HC ने कहा- आवारा मवेशियों को सड़कों से हटाने के लिए कोई डिवाइस है क्या

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बिलासपुर. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में सड़कों पर घूम रहे आवारा मवेशियों (stray cattle) के मामले में दायर की गई सोशल वर्कर (Social worker) राजकुमार मिश्रा की जनहित याचिका (Public interest litigation) के बाद मुख्य सचिव सुनील कुजूर के खिलाफ अवमानना याचिका (Contempt petition) में सुनवाई हुई, जिसमें हाईकोर्ट ने अधिवक्ता बी.पी. सिंह को न्यायमित्र नियुक्त किया है. कोर्ट में सड़कों पर घूम रहे मवेशियों के मामले में जांच कर 1 अक्टूबर को रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. इसके अलावा प्रदेशभर की सड़कों में आवारा मवेशियों के आतंक से हो रही दुर्घटनाओं और इंसान सहित मवेशियों की मौतों को लेकर दायर की गई कई याचिकाओं पर सुनवाई हुई, जिसमें हाईकोर्ट (High court) ने स्टेट और केंद्र शासन से पूछा है कि इन आवारा मवेशियों को सड़कों से हटाने के लिए कोई डिवाइस है क्या ? सुनवाई में लखनऊ में मवेशियों के लिए तैयार किये गए प्रोजेक्ट के बारे में भी जिक्र किया गया है.

मवेशियों को सड़कों से हटाने की व्यवस्था की जाए- हाईकोर्ट

पिछले सुनवाई में हाईकोर्ट ने शासन को निर्देश देते हुए कहा था की मवेशियों को सड़कों से हटाने की व्यवस्था की जाए. इसके अलावा राज्य शासन के नरूवा, गरुवा, घुरूवा अउ बारी योजना के तहत बन रहे गौठानों का भी जिक्र किया गया था, जिसे हाईकोर्ट ने ऑब्जर्व कर लिया है. बता दें की प्रदेश भर की सड़कों में आवारा मवेशियों के कारण आये दिन दुर्घटनाएं देखने को मिलती है. आवारा मवेशी सड़कों में बेधड़क घूमते हुए नजर आ ही जाते हैं. कुछ दिनों पहले इसे मामले में एक अवमानना याचिका भी दायर हुई थी, जिसमे शासन ने कोर्ट के समक्ष कहा था कि मवेशियों के मामले का निराकरण कर दिया गया है और सड़कों पर एक भी मवेशी नहीं है.

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