मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बंपर जीत के बाद बीजेपी ने एक बड़ा फैसला लिया और अपने पुराने मुख्यमंत्री चेहरों को आगे न लाते हुए तीनों राज्यों में नए सीएम नियुक्त किए. बीजेपी ने चुनाव बिना सीएम फेस के ही लड़ा और आखिर तक किसी को अंदाजा भी नहीं लगने दिया कि राज्यों की कमान किसके हाथ में सौंपी जाएगी? हर बार के चुनाव में जनता अंदाजा लगा सकती थी कि पार्टी किसे मुख्यमंत्री घोषित करेगी, लेकिन इस बार यह बता पाना लगभग असंभव था. वहीं, नए और आम जनता से अनजान चेहरों को आगे लाना बीजेपी की एक बहुत बड़ी रणनीति मानी जा रही है, जिसके तहत शायद मिशन-2024 भी कवर हो.
हालांकि, सवाल यह उठता है कि तीनों राज्यों में अचानक नए चेहरे लाना क्या लोकसभा चुनाव की तैयारी है या इसके पीछे कोई और राजनीति भी छुपी है? इस सवाल का जवाब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया है. हिन्दी अखबार जागरण से बातचीत करते हुए पीएम मोदी ने बताया (और हम कोट कर रहे हैं), ‘हमारे देश का दुर्भाग्य रहा है कि जो लोग अपनी वाणी, बुद्धि और व्यक्तित्व से सामाजिक जीवन पर प्रभाव डालते हैं, उनमें से एक बहुत बड़ा तबका घिसी पिटी और बंद मानसिकता में फंसा है. ये केवल पॉलिटिक्स तक सीमित नहीं है बल्कि हर फील्ड में देखने को मिलता है. बिजनस सेक्टर की ही बात कर लें तो जो भी बड़ा नाम हो या जिसने अपनी ब्रांडिंग अच्छे से की हो, मीडिया की नजरों में भी वही रहता है. बाकी मेहनती और कर्मठ लोगों पर किसी का ध्यान नहीं जाता, भले ही वो कितना भी अच्छा काम करते हों.’
‘नए नहीं हैं सीएम चेहरे, पुराने अनुभवी नेता हैं’
वहीं, पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘यही चीज राजनीति के क्षेत्र में भी हेती है. कई दशकों से सिर्फ कुछ ही परिवार ऐसे हैं, जिन पर मीडिया का ध्यान है. इस वजह से दूसरे लोगों की प्रतिभा पर कोई बात नहीं होती. यही वजह है कि जनता और मीडिया को वे लोग नए लगने लगते हैं जबकि ऐसा नहीं है. वे लोग भी पुराने और अनुभवी हैं, जिन्होंने बहुत लंबी तपस्या की है.’ पीएम मोदी की इस बात से समझा जा सकता है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पुराने चेहरों को हटा कर नए चेहरे क्यों लाए गए हैं.