बनारस की जेल में पड़ी थी समाजवादी पार्टी की नींव

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का निधनआज 10 अक्टूबर 2022 के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया. मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी की स्थापना की थी. समाजवादी पार्टी समाजवादी विचारधारा पर आधारित पार्टी है. इसकी स्थापना की कहानी भी काफी दिलचस्प है. कहा जाता है कि मुलायम सिंह यादव ने जनता दल की हालत को देखकर एक नयी पार्टी बनाने का फैसला तो पहले ही कर लिया था, लेकिन इस पर अमली जामा पहनाने की जरूरत थी. कहा जाता है कि मुलायम सिंह यादव ने वाराणसी के शिवपुर जेल में ही उन्होंने नई पार्टी के गठन की योजना को अंतिम रूप दिया था. अपने साथ जेल में बंद ईशदत्त यादव, बलराम यादव, वसीम अहमद व कुछ अन्य नेताओं से उन्होंने इस संबंध में विस्तार से चर्चा करके अपने मन की बात बतायी थी. इस बात की पुष्टि सपा नेता डॉ. केपी यादव भी करते हैं, जो मुलायम सिंह यादव की गिरफ्तारी के विरोध में जेल गए थे.

बताया जाता है कि इसी बीच सितंबर 92 के आखिरी दिनों में देवरिया जिले के रामकोला में किसानों पर गोली चल गई और इस घटना में 2 लोगों की मौत हो गई थी. इस दौरान मुलायम सिंह यादव लखनऊ से देवरिया के लिए रवाना हुए लेकिन उन्हें गिरफ्तार कर वाराणसी के सेंट्रल जेल शिवपुर में भेज दिया गया. वह किसानों पर हुए अत्याचार से आहत थे और किसानों की आवाज किसी भी राजनीतिक दल के द्वारा उठाने की संभावना न के बराबर दिख रही थी. मुलायम सिंह यादव ने किसानों के हक में किसी राजनीतिक दल के खड़े न होने के कारण वाराणसी के शिवपुर जेल में ही उन्होंने नई पार्टी के गठन की योजना को अंतिम रूप दिया था. अपने साथ जेल में बंद ईशदत्त यादव, बलराम यादव, वसीम अहमद व कुछ अन्य नेताओं से उन्होंने इस संबंध में विस्तार से चर्चा करके अपने मन की बात बतायी थी.

मुलायम को खटकती थी राजीव गांधी की बात

समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह अपने राजनीति एजेंडे में मुस्लिम को शामिल कर चुके थे. वह राम लहर के खिलाफ दूसरी धारा के बड़े नेता बनने की चाह रखते थे. मुलायम सिंह यादव ने पहली बार 30 अक्टबूर 1990 को कारसेवकों पर गोली चलाने की घटना में 5 कार सेवकों की मौत हुई थी. इसके बाद वहां तनाव बना रहा. तीन दिन बाद 2 नवंबर को सुबह का वक्त था अयोध्या के हनुमान गढ़ी के सामने लाल कोठी के सकरी गली में कारसेवक बढ़े चले आ रहे थे. पुलिस ने सामने से आ रहे कारसेवकों पर फायरिंग कर दी, जिसमें करीब दो दर्जन लोगों की मौत होने की बता कही जाती है. इसी दौरान ही कोलकाता से आए कोठारी बंधुओं की भी मौत हुई थी. इसीलिए 1990 के गोलीकांड के बाद हुए विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह बुरी तरह चुनाव हार गए और कल्याण सिंह सूबे के नए मुख्यमंत्री बनकर उभरे, कल्याण सिंह को हिंदुत्व का समर्थन करने वाले नेता कहा जाने लगा तो वहीं मुलायम को ”मुल्ला मुलायम’ की उपाधि मिल गयी. कारसेवकों पर गोली चलाने के आदेश के कारण उन्हें हिन्दू विरोधी नेता कहा जाने लगा था.

सपा का लोकसभा में प्रदर्शन

राजनीतिकर गलियारों की चर्चाओं के अनुसार, राजीव की मृत्यु के बाद चंद्रशेखर तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव के काफी करीब होते चले गए. वह प्रधानमंत्री नरसिंह राव के घर अक्सर चाय पीने के बहाने मिलने जाया करते थे. इतना ही नहीं राव सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर उनके चार में से तीन सांसदों ने वोट ही नहीं दिया था. राव व कांग्रेस के हिमायती बनते जा रहे चंद्रशेखर को अकेले छोड़कर मुलायम सिंह यादव ने अपना अलग रास्ता ढूंढ़ने का फैसला कर लिया.

देवीलाल, चंद्रशेखर, वीपी सिंह को करारा जवाब

मुलायम सिंह यादव बोले-

“भीड़ हम उन्हें जुटाकर देते हैं और पैसा भी. फिर वे (देवीलाल, चंद्रशेखर, वीपी सिंह आदि) हमें बताते हैं कि क्या करना है, क्या बोलना है. अब हम अपना रास्ता खुद बनाएंगे.”

सपा का प्रदर्शन

तब से लेकर अब तक पार्टी ने लगभग 30 सालों का सफर तय किया है और इस दौरान तमाम तरह के प्रयोग भी हुए और कई बार पार्टी सत्ता में आयी. अब यह पार्टी मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश के हाथों में है और इनका मार्गदर्शन प्रोफेसर राम गोपाल यादव सहित पार्टी के अन्य बड़े नेता कर रहे हैं, लेकिन पार्टी के कई नेता किनारा भी कर चुके हैं. पार्टी के बड़े नेताओं में नरेश अग्रवाल, अनिल राजभर, मनोज तिवारी, राजब्बर, जयाप्रदा, अमर सिंह जैसे नेता पार्टी में आकर चले गए. वहीं बेनी प्रसाद वर्मा व आजम खान पार्टी में पहले दिन से साथ रहकर काम किया और फिर मतभेद के कारण बाहर चले गए, लेकिन बाद में वह फिर से सपा में शामिल हो गए. वहीं आजम खान कुछ महीने पार्टी से बाहर किए जाने के बाद फिर से सपा में आए और तब से बने हुए हैं.

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