शेख इस्माइल की मौत, जिन्होंने 40 वर्षों तक मुसलमानों को फ्री में पिलाई चाय-कॉफी

अंतरराष्ट्रीय

सऊदी अरब के शहर मदीना में उमरा और हज करने के लिए बड़ी संख्या में हर वर्ष लाखों लोग जाते है। मदीना में ही लाखों तीर्थयात्रियों को कई वर्षों तक मुफ्त में चाय और कॉफी पिलाने वाले शेख इस्माइल अल-जैम का निधन हो गया है। सोशल मीडिया पर शेख इस्माइल की कई फोटो और वीडियो वायरल होते रहे है। मदीना में शेख इस्माइल अल-जैम को पैगंबर के अनुयायियों का मेजबान’ के तौर पर जाना जाता है।
शेख इस्माइल अल-जैम का निधन 96 वर्ष की उम्र में हुआ है। निधन के बाद सोशल मीडिया पर भी दुख की बाढ़ आ गई है। कई यूजर्स ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। बता दें कि शेख इस्माइल बीते 40 वर्षों से भी अधिक समय से मदीना में ही रह रहे थे। वो यहां आने वाले लोगों को निशुल्क चाय और कॉफी पिलाने का काम करते थे। उनका निधन होने के बाद लोगों में काफी दुख है। उनके निधन के बाद लोगों ने अच्छे कामों को याद किया। उनके लिए दुआ भी मांगी गई है।

जानें शेख इस्माइल के बारे में

शेख इस्माइल अल जैम अबू अल सबा सीरिया के शहर हामा में जन्में थे। दशकों पहले ही सीरिया छोड़कर वो मदीना में रहने आ गए थे। इसके बाद वो कभी सीरिया नहीं लौटे और यहीं के होकर रह गए। उन्होंने मदीना को कुछ इस तरह से अपनाया कि यहां से कभी जा नहीं सके। वैसे तो मूल रूप से वो सीरिया मूल के थे मगर फिर भी लोग उन्हें ‘पैगंबर के अनुयायियों का मेजबान’ के नाम से जानते थे। उनकी खासियत ये रही है कि वो रोजाना लगभग 300 लोगों को कॉफी, पानी, खजूर, अदरक, चाय, दूध, ब्रेड खिलाते थे। वो सभी लोगों को खाना खिलाने के लिए किसी तरह की राशि नहीं लेते थे, यानी वो निशुल्क ही लोगों की सेवा करते थे।

करते थे अल्लाह के लिए सेवा

जानकारी के मुताबिक वो पैगंबर की मस्जिद के पास एक प्लास्टिक की कुर्सी पर बैठा करते थे। वो अपने सामने एक मेज रखते थे, जिस पर कॉफी, चाय, मिठाई, खजूर की प्लेटें रखी होती थी। आने वाले लोग इनका निशुल्क तौर पर सेवन कर सकते थे। कई इंटरव्यू में वो पहले बता चुके थे कि वो अल्लाह की खातिर और किसी से कोई पैसा लिए बिना सेवा करते रहते थे।

हालांकि इस दौरान वो अकेले नहीं हुआ करते थे बल्कि उनके बेटे भी उनके साथ रहते थे। वो भी इसमें उनकी मदद करते थे। इस संबंध में शेख का कहना है कि अगर वो ये काम नहीं करते हैं तो उन्हें खुशी नहीं मिलती है। हर तरफ उन्हें नेक इंसान के तौर पर देखा जाता था।

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