इंदौर की बेटी सुदीप्ति हजेला ने 41 वर्षों के बाद एशियन खेल में घुड़सवारी स्पर्धा में स्वर्ण पदक अर्जित किया है। इस उपलब्धि पर सम्पूर्ण इंदौर शहर गौरवान्वित है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर इंदौर शहर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव जी द्वारा इंदौर की जनता की ओर से सुदीप्ति हजेला का इंदौर आगमन पर पुष्पगुच्छ दे कर स्वागत किया।
आसान नहीं था सुदीप्ति का सफर
घोड़े पर बैठकर स्वर्ण पदक तक का सफर आसान नहीं था। सुदीप्ति को ट्रेनिंग दिलाने के लिए परिवार ने कर्ज लिया। पैसे कम थे तो 19 साल की यह लड़की घोड़े की लीद साफ करने जैसे काम भी खुद करती थी।
भारतीय दल में सुदीप्ती के अलावा दिव्यकीर्ति सिंह, विपुल हृदय छेड़ा और अनुश अग्रवाल शामिल हैं। सुदीप्ती के पिता मुकेश हजेला ने बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए विदेश में ट्रेनिंग दिलाने का फैसला लिया। विदेश जाना बहुत महंगा था। इंदौर में जो काम 100 रुपये में हो जाता है, विदेश में उसके 1000 रुपये तक खर्च होते हैं। नतीजतन, परिवार और दोस्तों से मदद ली। कर्ज भी लिया और बेटी को चार साल पहले फ्रांस में तैयारी के लिए भेजा।
सारे काम खुद करती थी सुदीप्ति
पैसे बचाना थे तो सुदीप्ति सब कम खुद करती थी। घोड़े की लीद साफ करना, उसे नहलाना जैसे काम भी खुद किए, क्योंकि नौकर रखने के पैसे नहीं थे। इसके बाद भी कई कई बार ऐसा लगा कि अब छोड़ दें, क्योंकि शुरुआत में प्रदर्शन बहुत खराब था। 25 घुड़सवारों में सुदीप्ती 25वें स्थान पर रहती थी। ऐसे में, इंदौर के कोच इंस्पेक्टर निहाल सिंह ने हमेशा प्रोत्साहित किया। धीरे-धीरे प्रदर्शन सुधरा।
सुदीप्ति को प्रदेश सरकार से एकलव्य और विक्रम पुरस्कार से भी सम्मानित किया है। साथ ही उन्हें अन्य सामान भी मिले हैं।