इंदौर में इस साल तेज गर्मी पड़ने और पारा लगातार 43 डिग्री पार रहने के कारण इस बार शहरवासियों को हरियाली की चिंता सताई। नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर में 51 लाख पौधे लगाने की घोषणा की।
इसकी बड़े पैमाने पर तैयारियां भी हो रही है,लेकिन 15 सालों में शहर के ग्रीन बेल्ट की चिंता नहीं की गई। वर्ष 2008 में लागू किए मास्टर प्लान में ग्रीन बेल्ट एरिया 14 प्रतिशत था,लेकिन ग्रीन बेल्ट पर हरियाली विकसित करने की कोई योजना नहीं बनी और वहां अवैध बसाहट हो गई।
शहर के मास्टर प्लान में दस से ज्यादा नगर उद्यान और क्षेत्रीय उद्यान है,लेकिन वे ठीक तरह से विकसित नहीं हो पाए। अब शहर के पास की रेवती रेंज पहाड़ी और अन्य स्थानों पर पौधे लगाने के लिए जगह तलाशी जा रही है। रेवती रेंज पर पांच लाख से ज्यादा गड्ढे पौधे लगाने के लिए किए जा चुके हैै।
हरियाली की जगह हो गई अवैध बसाहट
मास्टर प्लान मेें कैलोद करताल, पिपलियाराव, द्वारकापुरी, खंडवा रोड सहित अन्य क्षेत्रों में ग्रीन बेेल्ट रखा गया है, लेकिन वहां घनी बसाहट हो चुकी है।सिरपुर तालाब के पीछे के हिस्से में हजारों मकान बन चुके है। अब उन्हें हटाया नहीं जा सकता, लेकिन शहर में हरियाली के लिए अब ज्यादा जगह नहीं बची।
हरियाली केे लिए स्कीम नहीं बनती
मास्टर प्लान विशेषज्ञ जयवंत होलकर का कहना है कि मास्टर प्लान को लागू करने का काम इंदौर विकास प्राधिकरण का है। प्राधिकरण शहर के आवासीय भूउपयोग की जमीन पर प्लाॅट विकसित करता है। अपार्टमेंट बनाए जाते है, तो फिर ग्रीन बेल्ट की जमीन पर हरियाली विकसित करने के लिए कवायद क्यों नहीं की जाती। हरियाली के लिए कोई स्कीम लागू क्यों नहीं होती।
सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी का कहना है कि हमने नगर निगम से शहरों के पेड़ों की गिनती की मांग की। इसे लेकर ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका भी लगाई,लेकिन नगर निगम यह नहीं बता पाया कि शहर में कितने पेड़ है। हर साल पौधे लगाने के नाम पर घोटाला होता है, लेकिन शहर की हरियाली नहीं बढ़ती है।