इंदौर : इंदौर में प्रवासी भारतीय सम्मेलन और ग्लोबल इन्वेस्टर समिट हो रही है। इससे पहले हुई इन्वेस्टर समिट में भी देश और दुनिया के कई बड़े उद्योगपतियों ने निवेश किए जिनमें से कुछ शुरू हुए तो कुछ अभी भी प्लानिंग मोड में ही हैं। इंदौर के प्रमुख उद्योगपतियों का कहना है कि सरकार जमीन, पानी, बिजली से लेकर तमाम तरह की सुविधाएं दे रही है। ऐसे में यदि सरकार निवेशकों के लिए एक समय सीमा बना दे कि वे कितने समय में काम शुरू करेंगे तो उन पर भी इसका दबाव रहेगा और प्रशासन और अधिकारियों पर भी। इससे काम समय सीमा में शुरू हो जाएगा। वरना कई बार जमीनें मिलने के बाद में भी कई साल तक काम शुरू नहीं हो पाता है।
एमएसएमई के लिए भी इन्वेस्टर मीट होना चाहिए
एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज के सचिव तरुण व्यास कहते हैं कि जितने में इन्वेस्टर समिट हुए हैं उससे इंदौर और मप्र को ग्लोबलाइजेश मिला है। फॉर्मा, ऑटोमोबाइल, इंजीनियरिंग में कई बड़ी कंपनियां मध्यप्रदेश में आई हैं। सरकार अब क्लस्टर डवलपमेंट पॉलिसी लाई है। इससे बड़े बदलाव होंगे और कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां आएंगी। बड़े इन्वेस्टर के अलावा एमएसएमई के लिए भी इन्वेस्टर मीट होना चाहिए। जो 10 से 20 करोड़ या 50 करोड़ का निवेश कर रही हैं। वह रोजगार भी ज्यादा देती हैं।
समय सीमा निर्धारित करना बहुत जरूरी
सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र के पूर्व अध्यक्ष हरि अग्रवाल बताते हैं कि अभी तक जो भी निवेश की योजनाएं आई हैं वह पूरी तरह से जमीन पर नहीं उतरी हैं। इसमें सबसे प्रमुख कारण यह है कि सरकार ने उद्योगपतियों को जमीन देने के बाद डेटलाइन नहीं दी। सरकार को यह निर्धारित करना होगा कि उद्योगपति सरकार से सुविधाएं लेेने के कितने समय में कंपनी शुरू करेंगे और कितने लोगों को रोजगार मिलेगा। इससे काम तेजी से होगा और परिणाम अच्छे आएंगे।
जमीन पर काम दिखने में समय तो लगता है
एमपी स्मॉल ड्रग मैन्यूफेक्चरर एसोसिशन के अध्यक्ष दर्शन कटारिया कहते हैं कि इस बार की इन्वेस्टर समिट में सरकार ने सब कुछ कवर किया है। इस बार हर स्तर पर बेहतर काम हो रहा है। यह सच है कि जो भी वादे होते हैं उनमें जमीन पर 100 प्रतिशत नहीं आ पाता है क्योंकि प्रोजेक्ट जमीन पर उतरने पर समय लगता है। ऐसा हर क्षेत्र में होता है। हालांकि मप्र और इंदौर में बहुत कुछ बदला है और कई शीर्ष कंपनियां यहां पिछले कुछ साल में आई हैं। यह हम सभी के लिए गौरव की बात है।