क्या है भारतीय न्याय संहिता की धारा 150, जो लेगी राजद्रोह कानून की जगह; विस्तार से जानें

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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार भारत में आपराधिक कानून को पूरी तरह से बदलने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। अब उसने संसद में औपनिवेशिक युग के राजद्रोह कानून (124 ए) को खत्म करने का फैसला लिया है। इस कानून को वह अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 150 के साथ बदलने जा रही है। इन दोनों कानूनों को विस्तार से जानने से पहले आइए जानते हैं किसने इस पर क्या-क्या कहा। 

विधि आयोग ने क्या कहा था
जून में विधि आयोग ने राजद्रोह कानूनों का पुरजोर समर्थन किया था और कहा था कि इसके इस्तेमाल की परिस्थितियों से जुड़े बदलावों के साथ इसे बरकरार रखा जाना चाहिए। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124-ए को निरस्त करना भारत में मौजूद जमीनी हकीकत से मुंह मोड़ना होगा। आयोग ने सिफारिश की थी कि राजद्रोह के लिए सजा को तीन साल की जेल से बढ़ाकर आजीवन कारावास या सात साल तक की जेल की सजा दी जाए।
केंद्रीय गृह मंत्री ने लोकसभा में क्या कहा
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आज लोकसभा में कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) पर नया विधेयक राजद्रोह के अपराध को पूरी तरह से निरस्त कर देगा। उन्होंनेआईपीसी, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदलने के लिए लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए और कहा कि आगामी 15 अगस्त को आजादी का अमृत महोत्सव समाप्त होगा और 16 अगस्त से आजादी की 100 वर्ष की यात्रा की शुरुआत के साथ अमृत काल का आरंभ होगा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में देश के सामने पांच प्रण रखे थे जिनमें एक प्रण था कि हम गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त कर देंगे। आज मैं जो तीन विधेयक एक साथ लेकर आया हूं। ये सभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पांच प्रणों में से एक को पूरा करने वाले हैं। इन तीन विधेयक में एक है भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), एक है दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), तीसरा है भारतीय साक्ष्य अधिनियम। भारतीय दंड संहिता, 1860 की जगह अब भारतीय न्याय संहिता 2023 होगा। दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 प्रस्थापित होगा और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की जगह ‘भारतीय साक्ष्य अधिनियम’ प्रस्थापित होगा।

आईपीसी की धारा 124-ए क्या कहती है
राजद्रोह से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124-ए कहती है- जो कोई भी शब्दों के माध्यम से, या मौखिक या लिखित, या संकेतों द्वारा या दृश्य प्रतिनिधित्व द्वारा, या भारत में कानून द्वारा स्थापित सरकार के प्रति घृणा या अवमानना लाता है या उत्तेजित करने का प्रयास करता है, उसे आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी। इसमें जुर्माना जोड़ा जा सकता है या कारावास जो तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है, उसमें जुर्माना जोड़ा जा सकता है या जुर्माना लगाया जा सकता है।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 150 में क्या है
भारतीय न्याय संहिता की धारा 150 भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों से संबंधित है। न्याय संहिता की इस धारा में अलगाव, सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियों और अलगाववादी गतिविधियों का संदर्भ जोड़ा गया है। इसमें कहा गया है, ‘जो कोई भी जानबूझकर या शब्दों के माध्यम से या तो मौखिक या लिखित या संकेतों या दृश्य प्रतिनिधित्व या इलेक्ट्रॉनिक संचार या वित्तीय साधनों का उपयोग करके या, उत्तेजित करता है या उत्तेजित करने का प्रयास करता है, अलगाववाद या सशस्त्र विद्रोह या विध्वंसक गतिविधियों को उत्तेजित करता है या प्रयास करता है, या अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को प्रोत्साहित करता है या भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालता है; या इस तरह के किसी भी कृत्य में शामिल होने या करने पर आजीवन कारावास या सात साल तक के कारावास से दंडित किया जाएगा और जुर्माना भी लगाया जाएगा।

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