इंदौर में देश का नंबर वन मास्टर प्लान कैसे बने, इसके लिए इंदौर के गणमान्य नागरिक एकजुट हुए। इंदौर उत्थान अभियान की अगुआई में हुई इस परिचर्चा में अजीत सिंह नारंग ने कहा, शहर का विस्तार प्रशासकों द्वारा नहीं, बल्कि प्रॉपर्टी डेवलपरों द्वारा किया गया है। जबकि बेहतर शहरी नियोजन आज की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
उन्होंने कहा, साल 2050 में एक करोड़ से ज्यादा की आबादी हो जाएगी। इस आबादी के लिए मूलभूत सुविधाएं देनी होगी। इसलिए महानगर की दृष्टि से मास्टर प्लान बनाना होगा। इंदौर को महानगर क्षेत्र घोषित करने में भी मजाक किया गया। इंदौर महानगर का क्षेत्रफल 900 वर्ग किलोमीटर घोषित किया गया। ये दूसरे महानगरों की तुलना में कम है।
इंदौर को 3,500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में घोषित होना चाहिए था। बैठक में कलेक्टर टी इलैया राजा, आईडीए अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा, उद्योगपति शिव सिंह मेहता और अनिल भंडारी आदि मौजूद थे।
परिचर्चा की मुख्य बातें.
- परिचर्चा में कहा गया कि इंदौर में जल के प्राकृतिक बहाव कायम रहे
- इंदौर में हर साल 20 करोड़ घंटे ट्रैफिक में बर्बाद होते हैं। सड़कें चौड़ी की जाना चाहिए
- शहर में फ्लाईओवर ज्यादा बने, इसके लिए भी मास्टर प्लान में प्लानिंग होना चाहिए
- धार, महू, देवास और पीथमपुर को जोड़कर समग्र मास्टर प्लान बने
- ग्रीन बेल्ट पूर्व के मास्टर प्लानों में जितना था, उसे सहेजा नहीं गया। पिछले मास्टर प्लान में हरियाली 14 परसेंट थी, लेकिन जमीन पर 10 परसेंट से भी कम है
- निवेश क्षेत्र में समान एफएआर (फ्लोर एरिया रेशो) समान होना चाहिए, ताकि लोग मास्टर प्लान को लेकर कोर्ट में न जाएं
- शहर में वन फ्लैट वन पार्किंग नियम बने, सड़कों पर वाहन पार्क न हो। पार्किंग एरिया का उल्लेख रजिस्ट्री में होना चाहिए