Views: 14
लखनऊ: समाजवादी पार्टी के संरक्षक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का सोमवार को निधन हो गया. उत्तर प्रदेश समेत देश की राजनीति में ‘नेताजी’ के उपनाम से पुकारे जाने वाले मुलायम अपनों के लिए खतरा लेने से कभी भी गुरेज नहीं करते थे. मुलायम सिंह यादव को करीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रभात रंजन दीन बताते हैं कि वर्तमान की राजनीति में शायद ही कोई ऐसा नेता हो, जो कार्यकर्ताओं के लिए पूरे मनोयोग से खड़ा रहता हो. ‘स्पर्श’ की राजनीति मुलायम सिंह ने ही शुरू की और उनके निधन से अब इस तरह की राजनीति भी खत्म हो गई.
प्रभात रंजन दीन ने मुलायम सिंह यादव का अपनों के लिए खतरा लेने का एक दिलचस्प किस्सा साझा किया हैं. वरिष्ठ पत्रकार प्रभात रंजन दीन बताते हैं कि यह बात 1996 से 1998 के बीच की होगी, जब मुलायम सिंह यादव देश के रक्षा मंत्री हुआ करते थे. इस दौरान उन्नाव में उनकी एक जनसभा थी. मैं उनके साथ हेलिकॉप्टर से यह जनसभा कवर करने गया था. जब जनसभा समाप्त होने वाली थी तो यहां से विधायक उदय राज यादव मेरे पास आए और कहा कि मुझे बहुत जरूरी काम से जल्दी लखनऊ पहुंचना है. आप नेता जी से कह दीजिए कि अपने साथ हेलीकॉप्टर से लिए चलें, तो मैंने विधायक उदयराज से कहा कि नेताजी आपके नेता हैं. आप पार्टी के विधायक हैं. आप ही नेताजी से बात कर लीजिए ना, लेकिन उदयराज ने कहा कि नहीं आप कह दीजिए.
प्रभात रंजन ने बताया कि मैं नेताजी के पास गया और उनसे कहा कि विधायक उदयराज यादव को लखनऊ में बहुत जरूरी काम से जल्दी पहुंचना है. कह रहे हैं कि अगर नेताजी हेलीकॉप्टर से साथ लिए चलें तो काम हो जाएगा. मेरे इतना कहते ही नेताजी ने मुझसे कहा, अरे ये उदयराज भी देर कर देता है. विजमा पहले से ही हेलीकॉप्टर में बैठ गई हैं. विजमा यादव पार्टी की विधायक थीं. उन्हें भी लखनऊ ही आना था. अब दिक्कत यह हो गई कि हेलीकॉप्टर में एक साथ इतने लोग बैठ नहीं सकते थे. पायलट ने मुझसे कहा कि नेताजी से कह दीजिए कि अगर वजन ज्यादा बढ़ाया तो बड़ा रिस्क होगा, लेकिन नेताजी ने एक भी नहीं सुनी. विधायक उदयराज यादव को अपने साथ हेलीकॉप्टर में बिठाया. खुद सिकुड़कर सीट पर बैठे रहे लेकिन मुसीबत के समय अपनों का साथ नहीं छोड़ा. बड़ा रिस्क लेकर नेताजी अपने साथ हेलिकॉप्टर से उदयराज को भी लेकर आए जबकि आज की राजनीति में राजनेता ऐसा करने से पहले लाख बार सोचेंगे.
घाटमपुर की जनसभा का भी किस्सा वरिष्ठ पत्रकार प्रभात रंजन दीन साझा करते हैं. वह बताते हैं कि नेताजी के साथ मैं वह रैली भी कवर करने गया था. जैसे ही हेलीपैड से नेताजी का काफिला मंच की तरफ चला. नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उन्हें घेरकर मंच पर पहुंचा दिया. मैं नेता जी का भाषण लिखने लगा. जब भाषण खत्म हुआ तो नेताजी को गाड़ी में बिठाकर सिक्योरिटी वाले वहां से निकाल ले गए. अब मेरे सामने समस्या यह थी कि वहां तक तत्काल पहुंच पाना संभव नहीं था. लिहाजा, मैंने सोचा कि अब मैं बस से वापस लखनऊ जाऊंगा, क्योंकि नेताजी तो अब हेलिकॉप्टर से चले जाएंगे. यह सोचकर मैं कुछ दूर पर एक दुकान पर जलपान करने लगा. थोड़ी देर में मैं देख रहा हूं कि एक सिक्योरिटी वाला दौड़ता हुआ मेरे पास पहुंचा और मुझसे बोला अरे आप कहां गायब हो गए. नेता जी आपके बिना हेलिकॉप्टर उड़ने ही नहीं दे रहे हैं. उनका कहना है कि वह जब मेरे साथ आए थे तो मेरे साथ ही जाएंगे. वह खड़े हैं आप जल्दी चलिए. मैं जब पास में पहुंचा तो देख रहा था कि नेताजी सिर्फ मेरे ही इंतजार में वहां खड़े थे. ये था नेताजी का व्यक्तित्व.
कार्यकर्ताओं को नाम से बुलाना. उनके कंधे पर हाथ रखना. उनकी पीठ थपथपाना. यह सिर्फ मुलायम सिंह यादव ही कर सकते थे. उनकी यही स्पर्श की राजनीति कार्यकर्ताओं को उनसे जीवन भर जोड़े रही. आज नेताजी के निधन के साथ ही स्पर्श की राजनीति खत्म हो गई है.