सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में गोचर जब सूर्यदेव रोहिणी नक्षत्र में 15 दिन के लिए प्रवेश करते हैं तो उसकी शुरुआत के नौ दिन को नौतपा कहते हैं। क्योंकि इन शुरुआती नौ दिनों में धरती काफी तेज तपती है। स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषचार्य डॉ पंडित गणेश शर्मा के अनुसार, सूर्यदेव 25 मई गुरुवार को रात करीब नौ बजकर 12 मिनट को प्रवेश करेंगे। यानी पुष्य नक्षत्र के साक्ष में सर्वार्थसिद्धि योग के संयोग में सूर्य देव चंद्रमा के नक्षत्र रोहिणी में प्रवेश करेंगे। इनके प्रवेश करते ही नौतपा प्रारंभ होगा।
पंडित शर्मा ने बताया कि ज्योतिष मान्यता के अनुसार, इस बार रोहिणी नक्षत्र का निवास समुद्र के तट पर तथा वास रजक के यहां, वहीं वाहन सिचाणु रहेगा। अर्थात जब सूर्यदेव रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं तो उस समय उनका वास समुद्र तट पर होता है। समुद्र तट पर वास होने से यह माना जाता है कि वर्षा अच्छी होगी, क्योंकि तब समुद्र का जल वाष्प में बदलकर ऊपर जाकर बादल बनता है। नौतपा में यदि वर्षा नहीं होती है और यह अच्छे से तपता है तो अच्छी वर्षा होती है। ऐसे में फसल के भी अच्छे होने के संकेत मिलते हैं। इस वर्ष नौतपा के दौरान 25 एवं 26 मई का दिन सामान्य रहेगा।
वहीं 27, 28, 29, 30 के दिन प्रचंड तेज हवा के साथ गर्मी देखने को मिल सकती है। इसके साथ ही आगामी अंतिम 3 दिन 31 मई एवं 1 और 2 जून को तेज हवा के साथ उमस भरा मौसम रहने की संभावना है। नौतपा 25 मई ग्रीष्म ऋतु ज्येष्ठ माह में प्रारंभ होगा, जो दो जून तक चलेगा। नौतपा में प्रचंड गर्मी पड़ती है। सूर्य 15 दिन के लिए रोहिणी नक्षत्र में गोचर करने लगता है। इन पंद्रह दिनों के पहले के नौ दिन सर्वाधिक गर्मी वाले होते हैं। इन्हीं शुरुआती नौ दिनों को नौतपा कहते हैं।
नौतपा में क्यों इतनी गर्मी बढ़ जाती है?
नौतपा के दौरान सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर प्रभाव डालती हैं। इससे प्रचंड गर्मी होती है, जो समुद्र के पानी का वाष्पीकरण तेजी से करके बादलों का निर्माण करती है। इससे मानसून में अच्छी बारिश होने के आसार बनते हैं। नौतपा के कारण गर्मी बढ़ने लगती है। इस दौरान तापमान बेहद उच्च होता है। उत्तर भारत में गर्म हवाएं यानी लू चलने लगती है। नौतपा में नौ दिनों तक गर्मी अपने चरम पर होती है।