मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें तेज हो गई हैं. इन अटकलों के बीच केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायकों को बड़ा झटका भी लग सकता है. डॉ मोहन यादव सरकार में सिंधिया समर्थक कम विधायक ही इस बार मंत्रिमंडल में शामिल हो सकेंगे. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह लोकसभा चुनाव को लेकर बनाई गई रणनीति मानी जा रही है.
साल 2020 में कमलनाथ सरकार को गिराकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक 8 पूर्व मंत्री इस बार विधानसभा चुनाव में अपनी जीत दर्ज करवा पाए हैं, जबकि 3 मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा है. शिवराज सरकार में सिंधिया समर्थक 10 मंत्रियों का मंत्रिमंडल में दबदबा था. इस बार यह दबदबा कम होने वाला है. लोकसभा चुनाव की रणनीति के तहत इस बार पार्टी सभी लोकसभा सीटों से एक-एक मंत्री को डॉक्टर मोहन यादव मंत्रिमंडल में जगह दे सकती है. इस प्रकार लगभग 29 से 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं.
सिंधिया समर्थक इन मंत्रियों को मिली जीत
गौरतलब है कि डॉक्टर मोहन यादव के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही राजेंद्र शुक्ला और जगदीश देवड़ा ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है. इस प्रकार अब ऐसा माना जा रहा है कि 29 से 30 मंत्री शपथ ले सकते हैं. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 22 विधायक भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे. इनमें तत्कालीन कमलनाथ सरकार के कई मंत्री भी शामिल थे. इस बार विधानसभा चुनाव में सिंधिया समर्थक पूर्व मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर, तुलसी सिलावट, डॉक्टर प्रभुराम चौधरी, गोविंद सिंह राजपूत, बिसाहू लाल साहू, हरदीप सिंह डंग, बृजेंद्र सिंह यादव ने जीत दर्ज की है.
सिंधिया समर्थक 3 विधायक मंत्री पद की दौड़ में
जबकि पूर्व मंत्री राजवर्धन सिंह दत्ती गांव, महेंद्र सिंह सिसोदिया और सुरेश धाकड़ को हार का सामना करना पड़ा. सिंधिया समर्थक जीते हुए सभी पूर्व मंत्रियों का इस बार मंत्री बनना मुश्किल नजर आ रहा है. इस बार सिंधिया समर्थक 3 विधायक भी मंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं. इनमें देवास जिले से मनोज चौधरी, नारायण सिंह पटेल और ऐदल सिंह कंसाना भी शामिल हैं. यदि समीकरण ऊपर नीचे हुए तो उक्त तीन विधायकों में से भी किसी को मंत्री बनाया जा सकता है.