देवास जिले के सोनकच्छ के गांव इकरोता में मंगलवार दोपहर एक तेंदुआ घुस आया। वह बीमार था और ठीक से चल भी नहीं पा रहा था। उसने हिंसक व्यवहार नहीं दिखाया तो ग्रामीण ने बिना डरे उसके पास पहुंच गए। उन्होंने इसका फायदा उठाया। जब ग्रामीणों को लगा कि बीमार तेंदुए से उन्हें कोई खतरा नहीं है तो फिर वे पालतू जानवर की तरह उसके साथ बर्ताव करने लगे। किसी ने तेंदुए की पीठ पर बैठकर सवारी की तो किसी ने उसके साथ सेल्फी ली। ग्रामीणों ने तेंदुए के पास बैठकर ग्रुप फोटो भी खिंचवाया। मामला मंगलवार दोपहर करीब एक बजे का है। गांव के मंदिर के पास ग्रामीणों को एक तेंदुआ नजर आया। पहले तो ग्रामीण डर गए। कोई पास जाने की हिम्मत नहीं जुटा रहा था। जब काफी देर तक तेंदुए ने कोई हिंसक हरकत नहीं की तो एक ग्रामीण उसके पास गया। उसे छूने लगा। तेंदुए ने भी उसे कुछ नहीं किया। यह देख दूसरे ग्रामीणों का डर भी खत्म हो गया। फिर तो वे तेंदुए के साथ पालतू जानवर जैसा व्यवहार करने लगे। भीड़ देखकर जब बीमार तेंदुआ उठकर धीरे-धीरे चलने लगा तो एक ग्रामीण उसकी पीठ पर सवारी करने की कोशिश करने लगा। कुछ ग्रामीणों ने उसके साथ सेल्फी भी ली।
सोनकच्छ में ग्रामीणों ने तेंदुएं के साथ ग्रुप फोटो भी खिंचवाया
तेंदुएं ने किसी पर हमला नहीं किया
इतना सब सहने के बाद भी तेंदुए ने किसी पर हमला नहीं किया। यह नजारा कई ग्रामीणों ने कैमरे में कैद कर लिया। जब गांव में तेंदुए के होने की खबर वन विभाग को लगी तो एक टीम सोनकच्छ रवाना हुई। कर्मचारियों ने ग्रामीणों को तेंदुए से दूर किया। उसे पिंजरे में रखा। तेंदुए की बीमार हालत देखकर रात को उज्जैन संभाग की टीम को जानकारी दी। देर रात वन विभाग की टीम उसे इलाज के लिए भोपाल ले गई।
सोनकच्छ में गांव में आए तेंदुएं को लोगों ने घेरे रखा
बीमार है तेंदुआ, उम्र दो साल है
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि तेंदुएं की उम्र दो साल है। उसकी पाचन शक्ति खराब हो गई है। वह सुस्त था और ठीक से चल भी नहीं पा रहा था। इस वजह से उसने ग्रामीणों पर हमला नहीं किया। शुरुआती उपचार के बाद उसने रात को भरपेट भोजन किया। कुछ दिनों तक उसे निगरानी में रखा जाएगा। उसके बाद ही फैसला लिया जाएगा कि उसे फिर जंगल में छोड़ना है या पिंजरे में ही उसकी बाकी जिंदगी कटेगी।