निर्जला एकादशी कब है? व्रत करने का क्या है तरीका?

धर्म-कर्म-आस्था

ज्येष्ठ माह में अपरा और निर्जला एकादशी आती है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशक्ष को निर्जला एकादशी कहते हैं।
यह एकादशी भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जानी जाती है। आओ जानते हैं कि यह एकादशी कब है, क्या फायदे हैं और इस का व्रत रखने का तरीका क्या है।
कब है निर्जला एकादशी?

निर्जला एकादशी व्रत वर्ष 2023 में 31 मई, दिन बुधवार को रखा जाएगा। एकादशी तिथि 30 मई, मंगलवार को रात्रि में 01.07 बजे से प्रारंभ होकर होकर 31 मई, दिन बुधवार को दोपहर 01.45 पर समाप्त होगी।

निर्जला एकादशी पारणा मुहूर्त : 1 जून को 05:23:39 से 08:09:45 तक

निर्जला एकादशी व्रत रखने का फायदा-

पद्मपुराण में निर्जला एकादशी व्रत द्वारा मनोरथ सिद्ध होने की बात कही गई है। इस एकादशी के व्रत को विधिपूर्वक करने से सभी एकादशियों के व्रत का फल मिलता है।
 
निर्जला एकादशी व्रत रखने का तरीका-

निर्जला का अर्थ निराहार और निर्जल रहकर व्रत करना है।
इस दिन व्रती को अन्न तो क्या, जलग्रहण करना भी वर्जित है।
यानी यह व्रत निर्जला और निराहार ही होता है।
शास्त्रों में यह भी उल्लेख मिलता है कि संध्योपासना के लिए आचमन में जो जल लिया जाता है, उसे ग्रहण करने की अनुमति है।
इस व्रत में एकादशी तिथि के सूर्योदय से अगले दिन द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक जल और भोजन ग्रहण नहीं कहते हैं।
प्रात:काल स्नान के बाद सर्वप्रथम भगवान विष्णु की मंत्र सहित विधि-विधान से पूजा करें।
इस दिन जल भरे कलश पर सफेद वस्त्र को ढककर रखें और उस पर चीनी तथा दक्षिणा रखकर ब्राह्मण को दान दें।
इसके बाद दान, पुण्य आदि कर इस व्रत का विधान पूर्ण करके दूसरे दिन पारण करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *