दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्रों में ही खुलेंगे क्लाउड किचन

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नई दिल्ली . दिल्ली में क्लाउड किचन व्यावसायिक क्षेत्र या फिर ग्रामीण आबादी वाली जमीन पर खोले जा सकेंगे. एक किचन के लिए 600 से 2000 वर्गमीटर तक जमीन अनिवार्य होगी. इन्हें खोलने के लिए सरकार सब्सिडी के साथ आर्थिक मदद भी उपलब्ध कराएगी. दिल्ली सरकार ने यह प्रावधान क्लाउड किचन के लिए लेकर आ रही दिल्ली फूड आउटलेट नीति में किया है.क्लाउड किचन नीति को रफ्तार देने के लिए दिल्ली सरकार के उद्योग मंत्री सौरभ भारद्वाज की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है. दिल्ली सरकार ने अपने बजट में रोजगार के अवसर पैदा करने और क्लाउड किचन के बढ़ते चलन को देखते हुए इसके लिए अलग से नीति लाने की घोषणा की थी. इसी के अनुरूप यह निर्णय लिया गया है.

सरकार का मकसद रोजगार के अवसर पैदा करना दिल्ली सरकार का आकलन है कि वर्तमान में राजधानी दिल्ली में 20 हजार से अधिक क्लाउड किचन चल रहे हैं. इससे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से चार लाख से अधिक लोग जुड़े हुए हैं. सरकार इसे बढ़ावा देकर इसमें रोजगार के अवसर बढ़ाना चाहती है. क्लाउड किचन नीति से जुड़े दस्तावेजों की मानें तो सरकार ने इसे व्यावसायिक व ग्रामीण आबादी वाले इलाके में खोलने का प्रावधान कर रही है.

लाइसेंस आसानी से मिलेगा दिल्ली फूड आउटलेट (क्लाउड किचन) नीति में इसे घोस्ट किचन, डार्क किचन और क्लाउड किचन भी कहा जा सकता है. दस्तावेजों की मानें तो सरकार इसकी लाइसेंसिंग प्रक्रिया को आसान बनाएगी. लाइसेंस लेने के लिए अलग-अलग विभागों का चक्कर नहीं लगाने होंगे. एकल खिड़की के जरिए लाइसेंस जारी किया जाएगा. यही नहीं, दिल्ली सरकार क्लाउड किचन के लिए सब्सिडी देने की योजना पर भी विचार कर रही है, जिससे लोग इस नीति के तहत क्लाउड किचन खोलने के लिए प्रेरित हों और रोजगार के अवसर बढ़ें. दिल्ली सरकार के इस निर्णय से आम लोगों को काफी लाभ मिलेगा. खासकर युवा इसका अधिक लाभ उठा सकेंगे.

खाना परोसने और बेचने की अनुमति नहीं क्लाउड किचन नीति को लेकर बन रहे प्रावधानों के मुताबिक इसमें प्लाग एंड प्ले की सुविधा भी होगी. मसलन, अगर कोई चाहे तो वहां अपने सामान के साथ आकर उसका इस्तमाल करके फिर वापस अपना सामान लेकर जा सकता है. अगर कोई सामान रोज लाया या ले जाया नहीं जा सकता है तो उसे वहां रखने के लिए अलग से स्टोरेज बनाया जाएगा. इससे ज्यादा जगह होने पर एक ही जगह अलग-अलग क्लाउड किचन एक साथ भी चलाएं जा सकते हैं. इसके अलावा क्लाउड किचन वाली जगह पर सिर्फ खाना बनाने की मंजूरी होगी. वहां पर खाना परोसने व बेचने की अनुमति नहीं होगी. यह सिर्फ ऑनलाइन बुकिंग के जरिए डिलीवर करनी की अनुमति होगी।

क्या होता है क्लाउड किचन
क्लाउड किचन एक प्रकार का ऐसा रेस्टोरेंट है, जहां सिर्फ टेक अवे ऑर्डर ही दिए जा सकते हैं, यानि वहां खाना तो बनता है, लेकिन वहां आप बैठकर खाना नहीं खा सकते. रेस्टॉरेंट मालिक आप को वहां खाना परोस भी नहीं सकता है. आमतौर पर इसे घर के किचन से या किसी प्रोफेशनल किचन से शुरू किया जा सकता है. यहां बनने वाले खाने को पाने के लिए आप को मोबाइल एप के जरिए ऑनलाइन ऑर्डर करना पड़ता है. फिर होम डिलीवरी के जरिये वो खाना आप को मिलेगा।

क्लाउड किचन दिल्ली में मौजूद
यह किचन खाने वाले के लिए विजिबल नहीं होता है, इसलिए उसे क्लाउड किचन के नाम से जाना जाता है. ये डार्क किचन घोस्ट किचन के नाम से भी जाने जाते है. बताया जाता है कि क्लाउड किचन विदेशों में बहुत पहले से काफी लोकप्रिय है।

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