्थान नहीं ले सकती। देश के सभी कर्मचारी, पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे हैं, क्योंकि लोक कल्याणकारी राज्य में सामाजिक सुरक्षा, सरकार की जिम्मेदारी है। एनएमओपीएस के अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने पीएम मोदी से आग्रह किया है कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों सहित करोड़ों कर्मचारियों व अधिकारियों की सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल की जाए। विजय बंधु ने इसी सप्ताह सोशल मीडिया पर पुरानी पेंशन बहाली के लिए एक अभियान शुरु किया था, जो एक्स पर ट्रेंड कर गया था।