बुआ यशोधरा राजे की शिवपुरी सीट पर सक्रिय हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक, यहां से चुनाव लड़ेंगे केंद्रीय मंत्री?

शिवपुरी

शिवपुरी : स्वास्थ्य कारणों के चलते शिवपुरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने से इंकार कर चुकीं यशोधरा राजे सिंधिया की सीट पर अब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक तेजी से सक्रिय हो गए हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि शिवपुरी सीट से अब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव लड़ सकते हैं.

बता दें तीन दिन पहले शिवपुरी में आयोजित कार्यक्रम के दौरान खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने मंच से संबोधित करते हुए चुनाव न लड़ने की घोषणा कर दी थी. उन्होंने अपने समर्थकों से अपील की कि वह उनके इस निर्णय में साथ रहेंगे. उन्होंने अपनी मां को याद करते हुए कहा कि ”मेरी मां से मुझे प्रेरणा मिली, जिसमें उन्होंने 25-30 साल उनके पद चिह्नों पर चलते हुए जन सेवा की.”

महल के आशीर्वाद से जीत!
बता दें शिवपुरी विधानसभा सीट की खास बात यह है कि इस सीट पर महल की खासी दखलअंदाजी रहती है. महल के आशीर्वाद से ही इस सीट पर जीत मिलती है. अब तक हुए विधानसभा चुनावों की बात करें तो 1980 से 1990 तक यहां कांग्रेस के गणेशराम गौतम विधायक रहे, जो माधवराव सिंधिया के कट्टक समर्थक थे, इसके बाद सुशील बहादुर अष्ठाना निर्दलीय विधायक बने, वे राजमाता विजयाराजे सिंधिया के समर्थक थे. वर्ष 1993 में महल समर्थित देवेन्द्र जैन के कब्जे में हो गई.

यशोधरा की 1998 में हुई एंट्री
इसके बाद वर्ष 1998 में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे सिंधिया की राजनीति में एंट्री हुई और वह लगातार दो चुनाव जीतीं. उपचुनाव हुआ तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने वीरेन्द्र रघुवंशी को जीत दिलाई. वर्ष 2008 में यशोधरा राजे सिंधिया ने माखलाल राठौर को प्रत्याशी बनवाया और जीत दिलाई. वर्ष 2013 में फिर से यशोधरा राजे सिंधिया लौटीं और लगातार जीतीं.

1951 में हुआ था पहला चुनाव
बता दें शिवपुरी सीट पर पहला चुनाव 1951 में हुआ था. 1951 में तुलाराम नरहरि प्रसाद कांग्रेस से निर्वाचित हुए थे. इसके बाद 1977 में जनता पार्टी से महावीर प्रसाद जैन, 1980 में कांग्रेस से गणेशराम गौतम, 1985 में गणेशराम गौतम, 1990 में निर्दलीय सुशील बहादुर अस्थाना, 1993 में बीजेपी से देवेंद्र कुमार जैन, 1998 में बीजेपी से यशोधरा राजे सिंधिया, 2003 में यशोधरा राजे सिंधिया, 2006 में उप चुनाव में कांग्रेस से वीरेन्द्र सिंह रघुवंशी, 2008 में बीजेपी से माखनलाल राठौर, 2013 में बीजेपी से यशोधरा राजे सिंधिया, जबकि 2018 में भी यशोधरा राजे सिंधिया ही विधायक चुनी गईं.

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