जर्मनी में नौकरी करते हुए की यूपीएससी की तैयारी, 61वीं रैंक पाकर बने टॉपर, अब नोएडा के डीएम

उत्तर प्रदेश लखनऊ

कड़ी मेहनत और लगन से व्यक्ति हर क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकता है। इसकी मिसाल हैं नोएडा के नवागत डीएम मनीष वर्मा। कई जिलों में प्रशासनिक पदों पर अपनी सेवाएं वह दे चुके हैं। उनका सफर कैसा रहा, आईएएस बनने की पूरी कहानी और जीवन में आने-वाले उतार-चढ़ाव को कैसे उन्होंने लिया। आईएएस मनीष वर्मा मूलत: कुशीनगर जिले के रहने वाले हैं। आईआईटी कानपुर से उन्होंने केमिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की है। यूपीएससी की तैयारी करने से पहले वह जर्मनी की एक इनवेस्टमेंट बैंकिंग फर्म में काम करते थे। नौकरी करते हुए ही उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा को पास करने में सफलता हासिल की। वह 2011 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उनकी ऑल इंडिया रैंक 61 थी। 

इन जिलों में किया है काम

मनीष वर्मा ने भारतीय प्रशासनिक सेवा में अपने करिअर की शुरुआत पीलीभीत जिले से की थी, जब उन्हें वहां का प्रोबेशनरी डीएम बनाया गया था। इसके बाद फिर वह मथुरा और प्रतापगढ़ के मुख्य विकास अधिकारी रहे। गौतमबुद्ध नगर जिले में उनका यह दूसरा कार्यकाल है। पहली बार वह केवल 15 दिनों के लिए नोएडा में उनकी तैनाती की गई थी। इसके बाद उन्हें कौशांबी जिले के डीएम के रूप में वहां भेजा गया था।

इस वजह से मिली तैनाती

आईएएस अधिकारी मनीष वर्मा नोएडा आने के पहले जौनपुर के जिलाधिकारी के रूप में कार्य कर रहे थे। लेकिन नोएडा के तत्कालीन डीएम और बैडमिंटन के विश्वस्तरीय खिलाड़ी सुहास एलवाई का प्रमोशन हो चुका है। लखनऊ में खेल सचिव के पद पर उन्हें तैनाती मिली है। जिसकी वजह से अब नोएडा के डीएम पद की जिम्मेदारी सरकार ने आईएएस अधिकारी मनीष वर्मा को सौंपी है। नोएडा में काम करने का उनके पास पहले का भी अनुभव है, जो उनके काम आएगा।  

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