40 दिन का भारत का इंतजार आखिरकार खत्म हुआ। पृथ्वी से चंद्रमा तक 3.84 लाख किलोमीटर का सफर तय करने के बाद चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चंद्रमा की धरती पर कामयाबी के साथ उतर गया। इसी के साथ भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला रूस, अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा देश बन गया है। वहीं, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।
अब नजरें प्रज्ञान रोवर पर है, जो स्थितियां सामान्य होने के बाद चांद की सतह पर चलेगा। इसके एक पहिये पर इसरो का चिह्न और दूसरे पहिये पर अशोक स्तंभ उकेरा हुआ है। जैसे ही प्रज्ञान रोवर चलना शुरू करेगा, इसरो का चिह्न और अशोक स्तंभ चंद्रमा की सतह पर अंकित हो जाएगा।
चंद्रयान-3 के लिए अब अगले कुछ पड़ाव महत्वपूर्ण हैं।
- रोवर बाहर आएगा
- 14 दिन क्या होगा
- इसरो को क्या जानकारी भेजेगा
चंद्रयान-3 ने कैसे रच दिया इतिहास?
इसरो के अधिकारियों के मुताबिक, चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का ही अगला चरण है, जो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और परीक्षण करेगा। यह चंद्रयान-2 की तरह ही दिखता है, जिसमें एक लैंडर और एक रोवर शामिल किए गए हैं। चंद्रयान-3 का फोकस चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंड करने पर है। मिशन की सफलता के लिए नए उपकरण बनाए गए हैं। एल्गोरिदम को बेहतर किया गया है। जिन वजहों से चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतह नहीं उतर पाया था, उन पर फोकस किया गया है।
मिशन ने 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे श्रीहरिकोटा केन्द्र से उड़ान भरी और योजना के अनुसार आज चंद्रमा पर उतरा। यह मिशन भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया।
पिछले दो मिशन
चंद्रयान-1
यह अक्तूबर 2008 में भेजा गया था। चंद्रमा पर पानी की संभावना की खोज कर यह इतिहास रच चुका है। इसी के बाद विश्व की तमाम अंतरिक्ष एजेंसियों की चंद्रमा को लेकर उत्सुकता बढ़ गई।
चंद्रयान-2
जुलाई 2019: यह यान आज भी चंद्रमा की सौ किलोमीटर की कक्षा में घूम रहा है। इसे एक साल तक ही चलना था, लेकिन अब तक यह हमें जानकारी भेज रहा है। इसमें विश्व का सबसे बेहतरीन कैमरा लगा है, जो चंद्रमा के लगभग हर हिस्से की तस्वीरें ले चुका है।