केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को विधानसभा चुनाव के मैदान में उतर सकते हैं. ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी को सिंधिया को टिकट देने से ग्वालियर चंबल संभाग से ही नहीं बल्कि मालवांचल में भी फायदा पहुंच सकता है. हालांकि कांग्रेस बीजेपी के इस दावे को गलत बता रही है.
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी सांसद और मंत्रियों की तरह इस बार विधानसभा चुनाव लड़ना पड़ सकता है. यशोधाराजे सिंधिया के विधानसभा चुनाव लड़ने से इंकार करने के बाद अब ज्योतिरादित्य सिंधिया के मैदान में उतरने के अटकलें और भी तेज हो गई हैं. यह भी कहा जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के ग्वालियर चंबल संभाग से मैदान में उतरने के बाद इसका लाभ बीजेपी को मालवा में भी मिल सकता है. इसको लेकर बीजेपी के नेता और सिंधिया समर्थक बार-बार दावे कर रहे हैं.
बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक पूर्व विधायक राजेंद्र भारती के मुताबिक मालवांचल में भी सिंधिया परिवार का गहरा रिश्ता रहा है. सिंधिया परिवार का उज्जैन नहीं बल्कि रतलाम, मंदसौर, नीमच सहित कई जिलों के लोगों से पुश्तों से रिश्ता चला रहा है. सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद बीजेपी को भी उनके व्यक्तिगत संबंधों का लाभ मिल रहा है. सिंधिया को टिकट मिला तो निश्चित रूप से मालवांचल में भी इसका प्रभाव देखने को मिलेगा.
‘ग्वालियर-चंबल संभाग में ही हश्र पता चलेगा’
वहीं कांग्रेस के पूर्व मंत्री और विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने कहा, “मालवांचल ही नहीं बल्कि ग्वालियर-चंबल संभाग में भी चुनावी परिणाम से यह स्पष्ट हो जाएगा कि मध्य प्रदेश की जनता ‘गद्दारों’ को क्या जवाब देती है.” उन्होंने कहा, “ज्योतिरादित्य सिंधिया को विधानसभा टिकट देने का कांग्रेस भी इंतजार कर रही है. अगर सिंधिया को बीजेपी मैदान में उतरती है तो उनकी खुद की सीट भी खतरे में रहेगी. इस बार भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी और ‘गद्दारी’ के खिलाफ मध्य प्रदेश की जनता वोट करेगी.”
मालवा के आठ जिलों में 38 सीट
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के मालवांचल में आठ जिले आते हैं, जिनमें 38 विधानसभा सीट हैं. इन विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी की कड़ी नजर है. इतना ही नहीं कांग्रेस भी इस बार मालवांचल में एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. हाल ही में शाजापुर में राहुल गांधी ने आमसभा को संबोधित किया. जहां बीजेपी कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगा रही है, वहीं कांग्रेस बीजेपी के घर में सेंध लगा रही है. दोनों ही दलों को पता है कि सत्ता की चाबी हासिल करने के लिए मालवांचल पर कब्जा करना बेहद जरूरी है.