चुनावी साल में मध्य प्रदेश में जिस प्रकार से योजनाओं की घोषणाओं की झड़ी लगाई जा रही है, ठीक उसी प्रकार नए-नए जिले बनाने की भी लगातार घोषणाएं हो रही हैं. मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के पिछोर इलाके को जिला बनाने की घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कर दी है.
मध्य प्रदेश में चुनावी साल में लोगों द्वारा अपने-अपने इलाकों को जिला बनाने की मांग उठाई जा रही है. अब सरकार और विपक्ष के सामने नए जिलों को लेकर नई परेशानी खड़ी हो गई है.यदि सत्तारूढ़ पार्टी जिला बनाने की घोषणा नहीं करती है तो विपक्ष अपनी ओर से घोषणा कर जनता को आकर्षित करने की कोशिशें में जुट जाती है. मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के पिछोर में ‘लाडली बहन सम्मेलन’ आयोजित किया गया. इसमें केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित प्रदेश सरकार के मंत्री, विधायक शामिल हुए.इस सम्मेलन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछोर को जिला बनाने की घोषणा कर दी. उन्होंने यहां पर कई योजनाओं के साथ-साथ सिंचाई परियोजना का भी लोकार्पण किया. मुख्यमंत्री ने पिछोर इलाके में विकास कार्यों के लिए 409 करोड़ रुपये की योजनाओं का भूमिपूजन और लोकार्पण किया.
चुनाव जीतने के लिए जिला बनाने की घोषणा
विधानसभा चुनाव के पहले उन विधानसभा क्षेत्रों को नया जिला बनाने की घोषणा की जा रही है. जहां से कांग्रेस लगातार जीत रही है. पिछोर से भी कांग्रेस नेता केपी सिंह विधानसभा सीट पर कब्जा जमाए हुए हैं. इसके पहले भी नागदा को जिला बनाने की घोषणा की गई थी. यहां भी कांग्रेस के विधायक के रूप में दिलीप गुर्जर लगातार चुनाव जीत रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी चुनाव के लिए नया दांव खेल रही है.
नए जिलों से सरकार पर पड़ता है अतिरिक्त बोझ
नए जिले बनाने की घोषणा करना भले ही आसान हो मगर जिला बनना काफी आर्थिक बोझ से भरा होता है.नए जिले पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है. हालांकि लोग अपनी सुविधा को ध्यान में रखते हुए जिला बनाने की मांग उठाते रहते हैं. कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा के मुताबिक सरकार चुनाव जीतने के लिए कई प्रयास कर रही है, लेकिन जनता सब कुछ जानती है. उन्होंने कहा कि 18 साल तक बीजेपी को नए जिलों की याद नहीं आई. दूसरी तरफ कृषि मंत्री कमल पटेल के मुताबिक मध्य प्रदेश में जनता की सरकार है, इसलिए जनता की मांगों को पूरा किया जा रहा है.