राहुल गांधी का वादा- ‘फिर से कांग्रेस की सरकार बनने पर स्कूल-कॉलेज में मिलेगी मुफ्त शिक्षा’

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कांकेर : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने शनिवार को छत्तीसगढ़ के लोगों से वादा किया कि राज्य में फिर से कांग्रेस की सरकार बनने पर सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में मुफ्त शिक्षा दी जाएगी और तेंदू पत्ता संग्राहकों को प्रति वर्ष 4,000 रुपये दिए जाएंगे. कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए राहुल ने राज्य के सभी सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में मुफ्त शिक्षा मुहैया करने का वादा करते हुए कहा, ”हम आपके लिए बहुत बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं, जिसे हम केजी से पीजी कहते हैं, इसके तहत छत्तीसगढ़ के सारे स्कूलों, कॉलेजों में छात्रों को मुफ्त शिक्षा मिलेगी, एक पैसा नहीं देना पड़ेगा.”

राज्य की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव दो चरणों में, सात नवंबर और 17 नवंबर को होंगे. मतगणना तीन दिसंबर को होगी. राहुल ने आदिवासी बहुल बस्तर क्षेत्र के तहत आने वाले इस विधानसभा क्षेत्र के लोगों से वादा किया कि यदि राज्य में कांग्रेस की सरकार फिर से बनती है तो तेंदू पत्ता संग्राहकों को राजीव गांधी प्रोत्साहन योजना के तहत प्रतिवर्ष 4,000 रुपए दिए जाएंगे.

जो बीजेपी नहीं कर पाई हमने दो घंटे घंटे में कर दिया- राहुल
राहुल गांधी ने इस दौरान बीजेपी नीत केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि कांग्रेस गरीब, आदिवासियों और पिछड़ा वर्ग के लिए काम करती है, जबकि बीजेपी कुछ अरबपतियों के लिए काम करती है. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य की कांग्रेस सरकार ने जो भी वादे किए थे, उसे पूरा किया गया. कांग्रेस नेता ने कहा, ”पिछले चुनाव में हमने आपसे दो-तीन बड़े वादे किए थे. किसानों को उनकी मेहनत का सही प्रतिफल, कर्ज माफी, बिजली बिल आधा करना.’’ उन्होंने कहा, ‘‘उस दौरान जब हम आपसे वादे कर रहे थे, तब हिंदुस्तान के पीएम और बीजेपी के बड़े-बड़े नेता कह रहे थे कि वादे पूरे नहीं हो सकते. मैं खुशी से कहता हूं जिस काम को बीजेपी ने कहा था कि नहीं किया जा सकता, उस काम को हमने दो घंटे में कर दिखाया.”

जाति जनगणना कराने का किया वादा- राहुल गांधी
राहुल ने वादा किया कि यदि केंद्र में कांग्रेस की सरकार आएगी, तब वह जाति आधारित गणना कराएगी और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सत्ता में बरकरार रहने पर जाति आधारित सर्वे कराया जाएगा. उन्होंने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के युवकों से अनुरोध किया कि वह केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री से पूछें कि नरेंद्र मोदी जाति आधारित गणना से क्यों डरते हैं.

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