इंदौर मेें मेट्रो ट्रेन के रुट को लेकर इंदौर के जनप्रतिनिधियों की आपत्ति के बाद नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने दिए गए सुझावों के हिसाब से सर्वे करने के निर्देश दिए है। इस चक्कर में अभी तक मध्य हिस्से के टेंडर भी नहीं हो पाए है, जबकि विधानसभा चुनाव के बाद उस हिस्से में काम शुरू होना था। नए सिरे से हुए सर्वे का काफी काम हो चुका है।
अब देखना है कि सुझावों के बाद कितना बदलाव होता है, हालांकि यह संभव नजर नहीं आ रहा है,क्योकि बदलाव करने के बाद नए सिरे से अलाइनमेंट बनाना होगा और मेट्रो के लिए नए सिरे से सरकारी व निजी संपत्तियां अधिगृहित करना होगा। इस कारण मेट्रो का काम इंदौर में काफी पिछड़ सकता हैै।
डेढ़ माह पहले हुई बैठक में रेलवे को रिंग रोड से कृषि काॅलेज, एमवाय होते हुए रीगल तक लाने का सुझाव आया था। इसे लेकर सर्वे में यह तथ्य आया है कि मेट्रो ट्रेन का संचालन उस रुट पर ज्यादा होता है, जहां यात्री ज्यादा सफर करते है और उन्हें शार्टकट का विकल्प मिलता है।
कृषि कालेज वाले क्षेत्र में ज्यादा ट्रैफिक नहीं है और मध्य हिस्से मेें जाने वाले लोगों को घूमकर जाने में समय भी काफी लगेगा। इसलिए उस विकल्प को अमल मेें लाना संभव नहीं नजर आ रहा है।
रेसकोर्स क्षेेत्र से मेट्रो की केनेक्टिविटी भी आसान नहीं है,क्योकि खजराना चौराहे तक मेट्रो का काम हो चुका है। सूत्रों के अनुसार पुराने तय रुट पर ही काम होगा, लेकिन नए सर्वे के कारण दो माह से मध्य हिस्से की तैयारियां रुकी है। अभी वहां सिर्फ मिट्टी परीक्षण ही हो पाया है। अब माना जा रहा है कि वर्षाकाल के बाद ही खुदाई संभव हो पाएगी।