रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव गिर गया है. अविश्वास प्रस्ताव पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, “नेशनल हेराल्ड में मनी लांड्रिंग तो हुई नहीं. ये सिर्फ बदनाम करने की साजिश है. सेंट्रल एजेंसी सिर्फ परेशान करने का काम करती है, इसलिए हमने कहा था कि मां का दूध पीया है तो ईडी में केस दर्ज है, सीएम मैडम कौन है? सीएम सर कौन है? एसीबी में केस दर्ज है. पूछताछ क्यों नहीं करते.”
रोजगार मेला पर चर्चा: सीएम भूपेश ने कहा, “अकलतरा, जांजगीर चाम्पा में रोजगार मेला हुआ था या नहीं? कलेक्टरों ने रोजगार मेला का आयोजन किया था. छत्तीसगढ़ के लोगों की गाढ़ी कमाई का पैसा लूटकर चिटफंड कंपनिया भाग गई. जब छत्तीसगढ़ की जनता का साढ़े छह हजार करोड़ रुपए लेकर कंपनियां भाग गई फिर ईडी क्यों पूछताछ नहीं करती. मेरे खेत को नपवाया गया. मै कभी बदले की राजनीति नहीं करता. बदले की राजनीति दिल्ली वाले करते हैं.”
धर्मांतरण पर हुई बात: सीएम ने कहा, प्रजातंत्र की दुहाई सिर्फ छत्तीसगढ़ में मत दीजिए. महाराष्ट्र में दीजिए, गोवा कर्नाटक में दीजिए. असहमति का सम्मान कीजिए. उन्होंने कहा कि मेरे पेपर पटकने पर टिप्पणी की गई, लेकिन संसदीय प्रक्रियाओं को तार तार किया जाता है तो दुख होता है. धर्मांतरण का मामला भी उठाया गया. मैं दावे के साथ कहता हूं कि 95 फीसदी चर्च बीजेपी शासनकाल में बने. सिर्फ 19 कार्रवाई हुई. हमारे शासनकाल में 15 शिकायतें आई, जिसमें से 12 में कार्रवाई की गई.
मोहन मरकाम को बताया छोटा भाई: सीएम ने कहा, मोहन मरकाम मेरे छोटे भाई हैं. संगठन चुनाव को लेकर मैंने कुछ कहा था नहीं हुआ. मैंने उनसे कहा. ये भी अविश्वास प्रस्ताव का मुद्दा बना दिया. गोबर खरीदे डेढ़ सौ करोड़ का और सौ करोड़ का विज्ञापन, जबकि प्रचार प्रसार में महज सात करोड़ रुपए खर्च किए गए. 275 करोड़ के जनसंपर्क के बजट में से सौ करोड़ रुपए तो हमने पिछली सरकार का ही पटाया. सदन में इतना असत्य कथन भी ठीक नहीं.
बीजेपी ने पंद्रह साल में क्या किया: उन्होंने कहा, बीजेपी को पंद्रह साल मिले थे. एक ढंग का हॉस्पिटल, स्कूल नहीं बना पाए. हमारे कार्यकाल में दो साल कोरोना में चले गए उसके बावजूद स्वास्थ्य, शिक्षा के क्षेत्र में ढेरों काम किए. मलेरिया की दर में गिरावट आ गई. उल्टी दस्त से लोगों की मौत होती थी. अब मौत नहीं हो रही. हमने हाट बाजार क्लिनिक शुरू की थी. स्वामी आत्मानंद स्कूल की बात उठी. शिक्षकों का मुद्दा उठा. भेंट मुलाकात के दौरान दो डिमांड सबसे ज्यादा आई. आदिवासी इलाकों में भी बैंक और स्वामी आत्मानंद स्कूल की मांग आई.