आदेशः स्कूल वालों ने किसी दुकान से कॉपी-किताब खरीदने का दबाव बनाया तो प्रिंसिपल-डायरेक्टर पर कार्यवाही

इंदौर मध्यप्रदेश

इंदौर : निजी स्कूलों के संचालकों द्वारा छात्रों एवं पालकों को निर्धारित दुकानों से ही ड्रेस (यूनिफार्म ), जूते, टाई, किताबें कापियां आदि खरीदने के लिए बाध्य किया जाता है। अक्सर इस मामले में पैरेंट्स की शिकायतें आती रहती हैं। इस विषय की गंभीरता को समझते हुए इंदौर के जिला कलेक्टर इलैयाराजा टी ने एक आदेश जारी किया है। इसमें लिखा है कि यदि पैरेंट्स को स्कूल किसी दुकान से छात्रों की जरूरी सामग्री खरीदने के लिए दबाव बनाएंगो तो उन पर कार्यवाही की जाएगी। 

जो ज्यादा कमीशन देता है वहां से डील करते हैं स्कूल
आदेश में लिखा है कि स्कूल संचालकों व व्यवसायियों की सांठ-गांठ से इस प्रकार के कृत्य से विद्यार्थियों एवं उनके पालकों में रोष व्याप्त हो रहा है। साथ ही दूसरी ओर गरीब वर्ग के पालकों को इससे अत्यन्त कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। इस तथ्य से भी अवगत कराया गया है कि निजी विद्यालयों के संचालक स्टेशनरी, यूनिफार्म आदि के विक्रेताओं से सांठगांठ कर पालकों का शोषण करते आ रहे हैं। विद्यालय के संचालक विक्रेताओं से छात्र संख्या के आधार पर कमीशन तय करते हैं, जो व्यापारी अधिक कमीशन देता है, उसे अधिकृत कर, उसी की दुकान से सामग्री क्रय करने हेतु बाध्य किया जाता है। इसके दुष्परिणाम यह होते है कि सामग्री एक तो महंगी होती है तथा यदि कोई पालक कक्षा के पूरे सेट न खरीदते हुए केवल कुछ कापी-किताबें खरीदना चाहे तो उसे केवल उतनी कापी-किताबें न देते हुए पूरा सेट खरीदने के लिए बाध्य किया जाता है, क्योंकि विक्रेता द्वारा पूरे सेट के आधार पर ही स्कूल संचालक को कथित रूप से कमीशन दिया रहता है। कई बार सेट की कीमत बढ़ाने हेतु अनावश्यक पाठ्यक्रम से जो सामग्री संबंधित नहीं है जैसे डिक्शनरी, एटलस, आर्ट/क्राफ्ट बुक, ड्राईंग बुक, क्रेयॉन्स, वॉटर कलर्स आदि का भी समावेश कर दिया जाता है।

आदेश में यह महत्वपूर्ण बातें
1. संचालक / प्राचार्य स्कूल में संचालित प्रत्येक कक्षा के लिए अनिवार्य पुस्तकों की सूची विद्यालय के परीक्षा परिणाम के पूर्व अपने स्कूल की वेबसाइट पर अनिवार्य रूप से अपलोड करेंगे एवं अपने स्कूल परिसर में सार्वजनिक स्थान पर चस्पा करेंगे। मान्यता नियमों के अन्तर्गत वेबसाइट होना अनिवार्य है, साथ ही पुस्तकों की सूची की एक प्रति प्रवेशित अभिभावकों को प्रवेश के समय एवं परीक्षा परिणाम के समय तक उपलब्ध कराएंगे।
2. स्कूल संचालक / प्राचार्य विद्यार्थी एवं उनके अभिभावकों को सूचीबद्ध पुस्तकें परीक्षा परिणाम अथवा उसके पूर्व क्रय किए जाने हेतु बाध्य नहीं करेंगे अभिभावक पुस्तकों की उपलब्धता के आधार पर 15 जून 2023 तक क्रय कर सकेंगे। ऐसी स्थिति में अप्रेल माह में प्रारंभ होने वाले शैक्षणिक सत्र में प्रथम तीस दिवस की अवधि 01 अप्रैल 2023 से 30 अप्रैल 2023 तक के मध्य का उपयोग विद्यार्थियों के ओरिएंटेशन, व्यावहारिक व मनोवैज्ञानिक पध्दति से शिक्षण में किया जाएगा।

3. स्कूल संचालक जिस नियामक बोर्ड यथा सी.बी.एस.ई./आई.सी.एस.ई. / माध्यमिक शिक्षा मण्डल से संबंद्ध है उस संस्था के द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम व पाठ्यक्रम के अन्तर्गत नियामक संस्था अथवा उसके द्वारा विधिक रूप से अधिकृत एजेंसी यथा- एनसीईआरटी पाठ्य पुस्तक निगम आदि के द्वारा प्रकाशित एवं मुद्रित पुस्तकों के अतिरिक्त अन्य प्रकाशकों / मुद्रकों द्वारा प्रकाशित की जाने वाली पुस्तकों को विद्यालय में अध्यापन हेतु प्रतिबंधित करेंगे।
4. अतिरिक्त अन्य विषयों जैसे नैतिक शिक्षा, सामान्य ज्ञान, कम्प्यूटर आदि की निजी प्रकाशकों / मुद्रकों द्वारा प्रकाशित पुस्तकें क्रय करने हेतु बाध्य नहीं किया जाएगा।
5. स्कूल संचालक द्वारा विद्यार्थियों / अभिभावकों को पुस्तकें, कापियां, संपूर्ण यूनिफार्म आदि संबंधित स्कूल / संस्था अथवा किसी भी एक दुकान /विक्रेता / संस्था विशेष से क्रय किए जाने हेतु बाध्य नहीं किया जाएगा।
6. कोई भी विद्यालय अधिकतम दो से अधिक यूनिफार्म निर्धारित नहीं कर सकेंगे ब्लेजर इसके अतिरिक्त होगा, विद्यालय प्रशासन के द्वारा स्कूल यूनिफार्म का निर्धारण इस प्रकार किया जायेगा कि कम से कम 03 सत्र तक परिवर्तन नहीं हो। विद्यालय प्रशासन द्वारा वार्षिकोत्सव अथवा अन्य 3 आयोजन पर किसी भी प्रकार की वेशभूषा को विद्यार्थियों / पालकों को क्रय हेतु बाध्य नहीं किया जाएगा।
7. आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति/संस्था/ आयोजक के विरूद्ध भारतीय दण्ड प्रक्रिया की धारा 188 के अन्तर्गत कार्यवाही की जा सकेगी। विद्यालय द्वारा उक्त आदेशों की अवहेलना किए जाने पर शाला के प्राचार्य / संचालक के साथ ही शाला प्रबंधक / बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के समस्त सदस्य भी दोषी होंगे। यह आदेश इंदौर जिले की राजस्व सीमा क्षेत्र में दिनांक 01-04-2023 लागू रहेगा।

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