इंदौर: मथुरा, वृंदावन, द्वारिका और पुरी के साथ ही देश-दुनिया और मध्यप्रदेश में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ मनाया गया। जैसे ही रात को 12 बजे, श्रीकृष्ण मंदिरों में ‘नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैयालाल की’ नारे गूंज उठे। श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन किए। एक दूसरे को बधाई दी। देर रात तक दर्शन का दौर जारी रहा। इससे पहले जन्माष्टमी के अवसर पर कृष्ण मंदिरों में विशेष साज-सज्जा की गई। भजन-कीर्तन का दौर चलता रहा। शाम से ही भगवान के दर्शन करने मंदिरों में भीड़ उमड़ी। कई जगहों पर भजन-संध्या और मटकी फोड़ का भी आयोजन किया गया।
इंदौर में इस्कॉन मंदिर, श्रीविद्याधाम मंदिर से लेकर भोपाल के बिरला मंदिर, इस्कॉन मंदिर, उज्जैन के गोपाल मंदिर, इस्कॉन मंदिर में भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। यहां मंदिरों में श्रीकृष्ण का पूजन किया गया। मंदिरों को भव्यता से सजाया गया। रंग-बिरंगी लाइटों के बीच मंदिरों की जगमगाहट देखते ही बनी।
महाकाल की नगरी में जन्माष्टमी की धूम
उज्जैन के गोपाल मंदिर में भी जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई गई। दिनभर भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। देर रात तक भक्तों के आने का सिलसिला जारी रहा। रात 12 बजते ही श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। इस दौरान विशेष पाठ-पूजा की गई। इससे पहले सिंधिया देव स्थान ट्रस्ट के प्रसिद्ध गोपाल मंदिर के प्रशासक गोपाल अजय धाकने ने बताया दिनभर मंदिर के पट खुले रहे। अभिषेक श्रृंगार के लिए शाम 7 बजे मंदिर के पट बंद किए गए। रात को 12 बजकर 10 मिनट पर पट खोलकर गोपाल जी की पूजा-अर्चना की गई।
इस्कॉन मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भीड़
उज्जैन के ही भरतपुरी स्थित इस्कॉन मंदिर में जन्माष्टमी पर सुबह 4.30 बजे मंगल आरती के बाद सुबह 7.05 बजे श्रीमद् भागवत पर प्रवचन हुए। वहीं, सुबह 8.05 बजे गुरु पूजा व दर्शन आरती के बाद से ही श्रद्धालुओं की भीड़ दर्शन के लिए लगी रही। इसके अलावा फ्रीगंज स्थित छोटे गोपाल मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की कथा का वाचन किया गया। टावर चौक पर आयोजित भजन संध्या और शहीद पार्क पर मटकी फोड़ आयोजन किया गया।
रामानुजकोट में शनिवार को मनेगी जन्माष्टमी
उज्जैन में शनिवार को भी श्रीकृष्ण जन्म की धूम रहेगी। शिप्रा किनारे स्थित श्री रामानुजकोट पर भगवान वेंकटेश मंदिर में तिथि-नक्षत्र के अनुसार जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय जो तिथि व नक्षत्र रहे उसी आधार पर यहां जन्माष्टमी पर्व शनिवार की रात में मनाया जाएगा।
मोहन लखि जो बढ़त सुख, सो कछु कहत बनै न। नैनन कै रसना नहीं, रसना कै नहिं नैन॥
ऊपर दी गई पंक्तियां कवि रसनिधि ने लिखी हैं। इन पंक्तियों का अर्थ है कि श्रीकृष्ण को देखकर एक दिव्य आनंद का एहसास होता है। इस एहसास को ना आंखें बयान कर सकती हैं और ना ही जीभ। कुछ ऐसे ही भावों का एहसास आज हजारों कृष्णभक्तों ने किया।
CM शिवराज सिंह ने मनाई जन्माष्टमी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी पत्नी साधना सिंह के साथ निज निवास पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव मनाया। उन्होंने कहा, भगवान श्रीकृष्ण हर परिस्थिति में सदैव प्रसन्न, आनंदित और अविचलित रहते थे। हम अपना काम मेहनत व ईमानदारी से करें। थोड़ा ध्यान अपने कर्मों पर लगाएं, जिससे हम बेहतर से बेहतर कार्य कर सकें। हमारा जीवन सफल भी होगा और प्रदेश को आगे बढ़ाने में भी हम अपना योगदान दे सकेंगे।
भोपाल में श्रद्धा उत्साह से मना भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के अवसर भोपाल के बिरला मंदिर में हजारों भक्त पहुंचे। बिरला मंदिर को भव्यरूप से सजाया गया। इस दौरान मंदिर में भजन-कीर्तन भी चलते रहे। शाम 6 बजे भजन संध्या कार्यक्रम शुरू हुआ। भजन संध्या में कलाकारों ने भक्तों को अपने सुरो में बांधे रखा। रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। पूरा मंदिर श्रीकृष्ण के जयघोष से गूंज उठा। कृष्ण जन्म होते ही भक्तों को 80 किलो से ज्यादा पंजीरी का प्रसाद बांटा गया। पूरे दिन में तकरीबन एक लाख भक्तों ने मंदिर में दर्शन किए।
इस्कॉन मंदिर में हजारों लोगों ने किए दर्शन
भोपाल के भेल स्थित इस्कॉन मंदिर में धूमधाम से कृष्ण जन्माष्टमी मनाई गई। हजारों की संख्या में भक्त मंदिर में दर्शन के लिए आए। मंदिर में श्रीकृष्ण का महाभिषेक किया गया, साथ ही महाआरती भी की गई। इससे पहले भजन-कीर्तन में भक्त श्रीकृष्ण के भजनों पर जमकर झूमे।
मंदिर में रात 10 बजे से कृष्ण भगवान का महाअभिषेक हुआ। उसके बाद 11.45 पर महाआरती हुई और रात 12 बजे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। इसके बाद सभी भक्तजनों को महाप्रसाद का वितरण किया गया।
पूरे दिन रही भक्तों की भीड़
जन्माष्टमी के दिन सुबह 7 बजे से ही इस्कॉन मंदिर के बाहर भक्तों की कतार लगना शुरू हो गई। हर कोई राधा-कृष्ण के दर्शन करने के लिए उत्सुक नजर आ रहा था। मंदिर के अंदर ढोलक और मंजीरों के साथ कीर्तन चल रहा था। महिलाएं और पुरुषों के साथ ही छोटे बच्चे भी उत्साह के साथ हरे रामा-हरे कृष्णा गाकर कीर्तन में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे थे।
108 व्यंजनों से लगाया गया महाभोग
जन्माष्टमी के दिन सुबह 12.30 बजे 108 व्यंजनों से कृष्ण भगवान को महाभोग लगाया गया। वहीं, शाम को 7.30 बजे संध्या आरती हुई। दर्शन करने आने वाले भक्तों को खिचड़ी का प्रसाद और चरणामृत बांटा गया। सुबह 8.15 बजे कीर्तन शुरू हुआ जो रात में 12 बजे तक लगातार चला। ढोलक की थाप पर थिरकते भक्तों की खुशी देखते ही बन रही थी।
इंदौर में श्रृंगार के बाद किया गया अभिषेक
श्री श्रीविद्याधाम पर कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के सान्निध्य में 51 विद्वानों द्वारा आचार्य पं. राजेश शर्मा के निर्देशन में रात 9 बजे भगवान कृष्ण का तुलसीदल, सफेद तिल्ली व पुष्पों से सहस्त्रार्चन किया गया। षोडशोपचार पूजन, गौ दुग्ध से अभिषेक व श्रृंगार के बाद रात्रि ठीक 12 बजे जन्मोत्सव आरती की गई।