जयंत मलैया की वापसी, दमोह की सबसे बड़ी जीत मलैया के नाम, 23 साल लगातार जीते

दमोह

बुंदेलखंड की वीर भूमि और यहां की सांस्कृतिक विरासत को सभी जानते हैं। आजादी के प्रथम विद्रोह का गवाह बुंदेलखंड है। दमोह की सांस्कृतिक विरासत की जड़ें गहरी हैं। दमोह विधानसभा क्षेत्र 1952 से अस्तित्व में है। दमोह की शांत राजनीति में तड़का लगा 2021 के उपचुनाव में। इस चुनाव में मलैया व उनके बेटे पर भीतरघात के आरोप लगे थे। माना गया था कि मलैया परिवार की वजह से भाजपा प्रत्याशी राहुल सिंह उपचुनाव हारे। अब विधानसभा चुनाव 2023 में भाजपा ने इसी कड़वाहट को दूर करने का प्रयास किया है। उनकी ससम्मान वापसी भी हुई और उन्हें टिकट से भी नवाजा। देखना होगा कि दमोह की जनता उन पर फिर प्यार लुटाती है या नहीं?

2018 में 798 वोट से हारे थे
2018 के चुनाव में भाजपा के दिग्गज नेता व पूर्व मंत्री जयंत मलैया 798 मतों से हार गए थे। इसके साथ ही भावी चुनाव में उनकी उम्मीदवारी पर संकट के बादल मंडरा गए थे। इसी कारण 2021 में हुए उपचुनाव में भाजपा ने कांग्रेस से आए राहुल सिंह को उम्मीदवार बनाया वहीं, कांग्रेस की ओर से अजय टंडन प्रत्याशी थे। टंडन 17,097 मतों से विजयी हुए और भाजपा की पराजय का दोषारोपण जयंत मलैया और उनके बेटे सिद्धार्थ मलैया पर किया गया। भाजपा ने भीतरघात के आरोप में सिद्धार्थ मलैया को निष्काषित कर दिया और जयंत मलैया को कारण बताओ नोटिस दिया था।

मलैया के अमृत महोत्सव में पहुंचे थे सीएम
मलैया परिवार के वर्चस्व को आगामी चुनाव के लिए साधना था। भाजपा के अभेद्य गढ़ दमोह में कांग्रेस की सेंध को भी ठीक करना था। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के समक्ष मलैया के अमृत महोत्सव समारोह में सार्वजानिक मंच से कहा था-मलैया जी को नोटिस भेजना गलत कदम था। इसके बाद जयंत मलैया को विधानसभा चुनाव 2023 की घोषणापत्र समिति का प्रमुख बनाने से लग गया कि उन्हें इस बार टिकट जरूर मिलेगा और वही हुआ। दमोह की राजनीति में करीब 50 वर्ष से सक्रिय मलैया का संपर्क जमीनी स्तर पर अब भी गहरी पैठ बनाए हुए हैं।

छह बार भाजपा, छह बार कांग्रेस व दो बार निर्दलीय जीते
1990 से 2013 (23 वर्ष) भाजपा के मलैया का दमोह सीट पर कब्जा रहा। इससे पहले निर्दलीय आनंद कुमार और कांग्रेस के पी. टंडन विजयी रहे। विधानसभा चुनावों में अभी तक 6 बार भाजपा, 6 बार कांग्रेस और 2 बार निर्दलीय विजयी रहे। जाहिर है दमोह के मतदाताओं ने सभी दलों को समान अवसर दिए।

इसलिए दिया 75 साल के मलैया को टिकट
2023 के राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है। दमोह में भी भाजपा ने 75 वर्षीय जयंत मलैया को पुनः टिकट दिया है और अपनी खोई प्रतिष्ठा पुनः प्राप्त करने की दिशा में कदम उठाया। कांग्रेस ने फिर अजय टंडन को टिकट दिया है। देखना है इस बार चुनाव में कौन अपनी सफलता के परचम लहराता है।

दमोह विधानसभा चुनाव की रोचक जानकारी

  • दमोह से सर्वाधिक जीत का रिकॉर्ड जयंत मलैया के नाम दर्ज है।
  • दमोह विधानसभा क्षेत्र के इतिहास की सबसे बड़ी जीत 26,836 मतों से रही और यह जयंत मलैया के नाम ही दर्ज है।
  • इसी तरह न्यूनतम मतों से पराजित होने का रिकॉर्ड कांग्रेस के पी. टंडन के नाम दर्ज है उनकी यह पराजय मात्र 45 मतों से हुई थी।
  • 2013 में चुनाव मैदान में सर्वाधिक 16 और सबसे कम 4 उम्मीदवार वर्ष 1957 में थे।
  • 1957 से 2018 तक पांच हार-जीत का फैसला 1000 से कम मतों से हुआ।
  • 1985 में कांग्रेस के मुकेश नायक से मलैया 92 मतों से हार गए थे।

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