सुबह 11 बजे पेश होगा मोदी 3.0 का पहला आम बजट; वित्त मंत्रालय पहुंचीं निर्मला सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई यानी आज वित्तीय वर्ष 2024-25 का बजट पेश करेंगी। इस बजट में करदाताओं को वित्त मंत्री से किसी बड़े राहत के एलान की उम्मीद है। बजट को लेकर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि आम बजट अमृतकाल का महत्वपूर्ण बजट होगा। यह पांच साल के लिए हमारी दिशा तय करने के साथ ही 2047 तक विकसित भारत की आधारशिला रखेगा।

वित्त मंत्रालय पहुंचीं वित्त मंत्री
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण नॉर्थ ब्लॉक स्थित वित्त मंत्रालय पहुंच गई हैं। वह आज संसद में केन्द्रीय बजट 2024-25 पेश करेंगी।

सबका साथ, सबका विकास के मूलमंत्र पर आधारित होगा बजट’
आज पेश होने वाले केंद्रीय बजट 2024 पर वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी का जो मंत्र है-सबका साथ सबका विकास…आपने देखा है कि बजट राष्ट्रहित में आता है और इसी प्रकार से यह बजट आएगा।’

वित्त मंत्रालय पहुंचे मुख्य आर्थिक सलाहकार
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन वित्त मंत्रालय पहुंच गए हैं। आज मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला आम बजट पेश किया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री ने वित्त मंत्री को दी बधाई
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को दी बजट की बधाई।

कर छूट सीमा में हो सकता है बदलाव
वर्तमान में, नई कर व्यवस्था में मूल छूट सीमा तीन लाख रुपये निर्धारित की गई है। सरकार इस बजट में छूट सीमा को बढ़ाकर पांच लाख कर सकती है। चर्चा है कि सरकार मानक कटौती की मौजूदा सीमा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर सकती है, जिससे कर गणना सरल हो जाएगी और वेतनभोगी कर्मचारियों की आय में वृद्धि होगी।

हर 100 रुपये की कमाई पर लगता था 97.75 रुपये टैक्स
1973-74 में भारत में आयकर की दर सबसे ज्यादा थी। उस समय आयकर वसूलने की अधिकतम दर 85 फीसदी कर दी गई थी। सरचार्ज मिलाकर यह दर 97.75 फीसदी तक पहुंच जाती थी। 2 लाख रुपये की आमदनी के बाद हर 100 रुपये की कमाई में से सिर्फ 2.25 रुपये ही कमाने वाले की जेब में जाते थे। बाकी 97.75 रुपये सरकार रख लेती थी।

शादीशुदा और कुंवारों को भरना पड़ता था अलग-अलग टैक्स
1955 में जनसंख्या बढ़ाने के लिए पहली बार देश में शादीशुदा और कुंवारों के लिए अलग-अलग टैक्स फ्री इनकम रखी गई। इसके तहत शादीशुदा लोगों को 2000 रुपये तक की आमदनी तक कोई टैक्स नहीं देना पड़ता था। वहीं, कुंवारों के लिए यह लिमिट 1000 रुपये ही थी।

भारत 1958 में बच्चों की संख्या के आधार पर इनकम टैक्स में छूट देने वाला दुनिया का इकलौता देश बना। शादीशुदा होने पर यदि बच्चा नहीं है तो 3000 रुपये तक की आय पर टैक्स नहीं देना पड़ता था। लेकिन, एक बच्चे वाले व्यक्तियों के लिए 3300 रुपये और 2 बच्चों पर 3600 रुपये की आय टैक्स फ्री थी।

मध्यम वर्ग के लिए 80सी के तहत छूट की सीमा बढ़ाई जा सकती है
बजट में सरकार मध्यम वर्ग के लिए बड़े एलान कर सकती है। इसके तहत जमा पर ब्याज में आयकर में छूट बढ़ सकती है और आयकर के स्लैब में भी बढ़ोतरी हो सकती है।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर (विधानमंडल के साथ) की अनुमानित प्राप्तियों और व्यय (2024-25) के विवरण भी अंग्रेजी और हिंदी में सदन में पेश करेंगी। इसके साथ ही केंद्रीय वित्त मंत्री राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003 की धारा 3 की उपधारा (1) के तहत मध्यम अवधि की राजकोषीय नीति सह राजकोषीय नीति रणनीति विवरण और मैक्रो-इकोनॉमिक फ्रेमवर्क स्टेटमेंट की एक-एक प्रति (अंग्रेजी और हिंदी में) भी सभा पटल पर रखेंगी।

राज्यसभा में वर्ष 2024-25 के लिए सरकार की अनुमानित प्राप्तियाँ और व्यय को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सदन के पटल पर अपना बयान देंगीं। इसके बाद लोकसभा में केंद्रीय बजट 2024-25 की प्रस्तुति के समापन के एक घंटे बाद वह बजट पेश करेंगी।

सुबह 11 बजे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में बजट पेश करेंगी।

किसान, अग्निवीर और नीट मामले में मोदी सरकार को घेरेगी कांग्रेस
कांग्रेस मानसून सत्र में सरकार को किसान, अग्निवीर और नीट के मुद्दे पर घेरेगी। पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर सोमवार को कांग्रेस के संसदीय रणनीतिक समूह की बैठक में तय हुआ कि बजट में भाग लेने के साथ पार्टी आक्रामक ढंग से जनता से जुड़े मुद्दे उठाएगी और इन मुद्दों पर मोदी सरकार को जवाबदेही तय करने के लिए विवश करेगी।

सोनिया के नेतृत्व में हुई बैठक में राज्यसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, जयराम रमेश समेत पार्टी के दोनों सदनों के सांसदों ने हिस्सा लिया। सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने तय किया है कि कांग्रेस प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली, अग्निवीर मुद्दे, किसानों की आय और एमएसपी की कानूनी गारंटी को लेकर भी सदन में मोदी सरकार से जवाब मांगेगी और चर्चा की मांग करेगी।

बजट पर 20 घंटे हो सकती है चर्चा
लोकसभा और राज्यसभा में आम बजट पर 20 घंटे चर्चा हो सकती है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार को मोदी 3.0 का पहला बजट पेश करेंगी। दोनों सदनों की कार्य मंत्रणा समितियों (बीएसी) ने सत्र के एजेंडे को अंतिम रूप देने के लिए सोमवार को बैठक की। इसमें सत्तापक्ष और विपक्ष के सांसद शामिल रहे।

सूत्रों का कहना है कि लोकसभा में रेलवे, शिक्षा, स्वास्थ्य, एमएसएमई और खाद्य प्रसंस्करण जैसे बड़े मंत्रालयों की मांग और अनुदान पर चर्चा के लिए 5-5 घंटे का समय तय किया गया है। वित्त मंत्री 30 जुलाई को लोकसभा में बजट पर चर्चा का जवाब दे सकती हैं। राज्यसभा में विनियोग और वित्त विधेयक पर आठ घंटे की चर्चा हो सकती है, जबकि चार मंत्रालयों पर चार-चार घंटे की बहस होगी। इन मंत्रालयों की पहचान अभी नहीं की गई है। एक कांग्रेस सांसद ने कहा कि उनकी पार्टी ने लोकसभा की कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में अग्निपथ योजना और नीट विवाद जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग रखी। तय हुआ कि विभिन्न मंत्रालयों से संबंधित चर्चा में सभी पक्षों को अपने मुद्दे उठाने का अवसर मिलेगा

आज खरगे के घर पर विपक्षी गठबंधन इंडिया की बैठक
संसद के मानसून सत्र को लेकर पार्टी की रणनीति तय होने के बाद मंगलवार को मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर इंडिया गठबंधन दलों की बैठक होगी। इसमें सभी साझेदार बजट के साथ साथ पूरे सत्र के दौरान संयुक्त रणनीति तय करेंगे।

नेशनल करियर सर्विस पोर्टल पर लिस्टेड पदों की संख्या बढ़कर 1.09 करोड़ हो गई है, जबकि नौकरी के लिए पंजीकरण करवाने वालों की संख्या 87.2 लाख ही है। नौकरी की संख्या बढ़ने के बावजूद युवाओं को काम नहीं मिल पा रहा इसकी वजह जॉब के लिए पैरामीटर्स पर उम्मीदवार का खरा न उतरना है। कुछ मामलों में संविदा या कम वेतन होने पर लोग नौकरी के लिए आवेदन नहीं करते हैं। इस स्थिति में सुधार के लिए भी सरकार से इस बजट में कदम उठाने की अपेक्षा है। बजट पूर्व बैठकों में सीआईआई ने सुझाव दिया है कि नए रोजगार पैदा करने के लिए कौशल विकास को बढ़ावा देना चाहिए। देश में पीएम कौशल विकास योजना चलाई जा रही है, जिसमें आने वाले सालों में ज्यादा से ज्यादा युवाओं को नौकरी देने का लक्ष्य रखा जा चाहिए।

इस बार के बजट में युवाओं को सरकार से क्या अपेक्षा है?
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट से बेरोजगारी की मार झेल रहे युवा वर्गा को भी कई अपेक्षाएं हैं। वर्तमान में देश में युवा वर्ग के सामने सबसे बड़ी समस्या रोज-रोटी सुनिश्चित करने की है। युवा वर्ग की ओर से लगातार सरकार से इस दिशा में मजबूत कदम उठाने की अपील की जा रही है। मोदी सरकार के पहले दो कार्यकाल में स्किल इंडिया और मेक इन इंडिया मिशन के जरिए युवाओं को राोजगार से जोड़ने के लिए कई कदम उठाए गए पर वे कदम जमीन पर नाकाफी ही साबित हुए हैं। ऐसे में युवा वर्ग इस बार उम्मीद कर रहा है सरकार उनकी भलाई के लिए कुछ ऐसे कदम उठाए जो गंभीरतापूर्वक जमीन पर उतारे जा सकें, ना कि वे केवल हवा-हवाई बनकर रह जाएं।

महिलाओं को है बजट से उम्मीद
देश में करीब 12 साल पहले तक महिलाओं के लिए अलग टैक्स की सुविधा थी। इसमें महिला करदाताओं के लिए इनकम टैक्स में बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट पुरुषों की तुलना में थोड़ी अधिक होती थी। यानी महिलाएं पुरुषों की तुलना में कम टैक्स चुकाती थीं। लेकिन कांग्रेस सरकार ने वित्त वर्ष 2012-13 ने इस प्रणाली को खत्म कर दिया था। तब सरकार ने महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए समान टैक्स स्लैब पेश किया था। तब से महिलाओं के लिए कोई अलग आयकर स्लैब नहीं है। हालांकि इस बार महिलाओं को मोदी सरकार से उम्मीद है कि महिलाओं के लिए अलग से टैक्स स्लैब आएगा।

सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि महिला वोटर को ध्यान में रखते हुए सरकार महिला करदाताओं के लिए अलग से टैक्स स्लैब ला सकती है। यानी उन्हें अलग और ज्यादा छूट बजट में मिल सकती है। अभी नई कर व्यवस्था में 7 लाख तक कोई टैक्स नहीं देना होता है। अब सरकार इसे 8 लाख रुपये तक कर सकती है

पिछले बजट में कृषि के लिए आंवटित किए गए थे इतने रुपये
केंद्र सरकार का पिछला बजट लगभग 48 लाख करोड़ रुपये का था। पूरे देश के किसानों के लिए इसमें से केवल सवा लाख करोड़ रुपये के करीब खर्च किए गए थे। इसमें से भी लगभग 65 हजार करोड़ रुपये प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के जरिए दिया गया था। जबकि केंद्र सरकार का ध्यान पूरी कृषि को मजबूती देने की ओर होना चाहिए। उनका मानना है कि हर महीने 500 रुपये के करीब नकद सहायता देकर किसानों या कृषि की आर्थिक स्थिति नहीं बदली जा सकती।

इस बार कृषि क्षेत्र को बजट से क्या अपेक्षाएं हैं?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट से पहले किसानों के प्रतिनिधियों, कृषि विशेषज्ञों और कृषि से जुड़े विभागों के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की और उनके सुझाव लिए। वित्त मंत्री ने कृषि और किसानों को मजबूत बनाने के लिए उनके विचार समझे। उदारीकरण के बाद से केंद्र सरकारों का पूरा ध्यान बाजारों और बड़ी कंपनियों के विकास की ओर केंद्रित रहा है। इसका असर यह हुआ है कि देश का बहुसंख्यक युवा आज भी बेरोजगार है, किसानों की आर्थिक स्थिति बद से बदतर हुई है। इसका असर हुआ है कि रोजाना किसान खेती छोड़ने पर मजबूर हो रहा है। वह मजदूर के रूप में जीवन यापन करने को मजबूर हुआ है। उन्होंने कहा कि यदि देश की आर्थिक तस्वीर बदलनी है, तो केंद्र सरकार की प्रमुखता में कृषि होनी चाहिए, जो आज भी हमारे देश की लगभग 60 फीसदी आबादी के जीवनयापन का मुख्य जरिया है। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य उपलब्ध कराकर किसानों को बड़ी मदद दी जानी चाहिए।

महिलाओं-युवाओं को राहत की आस
चुनाव से पहले विपक्षी दलों ने किसानों, बेरोजगारी की मार झेल रहे युवाओं, महिलाओं और नौकरीपेशा लोगों की परेशानियों से जुड़े मुद्दों पर सरकार को घेरा और वे बहुत हद तक अपने मकसद में सफल भी रहे। ऐसे में यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि इन वर्गों के लोगों को सरकार इस बार के बजट में क्या तोहफा देती है। जानकारों का मानना है कि अपने तीसरे कार्यकाल के पहले पूर्ण बजट में सरकार महिलाओं-किसानों और युवाओं के लिए खजाना खोल सकती है। युवाओं के लिए रोजगार बढ़ाने के नए उपाय बजट में दिखाई दे सकते हैं, तो महिलाओं को लखपति बनाने की भाजपा की योजना को आगे बढ़ाने के लिए सरकार भारी निवेश की घोषणा कर सकती है।

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