बैंक से फर्म की डिटेल निकाली, ऑनलाइन 42 करोड़ रु. निकालते उससे पहले पकड़ाए

इंदौर

इंदौर: एक सरकारी बैंक की डिटेल निकालकर फिर एक फर्म के डोरमेट अकाउंट को ब्रेक कर 42 करोड़ रुपए ऑनलाइन निकालने के लिए एक गैंग भंवरकुआं इलाके पहुंची। गैंग सदस्य बगैर किसी पहचान पत्र के होटल में रुकने का प्रयास कर रहे थे, ताकि होटल का वाईफाई इस्तेमाल कर अकाउंट ब्रेक कर सकें। ऐसा करने पर उनका आईपी एड्रेस नहीं मिलता और पकड़े नहीं जाते। इसके पहले पुलिस को सूचना भेज दी गई और उन्हें दबोच लिया।

सब इंस्पेक्टर जयेंद्र दत्त शर्मा ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि होटल सेवन हैवन में कुछ लोग बिना पहचान पत्र के रुकना चाहते हैं। मामला कुछ गड़बड़ लग रहा है। इस पर एक टीम वहां भेजी। टीम सेवन हैवन पहुंची तब तक आरोपी जा चुके थे। शंका हुई तो अन्य होटलों की सर्चिंग की गई। दो युवक रवि जायसवाल निवासी गुरुनगर और चंदन उर्फ रौनक सिंह वास्केल निवासी गुलशन कॉलोनी मनावर होटल सुखमणि में बिना आईडी के रुकने का प्रयास कर रहे थे। उनसे पूछताछ के बाद पूरी गैंग को तीन इमली बस स्टैंड से पकड़ा और थाने लाए। बाकी आरोपियों के नाम त्रिलोक शर्मा निवासी नंदबाग, आयुष मलंग स्कीम-78, और हर्ष शर्मा बसंत विहार कॉलोनी पता चले हैं।

जब इनके मोबाइल चेक किए तो भारी गड़बड़ मिली

पहले तो आरोपी बरगलाते रहे, जब मोबाइल चेक किए तो कई संदिग्ध सबूत मिले। आखिर में आरोपियों ने कबूल कर लिया कि वे डार्क बेव (इंटरनेट का वो हिस्सा जहां वैध, अवैध तरीके से काम किए जाते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक इंटरनेट का 96% हिस्सा डीप और डार्क वेब में आता है) के मार्फत बैंक का डाटा खंगाल चुके थे। इसी के मार्फत उन्होंने उक्त बैंक की फर्म गिरिएस इन्वेस्टमेंट प्रा.लि. की जानकारी निकाली। इसका खाता लंबे समय से बंद है, उसमें करोड़ों रुपए जमा हैं। आरोपियों को पता था कि ऐसे खाते से राशि चुराई तो किसी को मैसेज नहीं जाएगा।

एक आरोपी करता था पंडिताई
पुलिस ने जब इनकी जानकारी निकाली तो पता चला त्रिलोक पंडिताई करता है। रौनक एमबीए कर रहा है। हर्ष और रवि इवेंट मैनेजमेंट का काम करते हैं। पांचवां साथी बेरोजगार है, इसमें रवि बड़े वाला हैकर है।

वारदात के लिए इसलिए होटल चुना
आरोपी बोले कि वे अपने मोबाइल, इंटरनेट का इस्तेमाल करते तो भविष्य में धोखाधड़ी पकड़ी जाने पर वे भी पकड़े जाते। इसलिए ऐसी होटल का वाईफाई यूज करना चाहते थे जो स्पीड वाला हो। बिना आईडी दिखाए इसलिए रुक रहे थे, ताकि पुलिस उन तक कभी न पहुंचती।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *