व्यापारियों के कड़े विरोध के बाद ट्रेड लाइसेंस का नया नियम स्थगित, महापौर ने सीएम का माना आभार

इंदौर मध्यप्रदेश

इंदौर: सड़क की चौड़ाई के आधार पर व्यापारियों से ट्रेड लाइसेंस टैक्स लेने के नए नियम को मध्य प्रदेश सरकार ने स्थगित करने का निर्णय लिया है। इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने इस फैसले के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान का आभार माना है। 
इंदौर नगर निगम के बजट पर सुझाव के लिए बुलाई गई बैठक में व्यापारियों ने नए ट्रेड लाइसेंस नियम का विरोध किया था। व्यापारियों की मांग पर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था। महापौर ने मांग की थी कि ट्रेड लाइसेंस देने के मौजूदा नियम में बदलाव, विशेष रूप से इंदौर में शिथिल किया जाए। मेयर ने बताया कि मुख्यमंत्री ने व्यापारी हित में यह फैसला ले लिया है। 
इस संबंध में नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने आदेश जारी कर दिया है। अब व्यापारियों पर नया ट्रेड लाइसेंस नियम लागू नहीं होगा। महापौर ने भार्गव ने मुख्यमंत्री के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि सरकार ने व्यापारियों के हित में सकारात्मक निर्णय लिया है। यह स्वागत योग्य है।

21 अप्रैल को जारी की थी अधिसूचना
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने 21 अप्रैल को  मध्य प्रदेश नगर पालिका व्यापार लाइसेंस नियम 2023 की अधिसूचना जारी की थी, लेकिन व्यापारियों के विरोध के कारण इसे पांचवें दिन ही स्थगित करना पड़ा। 

सीएम के आदेश से नियम स्थगित : भूपेंद्र सिंह
प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देशानुसार इस नियम के क्रियान्वयन को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया। इन नियमों के लागू होने के पहले जिन नगरीय निकायों द्वारा मध्यप्रदेश नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 अथवा मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनयम 1961 के प्रावधानों के अनुसार निकाय स्तर पर व्यापार विनियमन के लिए व्यापार अनुज्ञप्ति (ट्रेड लायसेंस) जारी करने के लिए शुल्क निर्धारित करके नियम लागू किए गए हैं, वह पूर्वानुसार लागू रहेंगे। 

नए नियम में यह था प्रावधान
व्यापारिक लाइसेंस के नए नियम में निगम को सड़क की चौड़ाई के अनुसार प्रति वर्गफीट चार से छह रुपये प्रति वर्गफीट की दर से कर लेने का प्रावधान था। इसमें  नगरपालिक परिषद को तीन से पांच रुपये और नगर परिषद को दो से चार रुपये वर्ग फीट की दर से सालाना कर वसूलने का प्रावधान था। हालांकि, इसमें  नगर निगम क्षेत्र के लिए अधिकतम कर सीमा 50 हजार रुपये, नगर पालिका परिषद क्षेत्र के लिए 25 हजार रुपये और नगर परिषद के लिए 15 हजार रुपये की सीमा तय की गई थी। इसका इंदौर समेत प्रदेश के व्यापारियों ने कड़ा विरोध किया था। 

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