नीतीश जुड़े तो कहां जाएंगे, चिराग पासवान, जीतन मांझी और उपेंद्र कुशवाहा! भाजपा बना रही है यह फार्मूला

राजनीति

बिहार में पल पल बढ़ते वक्त के साथ सियासत तेज होती जा रही है। सियासी गलियारों में कयास यही लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़ रहे हैं। लेकिन इस जुड़ने में इतने पेंच फंस रहे हैं कि मामला सुलझाने के लिए ही बड़ी-बड़ी बैठके की जा रही हैं। इन सब के बीच एक बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि अगर नीतीश कुमार एनडीए के साथ जुड़ते हैं तो एनडीए में शामिल चिराग पासवान, जीतन मांझी और उपेंद्र कुशवाहा का क्या होगा। हालांकि भारतीय जनता पार्टी का आलाकमान इसका भी फॉर्मूला निकालकर बिहार की सियासत में बड़ी बढ़त बनाने की फिराक में है।

नीतीश कुमार अब गठबंधन के साथ नहीं रहना चाहते
बिहार में सियासी अटकलों के बीच में चर्चा इस बात की हो रही है कि भारतीय जनता पार्टी राज्य में मुख्यमंत्री के बदलाव के साथ नीतीश कुमार के साथ समझौता कर सकती है। यानी नीतीश कुमार अगर भारतीय जनता पार्टी के साथ जाते हैं तो उनको मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा। राजनैतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार प्रभात कुमार कहते हैं कि अभी तक की सियासी हलचल के बाद यह तय माना जा रहा है कि नीतीश कुमार अब गठबंधन के साथ नहीं रहना चाहते। ऐसे में उनके पास बड़े विकल्प के तौर पर एनडीए में शामिल होना ही एक बड़ा सियासी रास्ता नजर आ रहा है। प्रभात कहते हैं कि बदले हुए सियासी परिदृश्य में भारतीय जनता पार्टी ने राजनैतिक दांव खेलना शुरू कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी यह चाहती है कि अगर नीतीश कुमार उनके साथ शामिल होते हैं तो उनको मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा। इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की दिल्ली में बड़ी बैठक भी चल रही है।

सूत्रों की माने तो मंथन इस बात पर हो रहा है कि अगर नीतीश कुमार इस्तीफा नहीं देते हैं तो किन दशाओं में वह एनडीए के साथ जुड़ सकते हैं। नीतीश कुमार के विरोधी चिराग पासवान, जीतन मांझी और उपेंद्र कुशवाहा जैसे बड़े नेता पहले से ही एनडीए का हिस्सा है। ऐसे में सवाल यह उठना है अगर नीतीश कुमार एनडीए में आते हैं तो इन नेताओं का क्या होगा। जानकारों का कहना है कि इसमें बीच का रास्ता तभी निकल सकता है जब भारतीय जनता पार्टी के पास इन तीन नेताओं को बताने की कोई वजह हो कि नीतीश के साथ समझौता किन शर्तों पर हो रहा है। इसमें एक प्रमुख रास्ता यही है कि नीतीश कुमार अगर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दें। इस दशा में भाजपा बिहार में अपने सहयोगियों को यह बता सकती है कि वह नीतीश कुमार के साथ इस्तीफा देने के बाद जुड़े हैं। राजनीतिक विश्लेषक हरीश कुमार बताते हैं कि नीतीश कुमार की पार्टी से ज्यादा विधायक भारतीय जनता पार्टी के हैं। बीते पांच साल में बड़ी परिस्थितियों भी बदली हैं। इसलिए अब भारतीय जनता पार्टी बीते पांच साल में बिछाई गई सियासी बिसातों के बलबूते मजबूती से बारगेनिंग भी कर सकती है।

नीतीश कुमार को भाजपा ने मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया
सियासी जानकार हरीश कुमार कहते हैं कि पुरानी परिस्थितियों में बिहार में सरकार बनाना भाजपा की प्राथमिकता में था। इसलिए कम सीटों के बाद भी नीतीश कुमार को भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया था। अब हालात उसे तरीके के नहीं हैं। इसीलिए भारतीय जनता पार्टी अब नीतीश कुमार को अपने साथ शामिल करने के लिए कुछ शर्ते भी लगा रही है। ताकि सम्मानजनक तरीके से उनको अपने साथ जोड़ा जा सके। हालांकि सूत्रों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी की इस रणनीति पर जदयू के नेताओं को आपत्ति है। सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार के साथ उनकी पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने गुरुवार की शाम को बैठक की है। जिसमें इस बात पर भी चर्चा हुई कि आगे की सियासी राह किस तरीके से बनाई जानी है। सूत्रों का कहना है कि अगर बात नहीं बनती है तो नीतीश कुमार इस्तीफा देकर चुनाव में जा सकते हैं।

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