इंदौर: सरकार द्वारा इंदौर की 297 अवैध कॉलोनियों को वैध करने की चल रही प्रोसेस के बीच अब नगर निगम के उस आदेश को लेकर भी स्थिति स्पष्ट हो गई है जिसमें उसने रजिस्ट्री करवाने के पहले निगम की एनओसी की अनिवार्यता को लेकर डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार को पत्र लिखा था। सीनियर डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार दीपक कुमार शर्मा ने पिछले दिनों इसे लेकर निगम के इस पत्र के जवाब में एक पत्र निगम को लिखा था। इसमें बताया गया है कि नियमानुसार सब रजिस्ट्रार को रजिस्ट्री के लिए जरूरी दस्तावेज के अलावा एनओसी या प्रमाण पत्र मांगने का अधिकार नहीं है। नियम-35 में बताए कारण के अलावा कोई अन्य आधार लेकर रजिस्ट्री रोकी नहीं जा सकती। रजिस्ट्रार ने स्पष्ट किया कि अवैध से वैध की जा चुकी कॉलोनियों की रजिस्ट्रियां होंगी।
अवैध से वैध की गई कॉलोनियों में रजिस्ट्री, पुराने निर्माण, कमर्शियल भवन, नए आवासीय व कमर्शियल भवन निर्माण की अनुमति आदि को लेकर निगम के रिटायर्ड सिटी इंजीनियर एनएस तोमर से बात की तो उन्होंने कई सवालों का समाधान किया।
अब आसानी से की जा सकेगी रजिस्ट्रियां
क्या अवैध के वैध की गई कॉलोनियों के मकान, प्लॉटो की रजिस्टियां होंगी?
– हां बिल्कुल होगी, बशर्ते अवैध को वैध कॉलोनी करने की प्रोसेस पूरी हो गई हो। जिन अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रोसेस चल रही है उनकी पूरी होने के बाद ही की जा सकेगी।
…तो फिर नगर निगम ने एनओसी की आवश्यकता क्यों बताई?
– दरअसल निगम की मंशा यह हो सकती है कि अवैध से वैध की गई कॉलोनियों धांधलियां न हो जाए, संभवत: इसके मद्देनजर उसने एनओसी संबंधी पत्र लिखा था। संभव है कि लोग इन कॉलोनियों में बगीचे की जमीन या अन्य स्थान की जमीन पर कब्जे कर रजिस्ट्री करा ले।
वैध हो चुकी कॉलोनियों में किसी को प्लॉट, मकान की रजिस्ट्री कराना हो कौन-कौन से दस्तावेज जरूरी होंगे।
– नगर पालिक निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत या राजस्व विभाग द्वारा जारी नामांतरण आदेश। इसके अलावा सक्षम अधिकारी द्वारा जारी प्रमाणित कॉपी जिसमें संबंधित संपत्ति होने का उल्लेख हो।
– संपत्ति कर के पेमेंट के खुद के नाम पर जारी रसीद की प्रमाणित कॉपी।
– खुद के नाम पर बिजली बिल भुगतान की प्रमाणित कॉपी।
– पूर्व में की गई रजिस्ट्री की प्रमाणित कॉपी।
– संपत्ति अगर ग्रामीण क्षेत्र में हो तो संबंधित पंचायत सचिव के प्रमाण पत्र की कॉपी।
जो कॉलोनियां वैध हो चुकी है वहां क्या भवन निर्माण की अनुमति मिलेगी?
– बिल्कुल मिलेगी। पहले यह होता था कि अगर कॉलोनाइजर चला गया है तो वहां 11 लोगों की सोसायटी बनती थी तथा 10% डेवलपमेंट चार्ज लिया जाता था। इसमें बगीचे की जमीन को छोड़कर वैध करने की प्रोसेस थी। अब इन मामलों में सरकार ने डेवलपेंट चार्ज भी माफ कर दिया है।
वैध हो चुकी कई कॉलोनियों में कमर्शियल भवन बन गए हैं, उसे लेकर क्या नियम है?
– उनका नक्शा रेसिडेंशियल कैटेगरी में ही पास होगा। अब इन रहवासी कॉलोनियों में जहां नए कमर्शियल भवन बनेंगे तो संभव है नगर निगम उन्हें तोड़े।
उक्त कॉलोनियों में अगर अब कोई कमर्शियल बिल्डिंग बनाने चाहे तो उसके लिए क्या प्रावधान है?
– टॉउन एण्ड कंट्री प्लानिंग में अगर अगर लैण्ड यूज अगर रेसिडेंशियल है तो कमर्शियल की अनुमति नहीं मिलेगी। अगर लैण्ज यूज कमर्शियल है तो ही फिर उसकी अनुमति मिलेगी।
इन कॉलोनियों में जिन्होंने अवैध निर्माण कर लिए हैं या एमओएस नहीं छोड़ा है उन पर क्या कार्रवाई होगी?
– अगर किसी के माध्यम से शिकायत मिलती है तो जांच के बाद तोड़ने की कार्रवाई हो सकती है। यह मामला तो अवैध कॉलोनियों को वैध करने का है। इसमें वही अनुमति मान्य होगी जो नियमों के तहत है।
ऐसे में क्या किया जा सकता है?
– एमओएस और एफएआर में 10% तक बना अवैध निर्माण कम्पाउण्डेबल है। उसके लिए निगम के निर्धारित जो भी चार्जेस हैं वह भरना होंगे।
इतनी कॉलोनियों में बड़े पैमाने पर हर तरह के निर्माण हुए हैं, ऐसी स्थिति क्यों बनी?
– दरअसल 1975 के बाद जब हॉउसिंग बोर्ड व आईडीए बने तो मकसद यह था कि ये नो लॉस नो प्रॉफिट में प्लॉट-मकान बेचेंगे ताकि हर जरूरत व्यक्ति इन्हें खरीद सके। बाद में इन्होंने धीरे-धीरे नीलामी प्रक्रिया शुरू को तो रेट बढ़ने लगे। ऐसे में लोगों ने फिर अवैध कॉलोनियों की ओर रुख किया लेकिन उन्हें मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही थी। ऐसे में अब इन रहवासियों को राहत देने के लिए अवैध कॉलोनियों को वैध किया जा रहा है। इसमें ऐसा नहीं कि कोई रेसिडेंशियल को कमर्शियल बना लें, यह अवैधानिक है। आमजन इन कॉलोनियों में अच्छे से रह सके इसलिए इन्हें वैध किया गया है।