विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए कई प्रकार की व्यवस्था किए जाने के बड़े-बड़े दावे श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति के पास हैं, लेकिन अमर उजाला की टीम लगातार मंदिर पहुंचकर लाइन में लगने वाले श्रद्धालुओं से लेकर दर्शन कर लौट रहे श्रद्धालुओं से यह फीडबैक ले रही है कि आखिर महाकाल मंदिर की व्यवस्थाएं कैसी हैं। हमें पता चला कि महाकाल लोक जहां से मानसरोवर गेट से आम श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जाता है। उसके बाहर कई स्थानों पर शामियाने नहीं लगे होने के कारण श्रद्धालुओं को घंटों तक धूप में खड़ा रहना पड़ता है।
महाकाल लोक से मानसरोवर गेट तक पहुंचने के इस रास्ते पर ना तो मेटिंग बिछी हुई है और ना ही पीने के पानी की कोई व्यवस्था है। स्थितियां यह है कि मन में बाबा महाकाल के दर्शन की अभिलाषा लेकर लाइन में लगने वाले कई लोग चक्कर आने और उल्टी जैसी समस्या होने पर बीमार हो जाते हैं। इसके साथ ही जूता चप्पल स्टैंड से मानसरोवर गेट तक पहुंचने के रास्ते और निर्गम द्वार से जूता चप्पल स्टैंड तक मेटिंग नहीं लगी हुई है जिसके कारण श्रद्धालुओं के पैर जल रहे हैं। वैसे सुनने के लिए तो यह काफी छोटी समस्या है लेकिन घंटों तक तेज धूप में खड़ा होना, गर्म पत्थरों पर चलना और इस दौरान पीने के पानी के ना मिलने के कारण यह श्रद्धालु दर्शन करने के बाद मंदिर की व्यवस्थाओं का अच्छा अनुभव अपने साथ नहीं ले जाते हैं।
धौलपुर राजस्थान के रहने वाले सचिन शर्मा बताते हैं कि लगभग 200 किलोमीटर दूर से हम बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए आए थे। चार घंटे लाइन में लगने के बाद जब हमें बाबा महाकाल के दर्शन करवाए गए तो वह गर्भगृह से नहीं बल्कि रेलिंग से करवाए गए। हमारी आस्था थी कि हम गर्भगृह में जाकर बाबा महाकाल को जल चढ़ाएं लेकिन यह आस अधूरी रह गई। हमें ठीक से दर्शन नहीं हुए हमें निराश होकर लौटना पड़ रहा है।
राजस्थान से ही आए मोनू शर्मा ने बताया कि मंदिर समिति का ध्यान आम श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था जुटाने की ओर नहीं है। समिति के लोग वीआईपी पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। जिसके कारण ही आम दर्शनार्थियों को दर्शन करने में कई प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। मंदिर समिति को आम दर्शनार्थियों की सुविधाओं की ओर भी ध्यान देना चाहिए।
राजस्थान निवासी विवेक गुप्ता का कहना है कि दोपहर 1 से 4 तक गर्भगृह में आम दर्शनार्थियो के दर्शन का समय रहता है, लेकिन फिर भी हमें गर्भगृह में प्रवेश नहीं मिल पाया। हमने लगभग 4 घंटों में बाबा महाकाल के दर्शन किए वह भी बेरिकेड से। अगर हमारे समय में वीआईपी को दर्शन नहीं करवाए जाते तो हम लोग भी गर्भगृह में पहुंचकर बाबा महाकाल को जल अर्पित कर पाते। आम दर्शनार्थियों को गर्भगृह में दर्शन करवाने की झूठी वाहवाही लूटने का ऐसे में क्या मतलब है। मंदिर की व्यवस्थाएं तो ऐसी लगती है जैसे पैसे दो और आपको अच्छी सुविधाएं मिलेगी।
हरियाणा से आने वाले सुनील कुमार और स्वीटी वर्मा ने बताया कि 1000 किलोमीटर दूर से बाबा महाकाल के दर्शन करने उज्जैन आए हैं। मंदिर में लगभग दो घंटे लाइन मे खड़े रहे, लेकिन लाइन आगे ही नहीं बढ़ रही थी। बस वीआईपी लोगों को ही दर्शन करवाए जा रहे थे। हमारे साथ माताजी और छोटे-छोटे बच्चे हैं जो कि लाइन में खड़े होने के दौरान जब ज्यादा परेशान हो गए तो हमने भगवान महाकाल के एलईडी में दर्शन किए और अब हम अपने घर लौट रहे हैं। हरियाणा से आए दंपत्ति ने मंदिर की अव्यवस्थाओं के बारे में यह भी बताया कि श्रद्धालु चक्कर खा रहे हैं, पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है, शामियाने नहीं लगे हैं। कर्मचारियों को परेशानी बताओ तो वह परेशानी से बचने के लिए 750 की रसीद कटवाने का कहते हैं।
राजस्थान की सुविका देवी चौधरी ने कहा कि 2 घंटे से लाइन में लगे हैं। बाबा महाकाल के दर्शन कब होंगे नहीं जानते हैं। पहले भी मंदिर में दर्शन करने आ चुके हैं, लेकिन पहले व्यवस्थाएं ठीक थीं अब नहीं है। पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। दर्शन कब होंगे यह नहीं जानते लेकिन अभी तो अव्यवस्थाओं से हालत खराब हो रही है।
अकोला महाराष्ट्र के मंथन कापढ़कर का कहना है कि कड़क धूप, पानी की व्यवस्था नहीं शामियाने की व्यवस्था नहीं। जो दर्शन करने बाहर से श्रद्धालु आते हैं उनके लिए मंदिर समिति को यह सुविधाएं जुटाना चाहिए। हम कई घंटों से लाइन में खड़े हुए हैं, लेकिन अभी तक तो मानसरोवर गेट तक भी नहीं पहुंच पाए हैं। न जाने दर्शन के दौरान तक क्या क्या झेलना पड़ेगा। देवास के कपिल यादव ने कहा कि भीड़ बहुत है। दर्शन नहीं हुए बहुत देर लाइन में खड़ा रहा परेशानी हो रही थी इसीलिए बाहर निकल गया अब घर जा रहा हूं।
गाजियाबाद के पंकज शर्मा ने बताया कि व्यवस्था अच्छी नहीं लगी। घंटों तक लाइन में खड़े होने के बाद जब दर्शन का समय आया तो सुरक्षाकर्मियों ने हाथ पकड़कर तुरंत आगे की ओर बढ़ा दिया। यहां की व्यवस्थाएं देखकर तो लगता है कि अगर आपके पास पैसा है तो सभी सुविधाएं आपकी हैं आम जनता के लिए यहां कुछ नहीं है।
भोपाल से दर्शन को पहुंचे छोटेलाल ने कहा कि दर्शन व्यवस्था में काफी गड़बड़ियां हैं। घंटों तक लाइन में खड़े रहने के बावजूद भी दर्शन नहीं हो पा रहे हैं। मैं भी लगभग 2 घंटे तक लाइन में लगा रहा, लेकिन जब दर्शन नहीं हुए तो लाइन से बाहर जा रहा हूं। मैंने बाबा महाकाल के एलईडी से दर्शन कर लिए हैं। बाबा महाकाल वैसे भी हमारे दिल में बसे हुए हैं। मंदिर में पहले ऐसी व्यवस्था नहीं थी अब लाखों रुपए खर्च होने के बावजूद भी लोगों को बाबा महाकाल के दर्शन ठीक से नहीं हो रहे हैं। मंदिर परिसर में कारपेट बिछाना चाहिए जिससे के लोगों के पैर न जले।
जयपुर से आए ज्ञानेंद्र प्रतापसिंह के मुताबिक वे भी चार घंटे से लाइन में लगे हैं। पहली बार बाबा महाकाल के दर्शन करने उज्जैन आए हैं। मंदिर के बारे में काफी सुना था इसीलिए परिवार के 20 से 25 लोग टूर बनाकर महाकाल मंदिर दर्शन करने पहुंचे, लेकिन यहां व्यवस्था के नाम पर कुछ भी नहीं है। ना कूलर है…. ना पंखा है…. गर्मी से हालत खराब है। चार लोगों की उल्टी दस्त से तबीयत खराब हो चुकी है। पानी की सुविधा नहीं है। चार घंटे से लाइन में खड़े हैं दर्शन तो दूर मानसरोवर गेट तक भी नहीं पहुंच पाए हैं।
झारड़ा के पंडित विवेक रावल ने बताया कि दोपहर 1 बजे लाइन में लगे थे 2 घंटे तक प्रयास किया कि बाबा महाकाल के दर्शन कर लें, लेकिन मंदिर में बहुत भीड़ है। मुझे शहर में और भी कुछ काम है जिसके बाद ट्रेन से घर भी लौटना है इसीलिए मैं बाबा महाकाल के एलसीडी से दर्शन कर लौट रहा हूं। नागपुर से आए हरीश शर्मा ने बताया कि तीन घंटे से लाइन में लगे हैं, लेकिन बाबा महाकाल के दर्शन अब तक नहीं हो पाए हैं। पहले भी 3 बार भगवान के दर्शन करने आ चुके हैं लेकिन इस बार जैसी व्यवस्थाएं हैं ऐसी कभी नहीं देखी। मंदिर प्रबंध समिति ने सामान्य दर्शनार्थियों का जैसे मजाक बना दिया है। हर बेरिकेड पर लगभग आधा-आधा घंटा रोका जा रहा है। 5 से 6 स्थानों पर अब तक हम रुक चुके हैं न जाने कितनी देर बाबा महाकाल के दर्शन करने में और लगेगी। मेरे साथ परिवार के 3 लोग और भी बाबा महाकाल के दर्शन करने आए हैं। बच्चे पानी के लिए परेशान हैं तो बुजुर्गों को चलने में दिक्कत आ रही है। बावजूद भी वे चल रहे हैं मंदिर समिति की व्यवस्थाएं बेहतर नहीं है।